मेडीकल चिकित्सा हिन्दी में, अपने देश को अपनी आवाज देना - अरविन्द सिसौदिया mbbs course in hindi

 मध्यप्रदेश में हिन्दी में चिकित्सा अध्ययन की पुस्तकें प्रकाशित करना, अपने देश को अपनी आवाज देना ही है - अरविन्द सिसौदिया

मेडीकल चिकित्सा हिन्दी में, अपने देश को अपनी आवाज देना


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देश की जनता को अपनी भाषा का मूल अधिकार मिले !
राजस्थान में जब मेनें एक चिकित्सा मंत्री को ज्ञापन दिया कि अस्पतालों में मरीज को दिया जानें वाला इलाज एवं जांचों की विभिन्न रिपोटों के पर्चे हिन्दी या उसकी प्रांतीय भाषा में दिये जानें चाहिये । तो मेरा ज्ञापन पत्र मुझे उन्होनें ससम्मान वापस करते हुये कहा यह अभी संभव नहीं है। जब मेनें कहा मरीज यह संमझ ही नहीं पाता कि उसे क्या हुआ है, उसके शरीर की हुई जांच में क्या सही है क्या गलत है। तो वह मानसिक रूप से परेशान रहता है, गैर जरूरी बातों को भी समस्या समझता है और चिकित्सकों के पास भागता है। लेकिन तत्कालीन चिकित्सा मंत्री जो राष्टवादी विचारधारा के ही थे , उन्होनें स्पष्टता से मना करते हुये कहा हो सकता है कि अगली पीढ़ियों को हिन्दी में चिकित्सक का पर्चा मिलनें लगे।

मेनें एक ज्ञापन और भी केन्द्र सरकार को भेजा हुआ है कि हिन्दी एवं प्रातीय भाषाओं में प्रथमिक चिकित्सा को प्रथमिक शिक्षा से ही कोर्स में सम्मिलित किया जाये ताकि बुखार बढनें पर पानी की गीली पट्टी सिर पर रखना छात्र सीख सके। पेरासिटोमाल की गोली देकर वह बुखार उतार कर चिकित्सालय तक पहुंच सके , मलेरिया की रोकथाम करनें वाली गोलियों को समय से लेकर, बीमारी से बच सके, आयरन या फोलिक एसिड की गोलियां लेकर खून को बडा सके। यहां तक कि चिकित्सा के मेडीसन क्षैत्र की पढ़ाई को सामान्य तरीके से करवा अधिकतम मात्रा में चिकित्सक बननें का अवसर दिया जाना चाहिये। अंग्रेजी में चिकित्सा को बनाये रखनें के पीछे एक लाभ कमानें वाली लाबी काम कर रही है। जो चिकित्सा के नाम पर भारी कमाई करती है।

सवाल इच्छाशक्ति का होता है। संसद में जब अंग्रेजी को राष्टभाषा बनाये रखनें की समय सीमा बढानें पर, बहस चल रही थी तब अटल बिहारी वाजपेयी जी संसद को बताया था कि ब्रिटेन में भी उच्चवर्ग की भाषा कभी फ्रांसीसी थी, तब डाक्टर , इन्जीनियर, कानूनविद उसी भाषा में होते थे, मगर ब्रिटिश संसद नें तय किया एक निश्चित दिनांक से सब कुछ अंग्रेजी में ही होगा तो अब अंग्रेजी में ही सब कुछ हो रहा है।

में मध्यप्रदेश की शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं कि उन्होनें भारतीय छात्रों को उनकी भाषा दी , उनको उनकी आवाज दी, उनको उनकी समझ दी । मध्यप्रदेश में अब एमबीबीएस और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी भाषा में भी का जा सकेगी। इसके साथ ही एमपी हिन्दी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा देने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। सरकार ने इन दोनों विषयों की किताबों का हिन्दी में अनुवाद कराया है। 16 अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह इन किताबों का विमोचन किया।

महात्मा गांधी कहते थे मातृभाषा के ज्ञान के बिना व्यक्ति गूंगा होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसी वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कहा था कि गुलामी के सभी निसानों को समाप्त करना है। संभवतः यह मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को भाषाई गुलामी से मुक्ति को सबसे बडी क्रांती है। जो सम्पूर्ण भारत में फैलनें वाली है।

नीट पास करने के बाद छात्रों को होती थी दिक्कत
मेडिकल की पढ़ाई करने वाले कई छात्र हिंदी मीडियम स्कूलों से आते हैं। बारहवीं कक्षा के आधार और कोचिंग में मेहनत के बाद वह नीट की ऑल इंडिया परीक्षा तो पास कर लेते हैं, लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। एमबीबीएस का पूरा कोर्स अंग्रेजी में होने के कारण वह मेडिकल की बारिकियों को स्पष्ठ रूप से नहीं समझ पाते थे। अब हिंदी में कोर्स संचालित होने के बाद छात्रों की यह समस्या दूर हो जाएगी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि यह देश के लिए गर्व की बात है कि छात्र मेडिकल की पढ़ाई अब हिंदी में कर सकेंगे।

देश की जनता को अपनी भाषा का मूल अधिकार मिले !  

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