केजरीवाल ने मेरी चिट्ठी का जवाब नहीं दिया : अन्ना
अरविंद केजरीवाल ने मेरी चिट्ठी का जवाब नहीं दिया : अन्ना
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आज तक वेब ब्यूरो [Edited By: सौरभ द्विवेदी] | नई दिल्ली, 19 फरवरी 2014
अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक गुरु अन्ना हजारे ने आखिरकार आम आदमी को बड़ा झटका दे दिया. अन्ना ने बुधवार को ममता बनर्जी के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता को राजनीतिक समर्थन की घोषणा कर दी. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका समर्थन किसी पार्टी को नहीं बल्कि ममता के विचारों को है, वहीं सीपीएम ने इसे महज एक तमाशा बताया है.
नई दिल्ली में समर्थन की घोषणा करते हुए अन्ना ने कहा, 'मैंने 17 मांगों की चिट्ठी हर पार्टी को भेजी थी. अरविंद केजरीवाल ने मेरी चिट्ठी का जवाब नहीं दिया. ममता ने दिया. मैं जो दीदी को सपोर्ट किया. वो व्यक्ति या पार्टी समझकर नहीं किया है. समाज और देश के प्रति जो उनके विचार हैं, उस विचार को मैं सपोर्ट कर रहा हूं.'
ममता सच नहीं झूठ का प्रतीक
दूसरी ओर अन्ना के समर्थन को सीपीएम की सांसद ऋताब्रत बनर्जी ने महज तमाशा करार दिया है. उन्होंने कहा, 'मुझे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है. ममता बनर्जी का नाम खुद शारदा चिटफंड स्कैम में शामिल है. सच तो यह है कि वह सच का प्रतीक नहीं बल्कि झूठ का प्रतीक हैं. यह एक ऐसी सरकार है जो लोकतांत्रिक मानकों और सिद्धांतों के खिलाफ चलती है.'
पढ़िए और क्या कहा अन्ना हजारे ने, उन्हीं के शब्दों में ज्यों का त्यों...
'मैंने अपना पूरा जीवन समाज और देश की सेवा में लगा दिया है. हमेशा देश और समाज की सोच दी है. पहली बार समाज और देश की सोच करने वाली व्यक्ति मुझे जब दिखाई दिया. वो दीदी है. इसीलिए मैं उसको सपोर्ट कर रहा हूं. पहली बार मुझे जो उनके विचार मैंने सुने हैं. और उनका जीवन को मैंने समझा है. इसके कारण मैं उनको सपोर्ट कर रहा हूं. एक मुख्यमंत्री के नाते, वो अपना जीवन आलीशान ढंग से बिता सकती थीं. जो आज कई मंत्री बिता रहे हैं. लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री होते भी सरकार की गाड़ी, बंगला और तनख्वाह नहीं ली. ये जो त्याग की भावना है. भारत की भूमि हजारों साल से कहती आई है कि समाज और देश के लिए किसी न किसी को त्याग करना पड़ता है. त्याग के बिना समाज और देश की भलाई नहीं होती. वो विचार मुझे दीदी के जीवन में जो दिखाई दे. इसके कारण मैं इनको सपोर्ट किया.
मैंने समाज और देश के उज्जवल भविष्य के लिए, हर पक्ष और हर पार्टी के लिए ये 17 मुद्दे जो लिखे थे. उन 17 मुद्दों में हम देश का भविष्य बदल सकते हैं. ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. चार महीना पहले मैंने हर पक्ष और पार्टी को ये पत्र लिखा था. लेकिन उसमें से सिर्फ ममता जी ने उसका जवाब दिया. उन्होंने कहा कि आपके जो 17 मुद्दे हैं, अगर मैं सत्ता में आती हूं तो उन्हें अपनाउंगी. उन्होंने ये भी कहा कि आप 17 मुद्दों की बात करते हैं, उसमें कई मुद्दे हम पहले ही अपने राज्य में अपना चुके हैं. मैं जरूर इसको अपनाने के लिए तैयार हैं. ऐसे उन्होंने पत्र में मुझे मैसेज भेजा. ये मुद्दे ऐसे हैं.
- भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए, लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन अविलंब किया जाएगा.
- कामकाज में पारदर्शिता, व्हिसलब्लोअर के लिए कानून पास, सिटीजन चार्टर.
- देश की सुरक्षा के मामले छोड़कर सरकार के हर फैसले की फाइल दो साल के बाद सार्वजनिक की जाए. कोई भी देख सकता है. आज फाइल छुपाकर रखते हैं, इसलिए करप्शन बढ़ता है.
- गांव को इकाई मानकर देश की प्लानिंग किया जाएगा. कोई भी पक्ष और पार्टी गांव का नाम नहीं लेती. बड़ी कंपनियों और बाजारीकरण के बारे में सोचती है. बाजार इस देश को भविष्य नहीं दे पाएगा. महात्मा गांधी कहते थे कि देश को बदलना है, तो गांव को बदलना होगा.
- गांव को मुख्य प्रशासनिक इकाई बनाया जाएगा. ग्राम सभा को अधिकार दिया जाएगा. संसद की तरह यहां भी गांव की पंचायत ग्राम सभा को जवाबदेह होगी.
- गांव को इकाई मानकर कृषि का नियोजन किया जाएगा. इस देश को बदलने के लिए कृषि यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है. आज हम देख रहे हैं कि बडी़-बड़ी कंपनी आ रही है और किसानों की जमीन जबरदस्ती छीनने का प्रयास हो रहा है. अगर किसी किसान ने जमीन नहीं दी, तो डंडे चला रहे हैं. डंडे से काम नहीं हुआ, तो गोली चला रहे हैं. क्या यही हमारी आजादी है. तो फिर अंग्रेजों में और हमारे में क्या फर्क रह जाएगा.
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम में किसानों के हित के लिए कानून लाया जाएगा.
- ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलंबी होने का लक्ष्य रखा जाएगा. हर गांव में उसका अपना बिजली घर होगा. ये कई लोगों को ऐसे महसूस होता होगा कि दीदी सत्ता में आने की छटपटाहट में हैं. उनके हाथ क्या जादू की छड़ी होगी. मुझे विश्वास है कि हम सही प्लानिंग किया और ये 17 मुद्दे अमल में आ गए, तो देश बदल जाएगा. ये भाषण नहीं है, जमीन पर प्रयोग किए हैं. देश की अर्थ नीति कैसे बदलती है ये प्रयोग कर दिखा दिए.
- बुनियादी ढांचे का निर्माण प्राथमिकता पर किया जाएगा.
- चुनाव प्रक्रिया में व्यापक सुधार का कानून लाया जाएगा.
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