कालेधन पर केंद्र की कांग्रेस सरकार को, सर्वोच्च न्यायालय ने फिर फटकारा




कालेधन पर केंद्र को फिर फटकार
Apr 24 2014

सर्वोच्च न्यायालय ने जर्मनी के लिचेंस्टीन बैंक में कालाधन जमा करनेवाले भारतीयों के नाम नहीं बताने पर केंद्र सरकार को फिर कड़ी फटकार लगायी है. न्यायालय ने चार जुलाई, 2011 के एक आदेश में सरकार को जर्मन सरकार से प्राप्त भारतीय खाताधारकों की सूची जमा कराने और इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का आदेश दिया था.

इस आदेश का पालन नहीं होने को न्यायालय ने अदालत की अवमानना माना है और 29 अप्रैल को सूची जमा कराने का आदेश देते हुए यह भी बताने को कहा है कि सरकार को अदालती आदेश मानने में क्या अड़चनें हैं. तीन न्यायाधीशों- जस्टिस एचएल दत्तू, रंजना देसाई और मदन लोकुर- की खंडपीठ ने अब तक जांच दल का गठन नहीं हो पाने पर भी नाराजगी जतायी.

सुनवाई की पिछली तारीख को भी अदालत ने इस महत्वपूर्ण मसले पर केंद्र की लापरवाही पर टिप्पणी की थी. देश में बीते कुछ सालों से भ्रष्टाचार व कालेधन  की वापसी के मसले राजनीतिक विमर्श और गतिविधियों के केंद्र में हैं, लेकिन कई वायदों व बयानों के बावजूद सरकारी स्तर पर किसी गंभीर कार्रवाई के कोई संकेत नहीं हैं. 2011 में वित्त मंत्रलय ने कालेधन के अध्ययन के लिए एक आयोग का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट जुलाई, 2012 में दे दी थी, लेकिन आज तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है.

इस रिपोर्ट के विवरण से सिर्फ वित्त मंत्री और कुछ वरिष्ठ अफसरशाह ही वाकिफ हैं. अपुष्ट रिपोर्टो के अनुसार, इस आयोग में शमिल एक विशेषज्ञ संस्था ने अनुमान लगाया है कि 2010 के मानक मूल्यों के हिसाब से लगभग 30 लाख करोड़ रुपये कालेधन की शक्ल में हैं, जो देश के सकल घरेलू उत्पादन का तकरीबन 17 फीसदी है. बाजार-वाणिज्य के जानकर यह भी कहते रहे हैं कि विदेशों में जमा कालेधन का एक हिस्सा वापस देश में निवेश होता है.

इनके मुताबिक बीते कुछ महीनों में ही शेयर में निवेश, सोने की तस्करी और हवाला के जरिये 1,500 से 5,000 करोड़ रुपये देश में आने का अनुमान है. यह आशंका भी जतायी जा रही कि बड़े पैमाने पर कालाधन अप्रत्यक्ष रूप से मौजूदा आम चुनाव में भी खर्च हो रहा है. देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी का केंद्र सरकार पर कितना असर होता है.

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi