हमें भंवरी चाहिए-राजस्थान हाईकोर्ट
जोधपुर। अपह्रत एएनएम भंवरी देवी मामले को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने ११ ओक्ट्बर २०११ मंगलवार को एक बार फिर राजस्थान राज्य की सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने भंवरी देवी के पति अमरचंद की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को पूरी तरह विफल करार देते हुए कहा कि प्रदेश के इतिहास में ऎसी नाकारा सरकार कभी नहीं देखी।
कोर्ट ने पुलिस को भंवरी देवी को शीघ्र बरामद कर अदालत में पेश करने के आदेश दिया। न्यायाधीश गोविंद माथुर एवं न्यायाधीश एन के जैन की खंडपीठ ने कहा कि मामले की सीबीआई से जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी।
खंडपीठ ने कहा कि हमें पुलिस पर भरोसा है लेकिन राज्य सरकार पर नहीं है। मामले में राज्य सरकार बहुत ही कमजोर तरीके से कार्रवाई कर रही है तथा आरोपियों को बचाने एवं मामले के तथ्यों को छुपाने का प्रयास कर रही है, इसलिए अब यह उचित होगा की मामले की सुनवाई प्रतिदिन करके न्यायालय निगरानी रखे।
न्यायालय ने कहा कि सरकार मामले में कितनी गंभीर है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अतिरिक्त महाधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित होने के बजाए लोक अभियोजक पैरवी करने आ रहे है। राज्य सरकार ने पुलिस को नाकारा साबित करने का प्रयास किया है जिससे पुलिस के कर्मठ अधिकारियों का मनोबल गिर रहा है। इससे बड़ा पलायनवाद का उदाहरण नहीं हो सकता है कि राज्य सरकार आंखें मूंद कर काम कर रही है तथा एक मंत्री की छवि को बचाने में लगी हुई है।
खंडपीठ ने पुलिस की जांच रिपोर्ट को हवा में लहराते हुए कहा कि आपकी जांच रिपोर्ट तो कूड़े में फैंकने लायक है। राज्य सरकार ने पुलिस बल को नाकामयाब मानते हुए मात्र दस दिन में जांच सीबीआई को देने का फैसला कैस कर दिया यदि ऎसा है तो सभी मामले सीबीआई को ही सौंप देने चाहिए। हमारी सुरक्षा में भी पुलिसकर्मी तैनात है और उन पर हमें कैसे भरोसा होगा। न्यायालय ने कहा कि जांच चाहे सीबीआई करे या राज्य पुलिस, जांच लगातार होनी चाहिए तथा हमें भंवरी चाहिए।
मामले को रफादफा करने के प्रयास किए जा रहे है। खंडपीठ ने कहा कि बलिया को पकडने गई पुलिस की सूचना भंवरलाल को पहले ही कैसे मिल गई और वह फरार हो गया। इसके अलावा जांच में सामने आए सभी व्यक्तियों से पुलिस ने ठीक से पूछताछ नहीं की। मामले की 13 अक्टूबर को फिर सुनवाई की जाएगी।
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