निजी अस्पतालों की लूट रोकेंगे या उनसे चुनावी चंदा उगाही होगी - अरविन्द सिसोदिया

अस्पतालों की लूट रोकेंगे या उनसे चुनावी चंदा उगाही होगी - अरविन्द सिसोदिया


राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नें हाल हैं स्वीकार किया कि राजस्थान में निजी चिकित्सालयों नें लूट मचा रखी है । बात तो सही है , मगर इन्हें लूटनें का अवसर किसनें दिया ? फिर चुनावों के ठीक पहले इस बयान की जरूरी क्यों पड़ी ? कहीं चुनावी चंदा उगाही का धंधा तो नहीं ...?
 
मुख्यमंत्री गहलोत के द्वारा निजी चिकित्सालयों पर यूं हमला और फिर उसे हाई लाईट करवाना अप्रत्याशित लग रहा है। नियत साफ होती तो चिकित्सा का अधिकार कानून लागू करते उसे प्रवर समिती को सौंपना ही संदेहास्पद है। इस बयान से दो मैसेज सामनें आ रहे हैं एक तो जनता के बीच आप भलापन दिखाना चाहते हैं। दूसरा निजी चिकित्सालयों से कुछ बडा चाहते हैं। चुनाव के ठीक पहले यह इसी ओर इशारा करता है कि चार साल में तो चिकित्सा क्षैत्र की लूट दिखी नहीं अब अचानक यह क्यों बडी स्क्रीन पर नजर आ रही है। कहीं कोई बडा खेल तो नहीं । जादूगर खेल तो दिखा ही सकता है।

लूट तो प्राइवेट स्कूलों नें भी मचा रखी है । लूट फुटकर व्यापारी वर्ग नें भी मचा रखी है । सवाल यही है कि लूट की इजाजत किसनें दी ।  कौंन लूटको संरक्षण देता रहा है ।

चिकित्सा और शिक्षा क्षेत्र में बहुत ज्यादा सुधार की जरूरत है। देश में सिर्फ 5 प्रतिशत इनकम टैक्सपेयी हैं और 15 से 20 फीसदी मध्यमवर्ग के हैं । अर्थात अभी भी 80 प्रतिशत व्यक्ति मूलतः गरीब हैं । उन्हें विकास की मूलधारा से बाहर नहीं किया जा सकता ।

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