भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी की हत्या चरमपंथी संगठन तालिबान ने कर दी




चरमपंथी संगठन तालिबान से बच निकलने की अपनी चर्चित कहानी डायरी की शक्ल में लिखने वाली सुष्मिता बैनर्जी की संदिग्ध चरमपंथियों ने हत्या कर दी है.
------
बीबीसी के अनुसार, पक्तिका प्रांत की राजधानी खरना में 49 वर्षीय बनर्जी को उनके घर के बाहर ही मार डाला गया। उन्होंने अफगान व्यापारी जांबाज खान से शादी की थी और हाल में ही वह उनके साथ रहने के लिए अफगानिस्तान लौटी थीं। तालिबान आतंकियों ने घर में उनके पति और परिवार के अन्य सदस्यों को बांध दिया और बनर्जी को घर से बाहर लाकर गोली मार दी। इसके बाद शव को आतंकियों ने समीप के एक धार्मिक स्कूल में फेंक दिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य सेविका के रूप में काम करने वाली बनर्जी, सईद कमला के नाम से भी जानी जाती थीं। हमले की किसी भी समूह ने जिम्मेदारी नहीं ली है।
------
सुष्मिता बनर्जी की हत्या पर भड़के बुद्धिजीवी, कहा-महिलाओं की आवाज को दबा नहीं सकता तालिबान
ज़ी मीडिया ब्‍यूरो
कोलकाता/नई दिल्‍ली : भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी की अफगानिस्तान में उग्रवादियों द्वारा हत्या किए जाने की आलोचना करते हुए बुद्धिजीवियों ने कहा कि उनकी हत्या के माध्यम से तालिबान देश (अफगानिस्तान) की दबी-कुचली महिलाओं के आवाज को दबा नहीं सकता।
लेखक शीर्शेंदु मुखोपाध्याय ने कहा कि यह न सिर्फ बर्बर है बल्कि यह असभ्‍य भी है। हत्या से यह साबित होता है कि अफगान महिलाओं की बेहतरी के लिए सुष्मिता जो काम कर रही थीं वह तालिबान को पसंद नहीं था। उन्होंने कहा कि लेकिन उनकी हत्या करके उन्होंने सुष्मिता को शहीद बना दिया है। उसका काम क्षेत्र की अन्य महिलाओं को दमन के खिलाफ आवाज उठाने को प्रेरित करेगा।
गौर हो कि अफगानिस्तान में भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार 49 साल की सुष्मिता की पक्तिका प्रांत में उनके घर के बाहर हत्या की गई। उन्होंने अफगान कारोबारी जांबाज खान से शादी की थी और हाल ही में उनके साथ रहने के लिए अफगानिस्तान पहुंची थीं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबानी आतंकी प्रांतीय राजधानी खाराना में उनके घर पहुंचे और उनके पति तथा परिवार के दूसरे सदस्यों को बांध दिया। इसके बाद उन्होंने सुष्मिता को घर से बाहर निकालकर उन्हें गोली मार दी। पुलिस ने बताया कि आतंकवादियों ने सुष्मिता के शव को एक धार्मिक स्कूल के निकट फेंक दिया। किसी संगठन ने उनकी हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि सुष्मिता पक्तिका प्रांत में स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर काम कर रही थीं और अपने काम के तहत ही स्थानीय महिलाओं की जिंदगी पर फिल्म भी बना रही थीं। सुष्मिता ने ‘काबुलीवालार बंगाली बउ’ (एक काबुलीवाले की बंगाली पत्नी) नाम से पुस्तक लिखी थी। उनकी यह पुस्तक 1995 में आई थी। इस पर 2003 में ‘एस्केप फ्रॉम तालिबान’ नामक हिंदी फिल्म बनी थी। फिल्म में मनीषा कोइराला ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपनी इस जीवनी में अपने पति के साथ अफगानिस्तान में जिंदगी एवं आतंकवादियों से बचने का उल्लेख किया था।
सुष्मिता ने अफगानिस्तान में अपने अनुभवों के बारे में एक पत्रिका में लिखा था। वह खान से शादी करने के बाद 1989 में अफगानिस्तान गईं थी। उन्होंने खान से कोलकाता में शादी की थी। उन्होंने लिखा था कि 1993 में तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने से पहले जिंदगी ठीकठाक चल रही थी। पंरतु तालिबान के आने के बाद जिंदगी कठिन हो गई।
तालिबान आतंकवादियों ने उनके द्वारा चलाए जा रहे एक दवाखाना को बंद करने का फरमान सुनाया था और उन्हें ‘कमजोर नैतिकता वाली’ महिला करार दिया था। इसके अलावा उन्होंने तालिबान के चंगुल से भागने और फिर पकड़े जाने तथा लंबी जद्दोजहद के बाद भारत लौटने की कहानी भी बयां की थी।
First Published: Friday, September 06, 2013, 10:28

--------
सुष्मिता ने एक अफ़ग़ान व्यापारी के साथ शादी की थी.
पक्तिका इलाक़े में उनके घर के बाहर ही उनकी हत्या कर दी गई.

1995 में नाटकीय ढंग से तालिबान की पकड़ से भाग निकलने वाली सुष्मिता का जीवन-वृत्तांत भारत में काफ़ी लोकप्रिय हुआ था जिस पर 2003 में एक फ़िल्म भी बनी थी.सुष्मिता हाल ही में अपने पति के साथ रहने के लिए वापस अफ़ग़ानिस्तान गई थीं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बीबीसी के जफ़र हांड को बताया है कि सुष्मिता एक स्वास्थ्यकर्मी के तौर पर भी कर रही थीं और स्थानीय महिलाओं की ज़िंदगी को क़ैमरे में क़ैद कर रही थीं.पुलिस का कहना है कि तालिबान चरमपंथियों ने सुष्मिता के घर पहुंचकर उनके पति और परिवारजनों को बांध दिया. इसके बाद उन्होंने सुष्मिता को बाहर ले जाकर गोली मार दी.उनके शव को पास के एक धार्मिक स्कूल में डाल दिया गया. हालांकि क़ाबुल में मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि तालिबान ने इसमें अपना हाथ होने से इंकार किया है.

सुष्मिता की कहानी
"उन्होंने मुझे घर में क़ैद कर दिया और अनैतिक औरत कहा. तालिबान ने मुझे सबक सिखाने की धमकी दी. मैं जानती थी मुझे भागना होगा."
सुष्मिता बनर्जी, लेखिका, अ काबुलीवालाज़ बंगाली वाइफ़ ,49 वर्षीय सुष्मिता बैनर्जी का लिखा जीवन-वृत्तांत ‘अ क़ाबुलीवालाज़ बैंगॉली वाइफ़’ भारत में काफ़ी चर्चित हुआ था.इसमें उन्होंने अपने पति जांबाज़ ख़ान के साथ अफ़ग़ानिस्तान में ज़िंदगी और वहां से भाग निकलने की यादें दर्ज की थीं.

2003 में मनीषा कोइराला अभिनीत फ़िल्म 'एस्केप फ्रॉम तालिबान' उन्हीं पर आधारित थी.आउटलुक पत्रिका के लिए 1998 में लिखे एक लेख में भी सुष्मिता ने अपनी कहानी बयां की थी.उनका कहना था कि 1993 में तालिबान के हावी होने से पहले तक ज़िंदगी ठीक थी. तब उनसे अपनी डिस्पेन्सरी बंद करने को कहा गया, जिसे वो घर से चलाती थीं.
सुष्मिता ने लिखा है कि वो 1994 की शुरूआत में अफ़ग़ानिस्तान से भाग निकलीं लेकिन उनके देवरों ने उन्हें पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में ढूंढ लिया जहां वो भारतीय दूतावास में शरण लेने पहुंची थीं. वे लोग उन्हें वापिस ले गए. सुष्मिता ने अपनी कहानी में ये भी लिखा है, ‘‘उन्होंने वायदा किया कि वो मुझे भारत वापिस भेज देंगे लेकिन उन्होंने अपना वायदा पूरा नहीं किया. उल्टा उन्होंने मुझे घर में क़ैद कर दिया और अनैतिक औरत कहा. तालिबान ने मुझे सबक सिखाने की धमकी दी. मैं जानती थी मुझे भागना होगा.’’

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - रविवार-8/09/2013 को
    समाज सुधार कैसे हो? ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः14 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra





    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय आपकी यह प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर संकलित की गई है। कृपया
    http://nirjhar.times.logspot.com पर पधारें। आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi