जय कृष्ण कृष्ण



भजन–श्री कृष्ण –भजन—

कोई पीवे… कोई पीवे… कोई पीवे… कोई पीवे…
कोई पीवे संत सुझान, नाम रस मीठा रे ॥
राजवंश की रानी पी गयी, एक बूँद इस रस का।
हो भैया रे… एक बूँद इस रस का।
आधी रात महल तज चलदी, रहू न मनवा बस का।
हो भैया रे… रहू न मनवा बस का।
हो गिरिधर की दीवानी मीरा, ध्यान छूटा अप्यश का।
बन बन डोले श्याम बांवरी लगेओ नाम का चस्का॥
लगेओ नाम का चस्का… हो लगेओ नाम का चस्का…
नाम रस मीठा रे… नाम रस मीठा रे… नाम रस मीठा रे…
नामदेव रस पीया रे अनुपम, सफल बना ली काया।
नरसी का… एक तारा कैसे जगतपति को भाया।
हो भैया रे… कैसे जगतपति को भाया।
तुलसी सूर फिरे मधुमाते, रोम रोम रस छाया।
भर भर पी गयी ब्रज की गोपिका, जिन सुन्दरतम पी पाया॥
ऐसा पी गया संत कबीर, मन हरी पाछे ढोले,
हो भैया रे… मन हरी पाछे ढोले,
कृष्ण कृष्ण जय कृष्ण कृष्ण, नस नस पार्थ की बोले।
चाख हरी रस मगन नाचते शुक नारद शिव भोले।
कृष्ण नाम कह लीजे, पढ़िए सुनिए भागती भागवत, और कथा क्या कीजे।
गुरु के वचन अटल कर मानिए, संत समागम कीजे।
हो भैया रे… संत समागम कीजे।
कृष्ण नाम रस बहो जात है, तृषावंत होए पीजे।
सूरदास हरी शरण ताकिये, वृथा काहे जीजे॥
वह पायेगा क्या रस का चस्का, नहीं कृष्ण से प्रेम लगाएगा जो।
अरे कृष्ण उसे समझेंगे वाही, रसिकों के समाज में जाएगा जो।
ब्रिज धूलि लपेट कलेवर में, गुण नित्य किशोर के गायेगा जो।
हसता हुआ श्याम मिलेगा उसे निज प्राणों की बाजी लगाएगा जो…
हसता हुआ श्याम मिलेगा उसे निज प्राणों की बाजी लगाएगा जो॥
नाम रस मीठा रे… मीठा रे… मीठा रे…
नाम रस मीठा रे… नाम रस मीठा रे…

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi