10 सालों में खाना-पीना ढाई गुना से ज्यादा महंगा

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10 सालों में खाना-पीना ढाई गुना से ज्यादा महंगा
टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Sep 20, 2013
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सुबोध वर्मा
नई दिल्ली।। यूपीए सरकार के दोनों कार्यकालों में महंगाई ने आम आदमी को पस्त करके रख दिया है। आंकड़े जो कहानी बयान करते हैं, वह चौंकाने वाली है। आंकड़ों पर गौर करें तो सन् 2004 से 2013 के बीच खाने-पीने की वस्तुओं के दामों में 157% बढ़ोतरी हुई है। गौर करने लायक बात है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक साग-सब्जी पैदा करने के मामले में दूसरे स्थान पर है। बावजूद इसके, देश में सब्जियों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई और यह 350 % तक जा पहुंची।

2004 से लेकर अब तक प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी 521% तक हुई। कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। इन दिनों एक बार फिर से देश के कई हिस्सों में प्याज की कीमतें 70-80 रुपए प्रति किलो हो गई है। यह सिर्फ प्याज के केस में नहीं है बल्कि ऐसा आलू के साथ भी देखा जा रहा है। 2009 के आखिरी महीनों में आलू की कीमतें 100 फीसदी बढ़ गई थीं। जनवरी 2010 में कहीं जाकर कीमतें कम हुई थीं। अन्य सब्जियों के दाम भी कभी बहुत ऊंचे हो जाते और कभी सामान्य। बैंगन 2004 में जिस कीमत पर था, आज की तारीख में वह तब के मुकाबले 311 फीसदी महंगा है।
पत्ता गोभी की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई है और यह 714 फीसदी महंगी हो गई है। ज्यादातर सब्जियों के साथ यही हाल है। गरीब परिवारों को कई सब्जियों को अपने खाने से हटाना पड़ा है। 2009 के बाद से दालों की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं और चूंकि दालें प्रोटीन का अच्छा सोर्स हैं और भारत में ज्यादातर लोग शाकाहारी हैं, ऐसे में उनकी खाने की थाली से एक महत्वपूर्ण पोषक खाद्य पदार्थ गायब हो गया है। दालों के दाम 2005 से जो बढ़ने शुरू हुए, वे 2010 तक दोगुने हो गए। 2012 में इनकी कीमतों में फिर इजाफा हुआ और पिछले साल सितंबर में इनमें बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई। हालांकि तब से लेकर अब तक हल्की की गिरावट दालों की कीमतों में देखी गई लेकिन 2004 से तुलना करें तो यह 123 फीसदी अधिक तो हो ही चुके थे।
खाने पीने की बाकी चीजों की बात करें तो दूध की कीमतें 119 फीसदी बढ़ गईं। अंडा 124 फीसदी उछल चुका है, जबकि चीनी की कीमतों में 106 फीसदी की छलांग है। यहां तक की नमक क कीमत भी इन दस सालों में 8 फीसदी बढ़ गई है। चावल की कीमत जहां 137 फीसदी हुई है, वहीं गेहूं की कीमतों में 117 फीसदी का इजाफा हुआ है। अंडा 124 फीसदी महंगा हो गया है और मसालों की कीमत में 119 फीसदी तेजी आई है।

यह महंगाई इसके बाद है जबकि भारत में आमतौर पर खाद्य पैदावार ठीकठाक रही है। फलों की बढ़िया पैदावार के बावजूद इनकी कीमतें 95 फीसदी बढ़ गईं। ये जो आंकड़े हैं, वे थोक बाजार की कीमतों के आधार पर हैं लेकिन आम आदमी को तो रीटेल कीमत पर खरीददारी करनी होती है और इस तरह से वह चीजों की और अधिक कीमत चुकाता है।

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