सुपर प्रधानमंत्री सोनिया ही........
- अरविन्द सीसौदिया
भारत का प्रधानमंत्री विचारा अपने मंत्रीमण्डल के फेरबदल के लिये सोनिया गांधी के चार चक्कर लगा चुके हें । तब कहीं उन्हे इजाजत मिल पाई...., यह काम गुप्त तरीके से भी हो सकता था। मगर एक एक खबर बाकायदा प्रकाशित होता रहा ताबी यह संदेश जा सके कि प्रधानमंत्री की स्थिती बस्ता उठाने वाले जैसी मात्र है। यह भारतीय लोकतंत्र का शर्मनाक अध्याय है। देखें कब इससे मुक्ती मिलती है।
दिल्ली। यूपीए सरकार अपने दागी मंत्रियों की छटनी कर मंत्रिमंडल का विस्तार करने में जुटी हुई थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इसके लिए पिछले एक हफ्ते में 4 मुलाकातें कर चुके हैं। लेकिन शायद गठबंधन की मजबूरियां कहें या फिर मंत्रियों के नामों पर आम सहमति की मुश्किल, मंत्रिमंडल में होने वाले विस्तार में देरी हो रही है।
डीएमके के ए राजा और दयानिधि मारन के इस्तीफे के बाद टेलीकॉम और कपड़ा मंत्रालय की सीटें खाली हैं। इसके अलावा आर्थिक मामलों के मंत्री मुरली देवड़ा के इस्तीफे के बाद इस विभाग के लिए भी मंत्री पद पर विचार किया जाना है। कौन सा मंत्रालय किस पार्टी के पास जाएगा इस पर भी माथापच्ची की जा रही है।
इसी सिलसिले में आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने मुलाकात की। इस बैठक में जो सबसे महत्वपूर्ण फैसला किया गया वह था काफी समय से खाली पड़े रेलवे विभाग के लिए किसी का नाम चुनने का। यह विभाग तृणमूल के पास ही बरकरार रखा गया। पार्टी के दिनेश त्रिवेदी को इस मंत्रालय की बागडोर सौंपी गई है। ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद से यह सीट काफी समय से खाली थी।
मंत्रिमंडल में फेरबदल की बात है तो कांग्रेस अपने बड़े मंत्रियों की कुर्सी बरकरार रखेगी। इनमें से पी चिदंबरम और विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की कुर्सी को खतरा है। इसके अलावा हाल ही में कपिल सिब्बल का भी नाम 2जी स्पेक्ट्रम में आने से उनका भी मंत्रालय बदला जा सकता है।
सकरार को मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार में इसलिए इतना सोच विचार करना पड़ रहा है क्योंकि उसके ज्यादातर मंत्रियों का नाम घोटालों में शामिल है। ऐसे में सरकार की कोशिश होगी कि वे इन दागी मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा सरकार की साख को मजबूत करे। फिलहाल इस कोशिश में मनमोहन और सोनिया को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
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