कविता हम शौर्य गाथा सुनाते वन्दे मातरम् शान की, - अरविन्द सिसोदिया 9414180151 मुखड़ा: हम शौर्य गाथा सुनाते, वन्दे मातरम् शान की, भारतमाता के तेजस्वी स्वाभिमान की। गौरव से मस्तक ऊँचा करती,पावन धरा हिंदुस्तान की। हम शौर्य गाथा सुनाते, वन्दे मातरम् शान की,.... अंतरा 1: जहाँ गूँजा वन्देमातरम का पावन नाम, मिटा अंधेरा, जगा स्वाभिमान, लाठी-गोलियों खानें में भी साहस की मुस्कान, वन्दे मातरम् की थी यह निर्भीक पहचान, हम शौर्य गाथा सुनाते वन्दे मातरम् शान की, अंतरा 2: यह गीत नहीं, शक्ति का सागर,ओज का अरमान, उछल तरंगों सा बहता, साहसी तूफान । जग को सिखलाता ये, अमर वीरता की सम्मान , फांसी के फंदों पर भी गूँजता था वन्देमातरम गान। हम शौर्य गाथा सुनाते वन्दे मातरम् शान की, अंतरा 3 अंधियारे को चीर बनता प्रकाश का प्रधान, मन में लाता साहस और उल्लास का उफान भारत माँ के चरणों में अर्पित यह स्वर महान , जय जय मां भारती, वंदन से करते आरती, हम शौर्य गाथा सुनाते वन्दे मातरम् शान की, अंतरा 4: आज भी गूँज में तूफान , संसद हो या सरहद हो, सेना हो या ने...
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