राहुल बताओ , कांग्रेस राज में कहा गई भंवरी
भवंरी का परिवार पूछे ,
कहां है भंवरी राहुल बताओ......
कांग्रेस के ड्रामेंबाज महासचिव राहुल गांधी ने राजस्थान के दंगाग्रस्त गोपालगढ में नाटकबाजों की तरह पहुंच कर....कुछ पीडितों को सांत्वना दी...और पुलिस अधिकारी की तरह घटना स्थल का मौका मुआयना किया....मगर बे 1 सितम्बर से गाायब कर संभवतः मार डाली गई भंवरी देवी के बच्चों को सांत्वना देने नहीं गये। क्यों कि उसमें उनकी पार्टी के कददावर नेता तथा केबिनेट मंत्री महीपाल मदेरणा का नाम आ रहा हे। राहुल में वास्तविक साहनुभूती है तो भंवरी के बच्चों के पास पहुच कर उनकी पीडा दूर करें। सुख दुख पूछने में भी राजनैतिक फायदा देखने वाले मात्र अभिनेता या नाटकबाज ही कहलाते हैं।
बोलेरो मिली, भंवरी के नाम से रजिस्टर्ड पर भंवरी की नहीं!
पालनपुर (गुजरात)/जोधपुर/. एएनएम भंवरी देवी के अपहरण में प्रयुक्त शहाबुद्दीन की बोलेरो गाड़ी गुजरात में अंबाजी के पास काणोदर कस्बे में बरामद की गई है। यह बोलेरो एक माह से मिस्त्री के गैराज में पड़ी थी।
आबूरोड में छिपने के दौरान उसने यह बोलेरो ठीक कराने के बहाने इस गैराज में छोड़ी थी। फिर सांचौर के रास्ते बाड़मेर की ओर फरार हो गया। शहाबुद्दीन का अब तक सुराग नहीं लगा है। भंवरी का अपहरण 1 सितंबर को हुआ था।
शहाबुद्दीन 4 सितंबर की सुबह आबूरोड पहुंचा था। वह 7 सितंबर तक वहां छिपा रहा। फिर मिल्कमैन कॉलोनी में रहने वाली अध्यापिका उसके पास पहुंची और दोनों 10 सितंबर तक साथ रहे। इस दौरान ये दोनों 9 सितंबर को गुजरात के बनास कांठा जिले के काणोदर कस्बे में गए।
अपहरण में प्रयुक्त इस बोलेरो को ठीक कराने के बहाने एक मिस्त्री के पास छोड़ दिया। करीब 25 हजार का खर्चा बताने पर शहाबुद्दीन ने उसे 10 हजार रुपए एडवांस भी दिए थे। पुलिस रिमांड पर चल रहे बलदेव से हुई पूछताछ के बाद पुलिस ने यह बोलेरो बरामद की है।
अध्यापिका ने किया पुलिस को गुमराह :
अध्यापिका अपने पति को छोड़ कर कुछ सालों से शहाबुद्दीन के साथ रह रही हैं। उसने पहले पुलिस को बताया था कि वह 10 सितंबर को आबूरोड से जोधपुर आ गईं और शहाबुद्दीन हैदराबाद चला गया। इस सूचना पर पुलिस की टीम हैदराबाद भेजी गई थी। अब काणोदर के मिस्त्री ने बताया कि शहाबुद्दीन, अध्यापिका और दो बच्चे यहां आए थे।
बोलेरो छोड़ कर वे किराए की इनोवा गाड़ी से सांचौर गए, वहां से रोडवेज बस में सवार होकर बाड़मेर की ओर चले गए थे। अध्यापिका यह बात जानती थी, मगर उसने पुलिस को हैदराबाद की जानकारी देकर गुमराह किया।
बोलेरो दूसरी भंवरी के नाम से रजिस्टर्ड
राहुल बताओ , कांग्रेस राज में कहा है भंवरी......?
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गोपालगढ़ पहुचे राहुल ,मुसलमानों को लुभानें की कोशिस
गोपालगढ़। राजस्थान के गोपालगढ़ में उपजी सांप्रदायिक हिंसा पर मरहम लगाने में अब कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी कूद पड़े हैं। करीब एक महीने बाद राहुल गांधी ने आज अचानक गोपालगढ़ का दौरा करके हालात का जायजा लिया। राहुल के इस दौरे को कांग्रेस की अल्पसंख्यकों को लुभाने की मुहिम के तौर पर देखा जा रहा है।
राजस्थान के गोपालगढ़ कस्बे में उपजी सांप्रदायिक हिंसा पर राजनीतिक रोटी सेंकने का दौर बदस्तूर जारी है। इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी अचानक गोपालगढ़ पहुंच गए। उनके इस दौरे की भनक कांग्रेस की राज्य सरकार तक को नहीं थी। यही वजह थी कि इस दौरे में राज्य सरकार का कोई भी प्रतिनिधि नजर नहीं आया। शायद राहुल को एहसास था की स्थानीय मुसलमान गहलोत सरकार और उनके नुमाइंदों से कितना नाराज हैं।
मालूम हो कि इससे पहले कांग्रेस की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने घटना स्थल का दौरा करके अपनी रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंपी थी।
उधर बीजेपी पहले ही अपना प्रतिनिधिमंडल भेजकर राज्य सरकार की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर चुकी है। लांकि दबे छिपे सुरों में कांग्रेस के कई नेता भी ये मानते हैं कि राज्य सरकार सही तरीके से मामले को संभाल नहीं पाई और हालात अचानक बिगड़ गए। दो समुदायों के बीच हुई हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि दर्जन भर घायल हुए थे। अब करीब एक महीने बाद हो रहे राहुल गांधी के दौरे को बीजेपी ज्यादा तूल देती नजर नहीं आती।
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अर्थात राहुल को गोपालगढ़ जीतनी ही चिंता भंवरी की भी करनी चाहिए और कोंग्रेस के राष्ट्रिय महा सचिव ने नाते यह बताना चाहिए की भंवरी कहाँ है....?भवंरी का परिवार पूछे ,
कहां है भंवरी राहुल बताओ......
कांग्रेस के ड्रामेंबाज महासचिव राहुल गांधी ने राजस्थान के दंगाग्रस्त गोपालगढ में नाटकबाजों की तरह पहुंच कर....कुछ पीडितों को सांत्वना दी...और पुलिस अधिकारी की तरह घटना स्थल का मौका मुआयना किया....मगर बे 1 सितम्बर से गाायब कर संभवतः मार डाली गई भंवरी देवी के बच्चों को सांत्वना देने नहीं गये। क्यों कि उसमें उनकी पार्टी के कददावर नेता तथा केबिनेट मंत्री महीपाल मदेरणा का नाम आ रहा हे। राहुल में वास्तविक साहनुभूती है तो भंवरी के बच्चों के पास पहुच कर उनकी पीडा दूर करें। सुख दुख पूछने में भी राजनैतिक फायदा देखने वाले मात्र अभिनेता या नाटकबाज ही कहलाते हैं।
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