वैज्ञानिक शोध पर खर्च : भारत बहुत पीछे
देशको जानबूझ कर पीछे कर रही है कोंग्रेस …
भारत सरकार विदेशी गुलामी में अपने देश की वैज्ञानिकता को उन्नत नही कर रही है । ईसाई देशों को फायदा पहुचानें कि मानसिकता वाली कोंग्रेस हमारे देश के लिए बोझ बन गई है ! इस समय भारत को एक देशभक्त राजनैतिक दल की सरकार चाहिए जो भारतीय जनता पार्टी ही दे सकती है ।
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वैज्ञानिक शोध पर खर्च के मामले में भारत बहुत पीछे
Fri, 07 Feb 2014
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वाशिंगटन। वैश्विक रूप से वैज्ञानिक शोध एवं विकास के क्षेत्र में खर्च को लेकर भारत बहुत पीछे है। इस क्षेत्र में अमेरिका सबसे आगे है। हालांकि इस क्षेत्र में खर्च में वृद्धि को लेकर चीन सबसे आगे है। अमेरिका की एक आधिकारिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
2011 में विश्व भर में शोध एवं विकास पर करीब 1435 अरब डॉलर (89 लाख करोड़ रुपये) खर्च हुए। विश्व में इस क्षेत्र में हुए कुल खर्च के बारे में यह नवीनतम जानकारी है। इसके मुताबिक 2007 में भारत ने इस पर केवल 24 अरब डॉलर (करीब एक लाख करोड़ रुपये) की राशि खर्च की थी। 2001 में विश्व में इस क्षेत्र में करीब 753 अरब डॉलर (करीब 47 लाख करोड़ रुपये) की राशि खर्च हुई थी।
नेशनल साइंस बोर्ड द्वारा गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक में वैज्ञानिक शोध एवं विकास के लिए हुए खर्च में करीब 6.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। अमेरिका ने 2010 में शोध एवं विकास पर 407 अरब डॉलर (करीब 25 लाख करोड़ रुपये) की राशि खर्च की थी। जबकि 2011 में उसने इस पर 424 अरब डॉलर (करीब 26 लाख करोड़ रुपये) खर्च किए।
2011 में शोध एवं विकास पर हुए वैश्विक खर्च के मामले में अमेरिका चोटी पर रहा और इस खर्च में उसका हिस्सा 30 प्रतिशत से कुछ कम था। जबकि 2001 में इस क्षेत्र में हुए वैश्विक खर्च में अमेरिका का हिस्सा 37 प्रतिशत था। वहीं 2001-2011 की अवधि में चीन में शोध एवं विकास पर होने वाले खर्च में वृद्धि हुई है। चीन ने 2011 में इस क्षेत्र में 208 अरब डॉलर (करीब 13 लाख करोड़ रुपये) खर्च कर विश्व में दूसरा स्थान पाया। 2001-2011 के दौरान चीन ने शोध एवं विकास पर खर्च में प्रति वर्ष औसतन 20.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि की है।
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वर्ष 2030 तक विश्व की महाशक्ति बनेगा भारत: रिपोर्ट
Tue, 11 Dec 2012
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वाशिंगटन। वर्ष 2030 तक भारत विश्व में उभरती हुई आर्थिक महाशक्तिओं में शामिल हो जाएगा। अमेरिकी खुफिया विभाग की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 तक आर्थिक तौर पर भारत अन्य राष्ट्रों के मुकाबले काफी आगे निकल जाएगा। वहीं आने वाले समय में चीन की शक्ति कहीं न कहीं धूमिल हो जाएगी।
नेशनल इंटेलिजेंस काउंसिल (एनआईसी) ने वैश्विक रुझानों और 2030 के दुनिया की कल्पना कर एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आने वाले समय में भारत विश्व की महाशक्ति में शामिल हो जाएगा।
गौरतलब है कि आज चीन उस कगार पर खड़ा है। लेकिन कल भारत आर्थिक, रक्षा व अन्य कई मुद्दों पर चीन को पछाड़ देगा। चीन की आर्थिक वृद्धि आज 8 से 10 प्रतिशत है। 2030 तक यह केवल बीते कल की बात हो जाएगी। हालांकि आने वाले समय में दोनों राष्ट्रों के लिए अपनी अर्थ व्यवस्था को संभाले रखना काफी मुश्किल काम होगा। जिस कदर दोनों राष्ट्रों में जन संख्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में दोनों राष्ट्रों के लिए विकास दर को बरकरार रखना कठिन कार्य है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2016 तक चीन में कामगार लोगों की संख्या सबसे अधिक होगी लेकिन वहीं वर्ष 2030 तक चीन की आबादी 994 मिलियन से घटकर 961 मिलियन हो जाएगी। दूसरी ओर भारत में कामगार लोगों की संख्या वर्ष 2015 से 2050 तक बढ़ेगी। ऐसे में देखा जा रहा है कि दोनों की समयसीमा में काफी अंतर है।
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