गमों के बादल....kavita



- अरविन्द सिसोदिया 
गमों के बादलों ने,
फिर घटाओं का रूप धर कहा, 
हम आ गये, हमें बरसना है।
बेवसी के लवादे को, 
उसकी तरफ उछाल हमनें भी कहा,
जिन्दगी एक बार मिली है प्यारे...
और हमनें उसे जीना सीख लिया है !!
चल भागजा जहां से भी आया है। 
======

- अरविन्द सीसौदिया, कोटा,राजस्थान, 
मर्यादा के दिये में,
पावनता का तेल भरा,
निष्चल प्रेम की बाती से,
आशाओं का दीप जला,
विष्वास का प्रकाश हुआ,
हम जल का बुझ जायें तो क्या,
जग देखे भोर का उजियाला....!! 
======
-अरविन्द सीसौदिया
जो रात रात भर जाग कर,रात को दिन बना लेते हें। 
वे ही फिर उंनींदी आंखों से पूछतें हें कि क्या आप भी जागे थे ???
यदि कोई हमारा सो नहीं पा रहा ...,
तो नींद हमें भी कैसे आ पाती !!!
फेसबुक ने रातों को दिन बना दिया.. क्या करें?
वे भाग्यवान हैं जो काली रात को भी दिन में बदल देते हैं। 
उनके साहस को प्रणाम !!!!
======


टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे....

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

कांग्रेस स्वप्न में भी सत्ता वापसी नहीं कर सकती - अरविन्द सिसोदिया

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की शाखा में जाने के लाभ

हिन्दु भूमि की हम संतान नित्य करेंगे उसका ध्यान

हमें वीर केशव मिले आप जबसे : संघ गीत