राष्ट्र ही प्रथम और राष्ट्र ही अन्तिम- इन्द्रेश कुमार
- अरविन्द सिसौदिया,कोटा
युवा संगम कार्यक्रम
दो संकल्प लो,गरीब से प्यार करो और देश से प्यार करो
कोटा 25 सितम्बर। भारत की युवा शक्ति का लक्ष्य ‘‘राष्ट्र ही प्रथम-राष्ट्र ही अंतिम’’ होना चाहिए। ताकि हम अपने देश की सुरक्षा, उन्नति और स्वालम्बन के साथ-साथ विश्व सभ्यता को सुसंस्कार और मानवता से परिपूर्ण कर सकें। यह विचार युवाओं को प्रेरक सम्बोधन करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय विचारक एवं प्रखर वक्ता इन्द्रेश कुमार ने, ‘‘युवा संगम ’’ कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के तौर पर सम्बोधित करते हुए कहे।
यह कार्यक्रम स्वामी विवेकानन्द जी की 150 वीं जयन्ति वर्ष पर आयोजित हो रहे कार्यक्रमों की श्रंखला में ‘‘युवा आयाम’’ द्वारा आयोजित किया गया। आयोजन कर्ता स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती समारोह समीति, कोटा महानगर के तत्वाधान में श्रीराम रंगमंच दशहरा मैदान, कोटा में सायं 5.00 बजे प्रारंभ हुआ।
इन्द्रेश कुमार ने अपना प्रेरक उद्बोधन छोटे-छोटे उद्धरणों के रूप में बोला जिससे कार्यक्रम स्थल बार-बार तालीयों से गुंजायमान होता रहा। उन्होंने राष्ट्र प्रेम का संदेश देते हुए कहा कि अच्छे डाॅक्टर बनो, अच्छे इंजीनियर बनो, अच्छे चार्टेड एकाउन्टेट बनो लेकिन साथ ही एक अच्छे नागरिक भी बनो, राष्ट्र भक्त बनो, राष्ट्र के साथ जीना सीखो, राष्ट्र की समस्याओं से जुडो और उनका निदान करने वाले सक्षम पुरूषार्थी बनो।
इन्द्रेश कुमार ने कहा ‘‘ केवल कैरियरीस्ट होने वालों को कोई नहीं जानता, लेकिन जो राष्ट्र के लिए जीते हैं, वे हमारे समाज जीवन के अनुकरणीय चरित्र होते हैं। उनके चरित्र से शिक्षा ली जाती है और दी जाती है। इसी कारण हमारी दीवारों पर नेताजी
सुभाष चन्द्र बोस, रानी लक्ष्मी बाई, चन्द्र शेखर आजाद, भगत सिंह, बाल गंगाधर तिलक के चित्र होते हैं। उन्होने कहा समाज जीवन में जो राष्ट्र के लिये जीता है , समाज के लिये जीता है, देश और समाज उसी को याद रखता है अपने लिये जीने वालों को कोई पहचानता तक नहीं है। जरूरत इस बात कि है कि अपने लिये जीते हुये भी देश और समाज के लिये भी साथ - साथ जियें।
उन्होंने बेटीयों को बचाने का आव्हान करते हुए कहा कि बेटी होगी तो ही , बहन एवं मां होगी और तभी भगवान की बनाई यह सृष्टि चलेगी। इसलिए समाज को इस ओर अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए।
इन्द्रेश कुमार ने कहा पाश्चात्य सभ्यता में भोग विलास की अतिव्याप्त है, भौतिकवाद के कारण दुखः और तनाव भरा हुआ है इसलिये वह त्याज्य है । वहीं भारतीय संस्कृति में आर्दश समाज व्यवस्था और आत्म नियंत्रण की प्रवृति से संतोष की असीम अनुभूति है जो सभी सुखों की जननी है।
उन्होने कहा स्वामी विवेकानन्दजी ने कहा था विश्व में मानवता की हाॅनी होगी, अधर्म सिर उठायेगा, अनाचार - अत्याचार बढ़ेंगे और हिंसा तथा आराजकता भी फैलेगी तब उसे समाप्त करने का, नियंत्रण में लेंने का काम हमारी भारतीय सभ्यता के लोगों को ही करना होगा, सुसंस्कारों से असभ्यता को पराजित कर विश्व में सुसभ्य संस्कृति को स्थापित कर मानव सभ्यता का सुख सम्बर्द्धन करना होगा। यही भारतमाता को परम वैभव पर आरूण करना है।
उन्होने कहा कंजूस बनों मगर नफरत करने में कुजूस बनों और खूब लुटाओं मुस्कुराहटों को, खुद भी हंसो और दूसरों को भी हंसाओे, यही जीवन संगीत है।
इन्द्रेशजी ने कहा भारतीय संस्कृति देने में विश्वास करती है, जो देता है वह हमेशा सुखी और आत्म बल से लबालब रहता है। उन्होन सभी युवाओं से हाथ करके दो दान मांगे , गरीब से प्यार करो और देश से प्यार करो।
अपने उद्बोधन के अंत में युवाओं को दो संकल्प दिलाते हुए कहा कि प्रण ले कि हम इस दिपावली पर कम से कम एक गरीब परिवार के साथ उत्सव मनायेंगे। उसके घर मिठाई का डिब्बा, नये कपड़े, मोमबत्ती आतिशबाजी और नया बर्तन लेकर जायेंगे और उनके साथ त्योहार मनायेंगे। गरीब की मुस्कुराहट में ईश्वर का वास होता है। उन्होंने दूसरा संकल्प दिलाते हुए कहा कि हम प्रतिदिन सुबह उठते से ही मातृ भमि से प्रेम करेंगे और मातु भमि के लिए जीना सिखेंगे। हम मातृ भमि से अन्न-जल पाते हैं और जीवन जीते हैं, इस लिए अपने आप को इसके साथ आत्मसात करते हुए तेरा सम्मान-मेरा सम्मान, तेरा वैभव-मेरा वैभव की भावना से जुडेंगे। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी धार्मिक कार्यक्रम करें। मन्दिर में जाये ंतो अपनी मनौतीयों के साथ-साथ एक मनौती राष्ट्र हित की भी अवश्य मांगे।
इन्द्रेश कुमार जी ने कहा ‘‘ लव फोर पुवर, लव फोर नेशन’’ और ‘‘नेशन इज फस्र्ट एण्ड नेशन इज लास्ट।’’ और उन्होंने अंत में युवाओं को आव्हान किया कि कुराज नहीं सुराज बनाओ।
कार्यक्रम संयोजक अमित सक्सेना ने मंचासीन अतिथियों का परिचय करवाया। मंच पर मुख्य अतिथी उद्योगपति सचिन झा, समीति के प्रांत सहसंयोजक जटा शंकर शर्मा तथा महानगर संयोजक महेश शर्मा भी थे। अतिथियों का स्वागत समिति के विभाग संयोजक त्रिलोकचन्द डूंगरवाल एवं महानगर सह संयोजक बसन्तीलाल शर्मा ने किया। मंच संचालन श्रीमती श्वेता जैन ने किया। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में युवा, युवतीयों, छात्र-छात्राओं सहित बुद्धिजीवी वर्ग ने भाग लिया।
प्रेषक:-
अरविन्द सिसौदिया, साहित्य प्रमुख, 09414180151
स्वामी विवेकानन्द सार्द्ध शती समारोह समिति, कोटा महानगर।
पता - बेकरी के सामनें, राधाकृष्ण मंदिर रोड़,
डडवाडा, कोटा जं (राजस्थान)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें