संसार के अन्य हिस्सों में दीपावली : DIWALI FESTIVAL




संसार के अन्य हिस्सों में दीपावली 

दीपावली को विशेष रूप से हिंदू, जैन और सिख समुदाय के साथ विशेष रूप से दुनिया भर में मनाया जाता है। ये, श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन शामिल संयुक्त अरब अमीरात, और संयुक्त राज्य अमेरिका। भारतीय संस्कृति की समझ और भारतीय मूल के लोगों के वैश्विक प्रवास के कारण दीवाली मानाने वाले देशों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। कुछ देशों में यह भारतीय प्रवासियों द्वारा मुख्य रूप से मनाया जाता है, अन्य दूसरे स्थानों में यह सामान्य स्थानीय संस्कृति का हिस्सा बनता जा रहा है। इन देशों में अधिकांशतः दीवाली को कुछ मामूली बदलाव के साथ इस लेख में वर्णित रूप में उसी तर्ज पर मनाया जाता है पर कुछ महत्वपूर्ण विविधताएँ उल्लेख के लायक हैं।




व्हाइट हाउस में दीपावली पर्व मनाया गया


प्रवासी टुडे, नवम्बर 2009
रमेश कुमार शर्मा

नोबेल शांति विद्वान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में दीपावली पर्व मनाकर एक सार्थक पहल की है। उन्होंने शुभकामना संदेश में कहा कि दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय,
मृत्योर्मा अमृतंगमय, शांतिः शांतिः शांतिः।
इस मंत्रोच्चारण के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दीपावली पर्व के अवसर पर दीप प्रज्ज्वलन कर अमेरिकी लोकतंत्र में एक नई पहल की। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पंडित नारायणाचार्य दिगालाकोटे द्वारा वैश्विक शांति के लिए वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच व्हाइट हाउस में दीप जलाकर दीपावली मनाई और इस तरह वह इस पर्व की व्यक्तिगत तौर पर शुभकामना देने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गये। व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में 14 अक्टूबर को आयोजित एक कार्यक्रम में ओबामा ने कहा मैं समझता हूँ कि यह उपयुक्त समय है जब हम इस कार्य की शुरूआत छुट्टियों के समय दीपावली से कर रहे हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उन्होंने दीपावली उपलक्ष्य में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने एशिया-अमेरिकी प्रशांत द्वीप समूह और व्हाइट हाउस के लिए सलाहकार आयोग पुनर्गठित करने की घोषणा की। संभवतः इस आयोग का कार्य राष्ट्रपति को फीजी जैसे प्रशांत द्वीपों जहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था फिलहाल समाप्तप्राय सी है के संबंध में यथोचित जानकारी और उचित सलाह देना भी होगा। आशा की जानी चाहिए कि प्रशांत महासागर के कतिपय अशांत द्वीपों में निकट भविष्य में फिर से शांति व्यवस्था कायम हो सकेगी।

दुनिया भर के कई देशों में मनाया जाता है रौशनी का त्योहार 'दीपावली' 

आजतक वेब ब्यूरो/भाषा नई दिल्ली, 13 नवम्बर 2012

दीपावली का पर्व अकेले भारत में ही धूमधाम से नहीं मनाया जाता बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में दीप पर्व अपनी छटा बिखेरता है. जिन देशों में हिंदुओं और सिखों की बड़ी आबादी है वहां तो रोशनी का जलसा देखते ही बनता है.
श्रीलंका, म्यामां, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड्स, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में दीपावली मनाई जाती है.


जैसे-जैसे भारतीय प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे दीपावली मनाने वाले देशों की संख्या भी बढ़ रही है. कनाडा के ओंटारियो स्थित मिसिसागा में रहने वाली अंजलि बक्शी ने कहा, ‘यहां तेज आवाज वाले पटाखे छोड़ने पर रोक है. यहां अलग-अलग केंद्र हैं जहां हम लोग अपने त्यौहार मनाने के लिए एकत्र होते हैं. इस दिन हम अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं और शाम को दीपावली उत्सव के लिए इकट्ठे हो जाते हैं. कई बार तो हमने भारतीय दूतावास में भी दीपावली मनाई है.’

नेपाल के काठमांडो में पिछले कई सालों से रह रहे अजय कारकी ने बताया, ‘यहां दीपावली को स्वान्ति कहा जाता है. यह पर्व यहां पांच दिन मनाया जाता है. परंपरा वैसी ही है जैसी भारत की है. थोड़ी भिन्नता भी है. पहले दिन कौवे को, दूसरे दिन कुत्ते को भोजन कराया जाता है. लक्ष्मी पूजा तीसरे दिन होती है. इस दिन से नेपाल संवत शुरू होता है इसलिए व्यापारी इसे शुभ दिन मानते हैं.’

कारकी ने बताया, ‘चौथा दिन नए साल के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन महापूजा होती है और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है. पांचवा दिन भाई टीका होता है जब बहनें भाइयों का तिलक करती हैं.’

श्रीलंका में तमिल समुदाय के लोग इस दिन तेल स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और ‘पोसई’ (पूजा) कर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. शाम को पटाखे छोड़े जाते हैं. मलेशिया में हिंदू सूर्य कैलेंडर के सातवें माह में दीपावली मनाई जाती है. सिंगापुर में इस दिन सरकारी छुट्टी रहती है. वहां की दीपावली देख कर लगता है जैसे ‘नन्हें भारत’ में दीपावली मनाई जा रही है. वहां ‘हिन्दू एन्डाउमेंट बोर्ड ऑफ सिंगापुर’ कई सांस्कृतिक आयोजन करता है.

कैरेबियाई देशों में त्रिनिदाद और टोबैगो में बड़ी संख्या में भारतीय बसे हैं और वहां खूब धूमधाम से दीपावली मनाई जाती है. लोग घरों में पूजा करते हैं और रोशनी से घर जगमगा उठते हैं. ब्रिटेन में भी दीप पर्व मनाया जाता है और लीसेस्टर में तो बहुत बड़ा आयोजन होता है.

अमेरिका में वर्ष 2009 में पहली बार, किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में दीवाली का परंपरागत दीया जलाया था. व्हाइट हाउस में दीवाली मनाने की शुरुआत जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने की थी, लेकिन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने निजी तौर पर खुद कभी उत्सव में भाग नहीं लिया. उनके प्रशासन के शीर्ष अधिकारी आयोजन में भाग लेते थे.

सात समंदर पार रोशनी की चमक

 November - 10 - 2015

भारतवंशियों की दीवाली
विवेक शुक्ला
प्रख्यात साहित्यकार विद्याधर सूरजप्रसाद नायपाल पहली बार 1961 में दीपावली की रात को बम्बई पहुंचे। वे पहली बार भारत आ रहे थे। ये देखकर उन्हें निराशा हुई कि यहां पर ज्यादातर घरों के बाहर मोमबत्तियांे से आलोक सज्जा हो रही थी। उनके देश में दीपावली पर अब भी दीये जलाने की रिवायत है। भारत से दशकों पहले सात समंदर दूर चले गए भारतीय अपने तीज-त्योहारों को अब भी बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के भाव से साथ मनाते हैं।
दीपावली का पर्व अकेले भारत में ही धूमधाम से नहीं मनाया जाता बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में दीप पर्व अपनी छटा बिखेरता है। जिन देशों में हिंदुओं और सिखों की बड़ी आबादी है, वहां तो रोशनी का जलसा देखते ही बनता है। श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड्स, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में दीपावली मनाई जाती है।
कैरेबियाई देशों में त्रिनिदाद और टोबैगो में बड़ी संख्या में भारतीय बसे हैं और वहां खूब धूमधाम से दीपावली मनाई जाती है। लोग घरों में पूजा करते हैं और रोशनी से घर जगमगा उठते हैं। सागर तट से करीब 6 कि.मी. की दूरी पर स्थित त्रिनिदाद और टोबैगो की लगभग 13 लाख की आबादी में से 22.5 प्रतिशत हिन्दू हैं। त्रिनिदाद के उच्चायुक्त पंडित मणिदेव प्रसाद ने बताया कि 1845 में भारतवंशियों की पहली टुकड़ी त्रिनिदाद पहुंची थी। उसी वर्ष से वहां दीवाली का उत्सव मनाया जाता है। त्रिनिदाद और टोबेगो में दीपावली के पर्व पर राष्ट्रीय अवकाश होता है। गुयाना में भी हिन्दुओं की तादाद खासी है। गुयाना के तत्कालीन राष्ट्रपति छेदी जगन को इस बात का गौरव हासिल है कि वे पहले भारतीय मूल के शख्स थे, जिन्हें देश से बाहर राष्ट्राध्यक्ष बनने का गौरव मिला। वे 1961 में गुयाना के राष्ट्रपति बने थे।
त्रिनिडाड के पूर्व प्रधानमंत्री वासुदेव पांडे बताते हैं कि त्रिनिडाड के किसी भी छोटे-बड़े शहर का दीपावली पर नजारा भारत के किसी गांव की तरह का होता है। भारतीय घरों के विपरीत अन्य इमारतों पर लोग तेल के दीये जलाते हैं। जब ये सारे दीपावली की रात को एक साथ प्रकाशमय होते हैं तो मंजर अद्‍भुत होता है। पोर्ट ऑफ स्पेन शहर के तो एक बड़े चौराहे का नाम ही दीवाली स्ट्रीट है।
जैसे-जैसे भारतीय प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे दीपावली मनाने वाले देशों की संख्या भी बढ़ रही है। कनाडा में तेज आवाज वाले पटाखे छोड़ने पर रोक है। यहां अलग-अलग केंद्र हैं, जहां पर भारतीय अपने त्योहार मनाने के लिए एकत्र होते हैं। दीपावली वाले दिन भारतीय अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं और शाम को दीपावली उत्सव के लिए इकट्ठे हो जाते हैं।
नेपाल के काठमांडो में दीपावली का पर्व पांच दिन मनाया जाता है। परंपरा वैसी ही है जैसी भारत की है। थोड़ी भिन्नता भी है। पहले दिन कौवे को, दूसरे दिन कुत्ते को भोजन कराया जाता है। लक्ष्मी पूजा तीसरे दिन होती है। इस दिन से नेपाल संवत्‍ा्‍ शुरू होता है इसलिए व्यापारी इसे शुभ दिन मानते हैं। चौथा दिन नए साल के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन महापूजा होती है। पांचवां दिन भाई टीका होता है, जब बहनें भाइयों का तिलक करती हैं। अगर बात अफ्रीकी देश मारीशस की करें तो वहां भारतवंशी दीपावली पर लक्ष्मी पूजन पूरी विधि के अनुसार ही करते हैं। भारत के विपरीत वहां पर मिठाइयां घरों में ही पकाने की ही रिवायत है। इसके अलावा दीवाली के दिन भारतवंशी परम्परागत भारतीय वेषभूषा में ही होते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय बहुल इलाकों जैसे जोहांसबर्ग के निकट लेनासिया और चैट्सवर्थ और डरबन के फोनेक्स में दीपावली बहुत ही भव्य तरीके से मनाई जाती है। श्रीलंका में तमिल समुदाय के लोग इस दिन तेल स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और ‘पोसई’ (पूजा) कर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है। शाम को पटाखे छोड़े जाते हैं।
अगर बात मलेशिया की करें तो वहां पर हिंदू सूर्य कैलेंडर के सातवें माह में दीपावली मनाई जाती है। उल्लेखनीय है कि मलेशिया में लगभग 20 लाख भारतीय हैं, जिनमें से अधिकांश हिंदू हैं। सिंगापुर में इस दिन सरकारी छुट्टी रहती है। वहां की दीपावली देखकर लगता है जैसे ‘नन्हे भारत’ में दीपावली मनाई जा रही है।
ब्रिटेन में भी दीप पर्व मनाया जाता है और लीसेस्टर में तो बहुत बड़ा आयोजन होता है। अमेरिका में वर्ष 2009 में पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में दीवाली का परंपरागत दीया जलाया था।
ऑस्ट्रेलिया में भी दीपावली की धूम रहती है और मेलबोर्न में तो श्री शिव विष्णु मंदिर में दीपावली की रौनक देखते ही बनती है। न्यूजीलैंड में भी रह रहे भारतीय रोशनी का पर्व मनाते हैं। दोनों में ही दीपावली पर सार्वजनिक अवकाश रहता है। उधर, मारीशस में दीपावली से एक हफ़्ता पहले से ही बाजार भारतवंशियों की तरफ से की जाने वाली खरीददारी के कारण अटने लगते हैं। दुनिया के तमाम भागों में भारतवंशी दीवाली पूरी श्रद्धा-भाव के साथ मनाते हैं।

CONGRESSMEN SEEK US POSTAGE STAMP ON DIWALI FESTIVAL 
US President Barack Obama lighting a lamp during a Diwali celebration in the White House

Tuesday January 29, 2013


NEXT time you receive a post parcel from the US, don’t be surprised to see a colourful display of  Diwali on it as some American lawmakers have introduced a resolution seeking issuance of a postage stamp on the popular Indian festival.   Congresswomen Carolyn B Maloney and Grace Meng, besides Indian-American Congressman Ami Bera, have introduced the resolution in the House of Representatives, urging the United States Postal Service (USPS) to create a stamp as per the Diwali Stamp resolution.

The USPS has recognised other major religious holidays such as Christmas, Kwanzaa, Hanukkah, and Eid, with a commemorative stamp earlier.   “Meaning ‘row of lights,’ Diwali celebrates the triumph of good over evil, the awareness of one’s inner light, the dispelling of ignorance, and bringing peace and joy through the awakening gained from this higher knowledge,” Maloney said in her remarks on the House floor.

She added that this festive and important Indian holiday is also observed in America.

“But despite the significance of this holiday, the United States Postal Service has yet to merit Diwali with the same recognition as other major religious holidays for which stamps are issued such as Christmas, Kwanzaa, Hanukkah, and Eid,” Maloney said.   “It is long overdue that we honour this significant holiday with a postage stamp of its own,” she said.

Adding to this, Congressman Ami Bera said that he felt honored to celebrate the Republic Day with Ambassador Rao and other Indian leaders in DC.   “Congratulations to India on 63 years of democracy. As the world’s largest democracy, India has a special relationship with the world’s oldest democracy, the United States” he said.
----
आमतौर पर देखा जाता है कि भारते के कई पड़ोसी देश श्रीलंका, म्यामांर, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड्स, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है।
-----
परम्परा: मिट्टी के दिये
अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीपावली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीपावली की बहुत उमंग होती है।

दिपावली पूजा की सम्पूर्ण विधि -

सबसे पहले चौकी पर लाल कपड़ा बिछाये लाल कपडे के बीच में गणेश जी और लक्ष्मी माता की मूर्तियां रखे। लक्ष्मी जी को ध्यान से गणेश जी के दाहिने तरफ ही बिढाये और दोनों मूर्तियों का चेहरा पूरब या पश्चिम दिशा की तरफ रखे। अब दोनों मूर्तियों के आगे थोड़े रुपए सिक्के इच्छा अनुसार रख लें। यूं तो परिवार के सोने चांदी के आभूषण और चांदी के 5 सिक्के भी रख लेते हैं। बही खाते भी रखते है। बैंक की डायरीयां भी रख लेते है। यह चांदी के सिक्के ही कुबेर जी का रूप है। लक्ष्मी जी की मूर्ति के दाहिनी ओर अछत से अष्टदल बनाएं यानी कि आठ दिशाएं उंगली से बनाए बीच से बाहर की ओर फिर जल से भरे कलश को उस पर रख दे । कलश के अंदर थोड़ा चंदन दुर्व पंचरत्न सुपारी आम के या केले के पत्ते डालकर मौली से बंधा हुआ नारियल उसमें रखें। पानी के बर्तन यानि जल पात्र में साफ पानी भरकर उसमें मौली बांधे और थोड़ा सा गंगाजल उसमें मिलाएं। इसके बाद चौकी के सामने बाकी पूजा सामग्री कि थालीया रखे। दो बडे दिये मे देसी घी डालकर और ग्यारह छोटे दिये मे सरसो का तेल भर तैयार करके रखे। घर के सभी लोगों के बैठ्ने के लिए चौकी के बगल आसन बना ले। ध्यान रखें ये सभी काम शुभ मुहुरत शुरू होने से पहले ही करने होंगे। शुभ मुहुरत शुरू होने से पहले घर के सभी लोग नहा कर नए कपड़े पहन कर तैयार  हो जाएं और आसन ग्रह्ण करें।
-----

दीपावली की प्रार्थना
 क्षेत्र अनुसार प्रार्थनाएं अगला-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए बृहदारण्यक उपनिषद की ये प्रार्थना जिसमें प्रकाश उत्सव चित्रित है:

असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अनुवाद:[75][76]

असत्य से सत्य की ओर।
अंधकार से प्रकाश की ओर।
मृत्यु से अमरता की ओर। (हमें ले जाओ)
ॐ शांति शांति शांति।।


टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

सफलता के लिए प्रयासों की निरंतरता आवश्यक - अरविन्द सिसोदिया

रामसेतु (Ram - setu) 17.5 लाख वर्ष पूर्व

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

हम ईश्वर के खिलोने हैँ वह खेल रहा है - अरविन्द सिसोदिया hm ishwar ke khilone

माता पिता की सेवा ही ईश्वर के प्रति सर्वोच्च अर्पण है mata pita ishwr ke saman

हमारा शरीर, ईश्वर की परम श्रेष्ठ वैज्ञानिकता का प्रमाण