हिन्दू जगेगा तो ही विश्व जगेगा : सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी
हिन्दू जगेगा तो ही विश्व जगेगा: भैयाजी जोशी
तारीख: 04 Jan 2016गत 29 दिस्म्बर को इंदौर के एमराल्ड हाइट्स इंटरनेशनल में हिन्दू स्वयंसेवक संघ के 'विश्व संघ शिविर-2015' का उद्घाटन हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी तथा लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने दीप प्रज्वलित करके इस पांच दिवसीय आवासीय शिविर का शुभारम्भ किया। शिविर में दुनिया के 40 देशों से 750 से ज्यादा शिविरार्थियों ने भाग लिया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि रक्त, मन, मस्तिष्क में स्थापित विचार कभी दुर्बल नहीं होते। आज हम भिन्न प्रकार का चिंतन लेकर विश्व में खड़े हैं। हमने विश्व को एक परिवार माना है, इसे हम अपने चिंतन से प्रभावित करना चाहते हैं। सभी संघर्षों को समाप्त करने हेतु चिंतन हिन्दू समाज ही दे सकता है। हम हिन्दू हैं, यह अहंकार नहीं, स्वाभिमान है। विश्व तभी जगेगा, जब हिन्दू जगेगा। उन्होंने आगे कहा कि भारत से हजारों लोग विश्व के अनेक देशों में किसी को हराने या लूटने नहीं गए। भारत में देने की परम्परा है, लेने की नहीं। हम शास्त्र व मूल्य लेकर गए, शस्त्र नहीं। संघ या हिन्दू स्वयंसेवक संघ का कार्य इस यात्रा का दर्शन कराना है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्षा श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि भारतीय संस्कृति और हमारे संस्कारों के सच्चे राजदूत विश्व में फैले हुए भारतीय ही हैं, जिन्होंने भारत की विरासत को विश्व में पहंुचाया है। भारतीय संस्कृति के अनुसार हम पेड़-पौधों की पूजा करते हैं, ये संस्कार आधारित जीवन दर्शन है। हम समस्त जीवों को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। आज भी विश्व के कई देशों में दीपावली-गणेश उत्सव आदि त्योहार बड़े पैमाने पर मनाए जाते हैं। भारतीय नागरिक जिस देश में भी गए, वहां उन्होंने मंदिर बनाने को प्राथमिकता दी, सम्पूर्ण विश्व में सनातन संस्कृति का प्रसार किया।
इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका एवं सीडी का विमोचन भी किया गया। हिन्दू स्वयंसेवक संघ के संयोजक श्री सौमित्र गोखले ने विश्व में संघ द्वारा किए जा रहे कार्यों का वृत्त प्रस्तुत किया। शिविर के दूसरे दिन भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस दिन एक सत्र में शिविरार्थियों से अ. भा. प्रचार प्रमुख श्री मनमोहन वैद्य ने प्रचार और उसे जुड़े विभिन्न आयामों पर चर्चा की। उन्होंने प्रचार साधनों और उनकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। प्रश्नोत्तर में अनेक रोचक प्रश्न पूछे गए। शाम को विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांध दिया। नृत्य-संगीत की इन प्रस्तुतियों में भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक देखने को मिली।
एक सत्र में शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री सुहासराव हिरेमठ ने सेवाभाव का अर्थ और उद्देश्य समझाया। उन्होंने कहा कि सेवा कायार्को भारत में चार आयामों में बांटा गया है- शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज और स्वावलंबन। आज पूरे भारत में 1 लाख 52 हजार 388 सेवा कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा चलाये जा रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि आज हम जिन लोगों की सेवा कर रहे हैं, जल्दी ही वे आत्मनिर्भर बनकर समाज में सेवक के रूप में कार्य करें।
संघ के विश्व विभाग के संयोजक श्री अनिल वर्तक ने बताया कि विदेशों से आए ये प्रतिनिधि अपने-अपने देशों के प्रमुख मुद्दों, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। शिविर में ऐसे अनेक अनुभव साझे किए गए जिनसे विभिन्न देशों में भारतीय संस्कृति और मूल्यों के प्रचार-प्रसार की और उनमें जुटे कार्यकर्ताओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई है।
शिविर में दैनिक कार्यक्रमों में शिविरार्थी बड़े ही मनोयोग से भाग ले रहे हैं। प्रात: उठकर नियमित कार्यक्रम के बाद मातृशक्ति द्वारा दण्ड संचालन व योग का कार्यक्रम होता है। पुरुष स्वयंसेवक योगाभ्यास, खेल आदि में एकत्र होते हैं। शिविर के मुख्य शिक्षक एवं शारीरिक शिक्षा प्रमुख श्री रमयावरन (सिडनी, आस्ट्रेलिया) ने बताया कि शिविर में बौद्धिक के साथ शारीरिक अभ्यास नियमित होता है, जिसमें भारत की सांस्कृतिक विरासत, योगाभ्यास व खेलकूद के अलग-अलग सत्र होते हैं। इससे एकाग्रता और स्फूर्ति विद्यमान रहती है। शारीरिक के द्वारा हमें अनुशासन की भी प्रेरणा मिलती है।
हिन्दू स्वयंसेवक संघ के संयोजक श्री सौमित्र गोखले ने एक प्रेस वार्ता में बताया कि इन्दौर में शिविरार्थियों को अद्भुत अनुभव हुआ है। व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध इंदौर का भोजन सभी शिविरार्थियों को बेहद पसंद आ रहा है। शिविर में अपने-अपने देशों में जो कार्य हो रहे हैं, उनको कैसे बेहतर बनाना है, इस संबंध में एक दूसरे के अनुभवों को आपस में बांटा जा रहा है। शिविर में टैक्सास, अमरीका से आये श्री रमेश पूनमचंद शाह ने भी मीडिया से अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने एकल विद्यालय के लिए विदेशों में बहुत जागरूकता पैदा की है। वे पिछले सत्रह वर्ष से इस कार्य में लगे हुए हैं। शिविर में राष्ट्रपति सेना मेडल से सम्मानित मेजर सुरेन्द्र नारायण माथुर ने बताया कि वह विदेशी धरती पर अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम का कार्य करते हैं। विदेशों में उनके इस काम की काफी सराहना हो रही है। न्यूजीलैण्ड से आए प्रोफेसर जी.एन. मंगेशन ने भी अपने अनुभव मीडिया के साथ साझा किये। प्रतिनिधि
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