गरीबी से तंग पिता ने अपने तीन बच्चों को कुल्हाड़ी से काट दिया



 इन बेवस बच्चों का हत्यारा....वह बाप नहीं ,३२ और २६ रुपये में गरीव को तौलने वाली केंद्र सरकार और अपने नागरिक की चिंता नहीं करने वाली राज्य सरकार है.... श्री राम के राज्य में एकबार एक अकाल मृत्यु हो गई..श्री राम का पूरा प्रसाशन  तंत्र कारण  और निवारण में जुट गया .., राज्य सरकार का यह दायित्व बनता है की वह जानें की कौन भूखा है कौन तंग हाल है... किसे घर में कौन सा दुःख है...! इन्ही व्यवस्थाओं के लिए देश की जनता नें उन्हें चुना है , टेक्स ,शुल्क और संसाधन सोंपें हैं ..,सरकार को अच्छी तरह समझाना चाहिए वह जनता  के  प्रति जबावदेह है...यह घटना सरकारों के स्तर पर चल रही जनता के प्रति संवेदनहीनता हे .....




उत्तर प्रदेश के रमाबाईनगर जिले में मंगलवार सुबह गरीबी से तंग पिता ने अपने तीन बच्चों को कुल्हाड़ी से काट दिया.
बाद में खुद ट्रक के सामने कूदकर जान दे दी.घायल बच्चों में से एक की मौत हो गई, जबकि दो बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है.
एक तरफ पूरा देश दीवाली की खुशियां मना रहा वहीं पर एक मजबूर बाप ने गरीबी की वजह से अपने तीन बच्चों का कुल्हाड़ी से मारकर काट डाला. आप सोच सकते हैं कि वह पिता कितना बेबस रहा होगा जब उससे इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा. और अत: में ट्रक के नीचे आकर उसने खुदकुशी कर ली.     
पुलिस अधीक्षक सुभाष दुबे ने बताया कि बारा गांव में श्रीप्रकाश की पत्नी की मौत तीन साल पहले हो गई थी. उसके चार बच्चे राधा (10), सुधा (7), नीतेश (4) तथा विवेक (3) हैं. श्रीप्रकाश मजदूरी करता था और उसकी आमदनी कम थी, जिस कारण घर में कलह रहती थी.
आज सुबह करीब सात बजे जब बड़ी बेटी राधा बाहर गयी थी तब श्रीप्रकाश ने गुस्से में आकर कुल्हाड़ी से अपनी बेटी सुधा, बेटे नीतेश और विवेक को काट दिया, जिससे तीनों बुरी तरह घायल हो गए. बाद में श्रीप्रकाश ने एक तेज रफ्तार ट्रक के आगे छलांग लगा दी, जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी.
उन्होंने बताया कि बच्चों की चीख पुकार सुनकर आस पड़ोस के लोग मौके पर पहुंचे और तीनों बच्चों को अस्पताल ले जाया गया. रास्ते में एक बच्चे नीतेश (4) की मौत हो गई. जबकि दो गंभीर रूप से घायल बच्चों को कानपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी

राजपूतो की शान रोहणी ठिकाना : सिर कटने के बाद भी लड़ने वाले वीरों की कहानी