आज ही जन्म लिया था: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने.....











- अरविन्द सीसौदिया , कोटा, राजस्थान

      राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की उपस्थिति भारतीय समाज के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है, माना जाता है कि यह विश्व का सबसे बडा स्वंयसेवी संगठन है। जिसकी शुरुआत प्रखर स्वतंत्रता सेनानी डाॅ. केशव बलीराम हेडगेवार ने सन १९२५ में विजया दसमी के दिन की थी। इसके महत्व के उदाहरण के तौर पर, सन १९६२ के भारत-चीन युद्ध में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ की भूमिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने संघ को सन १९६३ के गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दिया। सिर्फ दो दिनों की पूर्व सूचना पर तीन हजार से भी ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में वहाँ उपस्थित हो गये। मा.माधव सदाशिवराव गोलवलकर अर्थात गुरूजी इस संगठन के दूसरे सरसंघचालक हुये, जिन्हे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समकक्ष लोकप्रिय, बी बी सी लंदन नें एक सर्वे के उपरांत माना था। 
     वर्तमान समय में संघ के दर्शन का पालन करने वाले कतिपय लोग देश के सर्वोच्च पदों तक पहुँचने मे भीं सफल रहे हैं। ऐसे प्रमुख व्यक्तियों में उपराष्ट्रपति पद पर स्व.भैरोंसिंह शेखावत, प्रधानमंत्री पद पर अटल बिहारी वाजपेयी एवं उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री के पद पर लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोग शामिल हैं। वहीं मजदूर क्षैत्र में स्व. दत्तोपंत जी थेगडी सहित अनेक राज्यपाल,मु,ख्यमंत्री,पत्रकार और समाज के सभी क्षैत्रों में प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं। मुरलीमनोहर जोशी, मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, शिराजसिंह चैहान,रमनसिंह और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली आदी भी स्वंयसेवक ही है।
    भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,विश्व हिन्दू परिषद,भारतीय किसान संघ,स्वदेशी जागरण मंच,विद्या भारती और सेवा भारती जैसे अनेकों संगठनों का प्रेरक भी यही संगठन है।

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