राजनैतिक क्षेत्र में अर्मादित भाषा सहित छल कपट और झूठ पर नियंत्रण आवश्यक - अरविन्द सिसौदिया
ये वही आजम खान है जिसने भारत माता को ‘डायन’ बोला था
This is the same Azam Khan who called Bharat Mata a 'witch'
Azam Khan
राजनैतिक क्षेत्र में अर्मादित भाषा सहित छल कपट और झूठ पर नियंत्रण आवश्यक - अरविन्द सिसौदिया
Control of deceit, deceit and lies is necessary in the political field - Arvind Sisodia
हाल ही में समाजवादी पार्टी के सीनियर और दबंग नेता कहलानें वाले आजम खान को हेट स्पीच के मामले में अदालत नें दोषी पाया एवं उन्हे तीन साल की सजा सुनाई और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
Recently, Azam Khan, who was called a senior and domineering leader of the Samajwadi Party, was found guilty by the court in the hate speech case and sentenced him to three years' imprisonment and imposed a fine of 25 thousand rupees.
वहीं सपा के सबसे बदतमीज नेता अखिलेश यादव को चुनाव आयोग ने उनके आरोपों को साबित करनें का नोटिश भी जारी किया है।
At the same time, the Election Commission has also issued a notice to Akhilesh Yadav, the most ill-mannered leader of SP, to prove his allegations.
ये कार्यवाहियां बहुत पहले होनी चाहियें थीं और बहुत सारे नेताओं के विरूद्ध होनी थी। मगर कायर प्रशासनतंत्र के कारण नहीं हुई।
These actions should have happened long back and against many leaders. But cowardice did not happen because of the administration.
विधायक आजम खान को सजा के परिणाम स्वरूप विधानसभा की वर्तमान सदस्यता रद्द हो जायेगी और सजा पूर्ण होनें के बाद अगामी 6 वर्ष तक वे चुनाव भी नहीं लड सकेंगे।
As a result of the punishment of MLA Azam Khan, the present membership of the Legislative Assembly will be canceled and after the completion of the sentence, he will not be able to contest elections for the next 6 years.
यह निर्णय उस समय आया है जब देश में हैट स्पीच का एक फैसन चल रहा है, जिसमें न केबल राजनैतिक पार्टीयों के नेता बल्कि उनके प्रवक्ता एवं वक्ता तक देश के सम्मानित पदों पर विराजमान जनता के द्वारा चुने जनप्रतिनिधियों के विरूद्ध अभद्र, अर्मादित एवं स्वच्छंद भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। इन दिनों महामहिम राष्ट्पति , प्रधानमंत्री एवं राज्यपाल जैसे सम्मानित पदों को भी गरियानें और अपमानित करने की होड़ सी लगी हुई है। निश्चित ही न्यायालय का सह निर्णय कुछ अंकुश लगानें में सफल हो सकेगा।
This decision has come at a time when a fashion of hat speech is going on in the country, in which not only the leaders of cable political parties but even their spokespersons and speakers, indecent, arrogant and open language against the elected representatives of the people sitting on the respected posts of the country. are using. These days, there is a competition to glorify and humiliate even the respected posts like President, Prime Minister and Governor. Surely the co-judgment of the court will be successful in curbing some.
आजम खान 10 बार के विधायक और 2 बार के सांसद के रूप में निर्वाचित होनें के बावजूद बदतमीजी की सभी सामायें अनेकों बार लांघते रहे हैं।
Azam Khan, despite being elected as a 10-time MLA and a 2-time MP, crosses all the lines of misbehavior many times.
are.
जनप्रतिनिधियों के लिए बने कानून के मुताबिक यदि किसी विधायक को दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो फिर उसकी सदस्यता चली जाती है । इससे पहले अयोध्या की गोसाईगंज विधानसभा से भाजपा के विधायक खब्बू तिवारी को अपनी विधायकी गवानी पड़ी थी क्योंकि उन्हें कोर्ट ने दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई थी।
According to the law made for public representatives, if an MLA is sentenced to more than two years, then his membership goes. Earlier, BJP MLA from Gosaiganj Assembly in Ayodhya, Khabbu Tiwari had to lose his MLA as he was sentenced to more than two years by the court.
सजा सुनाए जाने के बाद अब आजम खान के पास वोटिंग का भी अधिकार नहीं होगा. हालांकि आजम खान 60-90 दिनों में इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं। अगर कोर्ट के इस फैसले पर स्टे नहीं लगाती है तो आजम खान को कोई राहत नहीं मिलेगी ।
After the sentencing, Azam Khan will no longer have the right to vote. However, Azam Khan can challenge this decision in 60-90 days. If this decision of the court is not stayed, then Azam Khan will not get any relief.
राजनीति पर अंकुश रखनें का सबसे बडा उदाहरण प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर इलाहबाद उच्च न्यायालय ने इतिहास रचा था । 12 जून 1975, वो तारीख जब इंदिरा जी को दोषी करार दिया गया और इस निर्णय नें बदल दी थी, देश की राजनीति की दिशा को। तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उन्हें चुनावों में धांधली का दोषी पाया और उनका चुनाव रद्द कर दिया था।
The biggest example of curbing politics was the Allahabad High Court by canceling the election of Prime Minister Mrs. Indira Gandhi. 12 June 1975, the date when Indira ji was convicted and this decision changed the direction of the country's politics. Then the Allahabad High Court, while ruling against Indira Gandhi, found her guilty of rigging the elections and canceled her election.
यह मामला हेट स्पीच के बड़ते फैसन को रोकने के लिये बहुत जरूरी था ।
This case was very important to stop the growing trend of hate speech.
कठोर कानून बनें राजनेताओं को झूठ फैलानें और अर्मादित भाषा बोलनें से रोकनें के लिये
वर्तमान में भारत सरकार के गृह मंत्रालय एवं निर्वाचन आयोग को राजनैतिक क्षैत्र में आ रही गिरावट को रोकनें के लिये कठोर प्रावधानों वाला कानून बनाना चाहिये। झूठ फैलानें , अभद्र भाषा बोलनें और देश के ही खिलाफ षडयंत्र करनें तक की जो गिरावट दिख रही है। उसे रोकना ही होगा। अन्यथा देश तबाह हो जायेगा।
राजनैतिक क्षेत्र में अर्मादित भाषा सहित छल कपट और झूठ पर नियंत्रण आवश्यक है।
Stringent laws should be made to prevent politicians from spreading lies and speaking unscrupulous language
At present, the Ministry of Home Affairs and the Election Commission of the Government of India should make a law with strict provisions to stop the decline in the political field. The decline is visible even by spreading lies, speaking abusive language and conspiring against the country itself. He has to stop. Otherwise the country will be destroyed.
In the political field, it is necessary to control deceit, deceit and falsehood with the built language.
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