जगजीत सिंह - मेरा गी त अमर कर दो
* जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था. पिता सरदार अमर सिंह धमानी भारत सरकार के कर्मचारी थे.जगजीत का परिवार मूलतः पंजाब के रोपड़ ज़िले के दल्ला गांव का रहने वाला है.मां बच्चन कौर पंजाब के ही समरल्ला के उट्टालन गांव की रहने वाली थीं.
* लाखों दिलों को अपनी नज्मों और गजलों से छूनेवाले जगजीत सिंह की गायकी में वह जादू था कि दुनिया भर में उनके प्रशंसकों की तादात खासी है.70 साल के जगजीत सिंह अपनी मखमली आवाज और गजलों के लिए जाने जाते थे. उन्होंने कई फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए.
* पद्मभूषण से सम्मानित गायक एकमात्र ऐसे गायक हैं जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं को अपने दो एल्बम नयी दिशा (1999) और संवेदना (2002) में अपनी आवाज दी.
* होठों से छू लो तुम..फिल्म अर्थ में गाया ये गीत लोगों के ज़ेहन से कभी नहीं उतरेगा.
* तुमको देखा तो ये ख्याल आया...कोई समझेगा क्या राज़ ए गुलशन..अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें...कल चौदहवीं की रात थी ...होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज़ है ...वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी.....
कहां तक गिनाया जाए गज़ल सम्राट जगजीत सिंह ने जो गा दिया वो अनमोल हो गया.
जगजीत सिंह को सभी संगीत को चाहने वालों की तरफ से शत शत श्रद्धासुमन..
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होठों से छू लो तुम
मेरा गी त अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे
मेरी प्रीत अमर कर दो,
होठों से छू लो तुम
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न उम्र की सीमा हो
न जन्म का हो बन्धन,
जब प्यार करे कोई
तो देखे केवन मन,
(नई रीत चला कर तुम
ये रीत अमर कर दो) - २
होठों से छू लो तुम
मेरा गी त अमर कर दो
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आकाश का सूनापन
मेरे तन्हा मन में,
पायल छन्काती तुम
आ जाओ जीवन में,
सासें दे कर अपनी
संगीत अमर कर दो,
संगीत अमर कर दो,
मेरा गीत अमर कर दो
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जग ने छीना मुझसे
मुझे जो भी लगा प्यारा,
सब जीता किये मुझसे
मैं हरदम ही हारा,
तुम हार के दिल अपना
मेरी जीत अमर कर दो
होठों से छू लो तुम
मेरा गी त अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे
मेरी प्रीत अमर कर दो
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