महाशिवरात्रि Maha Shiv Ratri







महाशिवरात्रि
- रजनी भारद्वाज , जयपुर
महाकाल शिव की आराधना का महापर्व है ---शिवरात्रि।
प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी शिवरात्रि कहलाती है
लेकिन फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी महाशिवरात्रि कही गई है।
इस दिन शिवोपासना भक्ति एवं मुक्ति दोनों देने वाली मानी गई है,
क्योंकि इसी दिन अर्धरात्रि के समय भगवान शिव लिंगरूप में प्रकट हुए थे

ईशान संहिता के अनुसार
इस दिन ज्योतिर्लिग का प्रादुर्भाव हुआ
जिससे शक्तिस्वरूपा पार्वती ने मानवी सृष्टि का मार्ग प्रशस्त किया।

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही महाशिवरात्रि मनाने के पीछे कारण है कि
इस दिन क्षीण चंद्रमा के माध्यम से पृथ्वी पर अलौकिक लयात्मक शक्तियां आती हैं
जो जीवनीशक्ति में वृद्धि करती हैं।
यद्यपि चतुर्दशी का चंद्रमा क्षीण रहता है,
लेकिन शिवस्वरूप महामृत्युंजय दिव्यपुंज महाकाल आसुरी शक्तियों का नाश कर देते हैं।

यह काल वसंत ऋतु के वैभव के प्रकाशन का काल है।
ऋतु परिवर्तन के साथ मन भी उल्लास व उमंगों से भरा होता है।
यही काल कामदेव के विकास का है
और कामजनित भावनाओं पर अंकुश भगवद् आराधना से ही संभव हो सकता है।
भगवान शिव तो स्वयं काम निहंता हैं,
अत: इस समय उनकी आराधना ही सर्वश्रेष्ठ है।

शिवरात्रि व्रत की पारणा चतुर्दशी में ही करनी चाहिए।
शिव को बिल्वपत्र, धतूरे के पुष्प, भांग अति प्रिय हैं।
एवम इनकी पूजा के लिये दूध,दही,घी,शकर,शहद (पन्चामृत) को काम में लिया जाता है ....

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कांग्रेस गठबंधन में दरार को प्रमाणित करता है, उपराष्ट्रपति चुनाव

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

श्री मोहन भागवत जी हमेशा " एक भारत - श्रेष्ठ भारत " के समर्थक रहे हैँ - नरेन्द्र मोदी

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

अतिवृष्टि में गायब कांग्रेस, छेंप मिटाने की नौटंकी कर रही है - अरविन्द सिसोदिया bjp rajasthan kota

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

पितृ सूक्त पाठ - पितृ दोषों से मुक्ति Pitra Sookta

भाजपा प्रधानमंत्री मोदीजी के जन्मदिन पर, पूरे देश में 17 सितम्बर से सेवा पखवाड़ा शुरू करेगी