सगरावत सिसोदिया, महासती स्थल , मोठपुर , अटरू ( बारां )

सगरावत सिसोदिया, महासती स्थल , मोठपुर , अटरू
(में सती प्रथा का प्रबल विरोधी हूं , न इसकी प्रशंसा करता हूं। किन्तु समय काल परिस्थितीयों में पवित्रता की रक्षार्थ मजबूरी में इस कुप्रथा को अंगीकृत किया गया था। जैसे ही सुरक्षित युग आया इसे त्याग भी दिया गया है। में उन सभी सती माता रानियों को नमन करता हूं जिन्हे परिस्थितीवश इस कठिन स्थिती से गुजरना पडा। )
जिला बारां तहसील अटरू में , मोठपुर किसी समय समृद्ध व्यापारिक केंद्र व खींची राजाओं द्वारा शासित क्षेत्र था। धारु खींची द्वारा निर्मित तालाब व कई सती चबूतरे इस क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास के गवाह है।

यहां कस्बे के पूर्वी छोर पर जलदाय विभाग की टँकी के पीछे क्षारबाग में एक सगरावत सिसोदिया परिवार (जो मेवाड़ के राणा वंश से सम्बंधित है) का सती चबूतरा है। उस पर लगे शिलालेख में सम्वत 1802 (सन 1745) अंकित है।

 भटवाड़ा के प्रसिद्ध युद्ध के पश्चात अप्रतिम शौर्य प्रदर्शन के फलस्वरूप उमरी , भदौड़ा ( वर्तमान जिला गुना मध्यप्रदेश)के सगरावत सिसोदिया राजपूत जो तत्कालीन महाराव कोटा के ननिहाल से सम्बंधित थे , को कोटा राज्य द्वारा  प्रदान किया गया ठिकाना रहा है।

लेकिन स्वाभिमानी जागीरदार से राजदरबारी षड्यंत्र के तहत उसके प्रिय घोड़े को लेकर कोटा राज्य द्वारा खालसा कर लिया गया। 
कस्बे के बीच स्थित मोठपुर का पुराना थाना , स्कूल , बैंक आदि जिन पुराने भवनों में संचालित है उस क्षेत्र को आज भी रावला बोला जाता है। लक्ष्मीनाथजी का मंदिर भी पास ही है।

आज भी यहाँ छह सात सौ साल पुरानी छतरिया , शिलालेख मिलते है।
यहां की रामबावड़ी जो क्षारबाग प्रतीत होती है किसी समय अपने जल के चमत्कारिक ओषधीय प्रभाव के लिए दूर दूर तक प्रसिद्ध थी।

जनश्रुति है कि अटरू की सबसे पुरानी धर्मशाला जो बस स्टैंड से स्टेशन रोड पर थी वह रामबावड़ी मोठपुर में हुए यज्ञ से बची राशि से बनवाई गई थी।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

चित्तौड़ का पहला जौहर, महारानी पद्मिनी : 26 अगस्त,1303

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

गणपति गजानंद भगवान ganpti gjanand bhagvan

God exists and He is everything - Arvind Sisodia

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

भारत अखंड और हिंदू राष्ट्र है - परमपूज्य डॉ. मोहन भागवत जी

श्री गणेश जी का संदेशा message from shri ganesh ji