कांग्रेस नें उत्तर भारत से आशा छोड़ी - अरविन्द सिसोदिया
कांग्रेस नें उत्तर भारत से आशा छोड़ी - अरविन्द सिसोदिया
कांग्रेस के आप ज्यादातर लोकसभा सीटें दक्षिण भारत से ही हैं । जब भी कांग्रेस को उत्तर भारत से हार का मुँह देखना पड़ा , तब तब दक्षिण भारत नें उनकी लाज बचाई । चाहे वह इंदिरा गांधी युग हो, राजीव गांधी युग हो, या सोनिया जी कार्यकाल रहा हो । हाल ही जब राहुल गांधी पर यूपी की परंपरागत सीट पर हार के बादल मंडराए तो उन्हें दक्षिण भारत नें ही लोकसभा में भेजा ।
मलिकार्जुन खड़गे मूलतः कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं । वे जननेता भी कई बार विधायक एवं सांसद रह चुके हैं । अभी राज्य सभा में कांग्रेस के नेता हैं । यूं तो उनका कांग्रेस अध्यक्ष बनना कांग्रेस के लिए तो ठीक है, क्यों कि वे रिटर्न मनमोहनसिंह साबित होंगे। उनसे विद्रोह या नेहरू परिवार को खतरा नहीं है ।
जहां तक सवाल कांग्रेस को फायदे का है , इसमें कोई बड़ा लाभ मिलता नहीं दिख रहा है । क्योंकि खड़गे दलित कह सकते हैं , मगर दलितों में उनका कोई भी प्रभाव नहीं है और ना हि दलित उन्हें दलित मानते क्योंकि वे अति सम्पन्न हैं। सबसे बड़ी बात वे सनातन विरोधी हैं, जबकि दलित सनातन हिन्दू हैं ।
भारत जोडो यात्रा भी अधिकांश समय दक्षिण भारत में ही रहेगी, कांग्रेस अध्यक्ष भी दक्षिण का ,अर्थात कांग्रेस उत्तर एवं पूर्वी भारत से आशा छोड़ चुकी है। उसका मकसद अधिकतम सीटें दक्षिण से जितनें की है।
इससे यह भी संकेत मिलता है कि वह लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर भारत में बहुआयामी गठबंधन करेगी । और गठबंधन में सबसे बड़ा दल कांग्रेस को दक्षिण भारत के माध्यम से रखना चाहती है ।
यह भी प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस बहुत सारे दलों से गठबंधन करेगी । लेकिन चुनाव बाद ये गठबंधन एक रहना मुश्किल प्रतीत हो रहा है। क्यों कि सबकी अपनी अपनी महत्वाकांक्षा हैं।
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