संघ प्रमुख को फंसानें की कांग्रेसी साजिश बेनकाव



संघ प्रमुख को फंसानें की की कांग्रेसी साजिश बेनकाव
अपनी और पराई सरकार होने का यही फर्क होता है,ये साफ नजर आनें लगा कि सोनियां गांधी इस देश में ईसाईयत की स्थापना और उसे तेजी से फैलानें के लिये काम कर रहीं हैं और 
जो भी उनकी राह की बाधा है उसे फंसां कर जेल में डालने का काम कर रहीं हैं।, यह काम कोई विदेशी ही कर सकता है। स्वदेशी इस तरह के घ्रणित और गलत काम नहीं कर सकता । कांग्रेस अब परोक्ष रूप से विदेशियों के हित साधनें की पार्टी बन गई है। सच्चे देशवासियों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार कर रहीं है।

अजमेर ब्लास्ट: 'कांग्रेस नेताओं ने संघ का नाम लेने को कहा'
आईबीएन-7 | Sep 25, 2013
http://khabar.ibnlive.in.com/news/108720/12

नई दिल्ली। अजमेर धमाके के आरोपी भावेश पटेल ने कांग्रेस के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सूत्रों की मानें तो भावेश पटेल ने एनआईए की स्पेशल कोर्ट को एक चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में भावेश पटेल ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कांग्रेस के चार नेताओं ने उस पर अजमेर धमाके के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ नेता इंद्रेश कुमार का नाम लेने के लिए दबाव डाला था।
भावेश ने कोर्ट को ये भी लिखा है कि उसने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से भी मुलाकात की थी। भावेश के इस आरोप को एनआईए ने सिरे से खारिज कर दिया है। वहीं आईबीएन7 संवाददाता अरुण सिंह से बातचीत में कांग्रेस नेता दिग्विजय ने कहा है कि वो कभी अजमेर धमाके के आरोपी भावेश से नहीं मिले।
दिग्विजय ने कहा कि आश्चर्य है कि मीडिया एक ब्लास्ट केस के आरोपी के बयान को इतजा जोर दे रहा है। भावेश पटेल से मै कभी नहीं मिला, न जानता हूं। उसने स्वीकार किया है कि वो बम ब्लास्ट का आरोपी है। ये भी जांच का विषय है कि उसने पात्र लिखा है या किसी और ने। NIA को ये भी जांच करनी चाहिए के 164 के बयान के बाद वो किस-किस से मिला।
RSS का बयान
वहीं आरएसएस प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि हम शुरू से ही कह रहे हैं कि हिंदू संगठनों खास तौर पर आरएसएस और इसके नेताओं के खिलाफ साजिश रची जा रही है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

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शिंदे, दिग्विजय ने डाला था भागवत को फंसाने का दबाव: आरोपी
नवभारतटाइम्स.कॉम | Sep 25, 2013,
http://navbharattimes.indiatimes.com/india

नई दिल्ली।। सन् 2007 में अजमेर में हुए बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपियों में से एक भावेश पटेल ने केंद्रीय मंत्रियों, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। भावेश ने सीबीआई कोर्ट को चिट्ठी लिखकर बताया है कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह और दिग्विजय सिंह ने उस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत और आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार को अजमेर ब्लास्ट में फंसाने के लिए दबाव डाला था।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस साल मार्च में गिरफ्तार किए गए पटेल ने कोर्ट को दिए आवेदन में आरोप लगाया है, 'मुरादाबाद के आचार्य प्रमोद कृष्णन ने मेरी मुलाकात दिग्विजय सिंह, शिंदे, जायसवाल और आरपीएन सिंह से करवाई थी। ये सभी लोग चाहते थे कि मैं कोर्ट में आरएसएस के नेताओं को फंसाने वाला बयान दूं।' पटेल के वकील भूपेंद्र सिंह का कहना है कि उनका मुवक्किल गुरुवार को कोर्ट में भी यही बात दोहराएगा। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में पटेल पर ब्लास्ट के लिए साजो-सामान उपलब्ध करवाने और बम दरगाह के भीतर ले जाने का आरोप लगाया है।

हालांकि, दिग्विजय सिंह, आचार्य कृष्णन और आरपीएन सिंह ने पटेल के आरोपों को खारिज कर दिया है। दोनों नेताओं का कहना है कि पटेल से मिलना तो दूर उन्होंने उसका नाम भी पहली बार सुन रहे हैं। शिंदे और जायसवाल ने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं दी है।
पटेल ने कहा है, 'कृ्ष्णन ने मेरी मुलाकात नवंबर, 2012 में दिग्विजय सिंह से कराई थी। मैंने जब उन्हें अपने केस के बारे में बताया तो दिग्विजय ने मुझसे कहा कि तुम चिंता मत करो। समय आने पर हम जैसा कहें, वैसा करना।' पटेल के मुताबिक इसके बाद कृष्णन ने उसकी मुलाकात जायसवाल और आरपीएन सिंह से करवाई। उसका कहना है कि इन दोनों नेताओं ने बताया कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें सारा मामला बता दिया है और अगर वह जैसा कहा गया है वैसा बयान देता है, तो उसे बचा लिया जाएगा।

अजमेर ब्लास्ट के आरोपी का दावा है कि कृष्णन बाद में उसे दिल्ली लेकर गए, जहां शिंदे मौजूद थे। पटेल का दावा है कि शिंदे ने कहा, 'तुम्हे कोर्ट में कहना होगा कि अजमेर ब्लास्ट की साजिश में भागवत और इंद्रेश कुमार शामिल थे और तुमने इनकी साजिश कि हिसाब से धमाके को अंजाम दिया।' पटेल का कहना है कि दबाव के बावजूद मैंने कोर्ट में भागवत या इंद्रेश कुमार का नाम नहीं लिया। इसके बाद एनआईए के ऑफिसरों ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

गौरतलब है कि पटेल अलवर की जेल में बाद था, वहां उसने एनआईए के ऑफिसरों के खिलाफ आमरण अनशन शुरू कर दिया था। तबीयत बिगड़ने के बाद उसे एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उसने कोर्ट को चिट्ठी लिखी है।




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