एक-एक पग बढ़ते जायें

 

एक-एक पग बढ़ते जायें, बल वैभव का युग फिर लायें।।ध्रु.।।
जन-जन की आँखों में जल है, भारत माता आज विकल है।
आज चुनौती हम पुत्रों को, जिसमें राष्ट्र-प्रेम अविचल है।
अपना जीवन धन्य इसी में, मुरझाये मुख कमल खिलायें।।1।।


बिखरे सुमन पड़े हैं, अगणित, स्नेह सूत्र में कर लें गुंफित,
माता के विस्मृत मन्दिर को, मधुर गंध से कर दें सुरभित।
जननी के पावन चरणों में, कोटि सुमन की माल चढ़ायें।।2।।


कोटि जनों की संघ शक्ति हो, सब हृदयों में राष्ट्र-भक्ति हो
कोटि बढ़े पग एक दिषा में, सबके मन में एक युक्ति हो
कोटि-कोटि हाथों वाली, नव असुरमर्दिनी हम प्रगटायें।।3।।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

चुनाव आयोग को धमकाना, लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश है - अरविन्द सिसोदिया

एकात्म मानववाद :आधुनिक बनाम प्राचीन [02]

My Gov स्त्री, संतान,परिवार संरक्षण व्यवस्था