विदेशी ताकतें : अपना लाभ
अपरोक्ष रूप से पूरे पाश्चत्य जगत में ईसाई और इस्लाम संघर्षरत है ! मगर भारत में विदेशी ताकतें हिन्दू मुस्लिम संघर्ष उत्पन्न कर अपना फायदा उठा रहीं हैं ! ये वही ताकतें हैं जो इस तरह अपना लाभ ब्रिटिश गुलामी के दौर में भी उठा रहीं थीं !
- अरविन्द सिसोदिया कोटा
नीचे के लेख में विचार लेखक के हैं इस सच को भी जानना चाहिए
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हिन्दू और मुसलमान थोडा धीरज से और थोडा ध्यान से पढ़े **
लेखक - डा.जमुना प्रसाद वर्माTUESDAY, JANUARY 19, 2016
250 वर्ष का इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि
आधुनिक विश्व मतलब 1800 के बाद जो दुनिया मे
तरक़्क़ी हुई,
उस मे पश्चिम मुल्को यानी सिर्फ यहूदी
और ईसाई लोगो का ही हाथ है।
हिन्दू और मुस्लिम का इस विकास मे 1% का भी
योगदान नही है।
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आप देखिये के 1800 से लेकर 1940 तक हिंदू और मुसलमान
सिर्फ बादशाहत या गद्दी के लिये लड़ते रहे।
अगर आप दुनिया के 100 बड़े वैज्ञानिको के नाम लिखे तो बस एक
या दो नाम हिन्दू और मुसलमान के मिलेंगे।
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पूरी दुनिया मे 61 इस्लामी मुल्क है,
जिनकी जनसंख्या 1.50 अरब के करीब
है, और कुल 435 यूनिवर्सिटी है।
दूसरी तरफ हिन्दू की जनसंख्या 1.26
अरब के क़रीब है और 385 यूनिवर्सिटी
है,
जबकि अमेरिका मे 3 हज़ार से अधिक,
जापान मे 900 से अधिक यूनिवर्सिटी है।
ईसाई दुनिया के 45% नौजवान यूनिवर्सिटी तक पहुंचते
है,
वही मुसलमान के नौजवान 2% और
हिन्दू के नौजवान 8 % तक यूनिवर्सिटी तक पहुंचते
है।
दुनिया के 200 बड़ी यूनिवर्सिटी मे से
54 अमेरिका,
24 इंग्लेंड,
17 ऑस्ट्रेलिया,
10 चीन,
10 जापान,
10 हॉलॅंड,
9 फ़्राँस,
8 जर्मनी,
2 भारत और
1 इस्लामी मुल्क मे है .
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अब हम आर्थिक रूप से देखते है।
अमेरिका का जी.डी.पी 14.9
ट्रिलियन डॉलर है
जबकि पूरे इस्लामिक मुल्क का कुल
जी.डी.पी 3.5 ट्रिलियन डॉलर
है।
वही भारत का 1.87 ट्रिलियन डॉलर है।
दुनिया मे इस समय 38000 मल्टिनॅशनल कंपनी है,
इनमे से सिर्फ 32000 कंपनी अमेरिका और युरोप मे
है।
अभी तक दुनिया के 10000 बड़ी
अविष्कारो मे 6103 अविष्कार अकेले अमेरिका मे और
8410 अविष्कार ईसाई या यहूदी ने किये है।
दुनिया के 50 अमीरो में
20 अमेरिका
5 इंग्लेंड
3 चीन,
2 मक्सिको,
2 भारत और
1 अरब मुल्क से है .
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अब आपको बताते है के
हम हिन्दू और मुसलमान जनहित, परोपकार या समाज सेवा मे
भी ईसाई और यहूदी से पीछे
है।
रेडक्रॉस जो दुनिया का सब से बड़ा मानवीय संगठन है।
इस के बारे मे बताने की जरूरत नही है।
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बिल गेट्स ने 10 बिलियन डॉलर से बिल- मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन
की बुनियाद रखी जो कि पूरे विश्व के 8
करोड़ बच्चो की सेहत का ख्याल रखती
है,
जबकि हम जानते है कि भारत मे कई अरबपति है।
मुकेश अंबानी अपना घर बनाने मे 4000 करोड़ खर्च
कर सकते है,
और
अरब के अमीर शहज़ादा अपना स्पेशल जहाज पर
500 मिलियन डॉलर खर्च कर सकते है .
मगर मानवीय सहायता के लिये आगे नही
आ सकते है.
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बस हर हर महादेव
और
अल्लाह हो अकबर के नारे लगाने मे हम सबसे आगे हैं।
अब जरा सोचिये कि हमें किस तरफ अधिक ध्यान देने की जरुरत है।
क्यों ना हम भी दुनिया में मजबूत स्थान और भागीदारी पाने के लिए प्रयास करें बजाय विवाद उत्पन्न करने के।
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