'ऐ मेरे वतन...' न होता तो हम भूल जाते शहीदों को : नरेंद्र मोदी



'ऐ मेरे वतन...' न होता तो हम भूल जाते शहीदों को: मोदी
नवभारतटाइम्स.कॉम | Jan 27, 2014,
मुंबई
1962 में चीन से युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों की याद में 1963 में गाए गए गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों...' का स्वर्ण जयंती समारोह मुंबई में मनाया गया। इस गाने को गाने वाली मशहूर गायिका लता मंगेशकर को बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया। समारोह में परमवीर चक्र, महावीर चक्र और अन्य वीरता पुरस्कार प्राप्त 100 से अधिक लोगों को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर बीजेपी के पीएम कैंडिडेड नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर कवि प्रदीप ने यह गीत नहीं लिखा होता तो शायद 1962 के शहीद हमें याद न होते।
लता ने 27 जनवरी 1963 को पहली बार यह गीत गाया था। लता के साथ वहां मौजूद 1,42,000 लोगों ने सुर मिलाए। लता ने कहा कि नरेंद्र मोदी मेरे भाई हैं। उनसे सम्मान पाकर मैं खुश हूं। उन्होंने बताया कि जब पहली बार मैंने यह गीत गाया था तो पंडित नेहरू बहुत खुश हुए थे। इंदिरा गांधी ने अपने दोनों बच्चों से मुझे मिलवाया था। अब तक देश के बाहर 101 शो में मैं यह गाना गा चुकी हूं।
इस मौके पर मोदी ने कहा कि आज से ठीक 50 साल पहले गाया गया यह गीत आज भी गूंजता है। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर प्रदीप जी ने यह गीत नहीं लिखा होता तो शायद 1962 के शहीद हमें याद न होते।

गौरतलब है कि लता मंगेशकर ने गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हुए कहा था कि वह चाहती हैं कि मोदी देश के पीएम बनें। पुणे में एक हॉस्पिटल के उद्घाटन के दौरान मोदी की मौजूदगी में लता ने कहा था, 'आज दिवाली है...मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि हम जो चाहते हैं, आप जो चाहते हैं। वह पूरा हो। मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें।'
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नरेंद्र मोदी: ऐ मेरे वतन के लोगों..

09:46 PM'वंदे मातरम्' गाने के वक्त एक साथ खड़े नरेंद्र मोदी और लता मंगेशकर।
09:41 PMमशहूर देशभक्ति गीत, 'ऐ मेरे वतन के लोगो...' के स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित समारोह संपन्न। ' वंदे मातरम्' गीत के साथ संपन्न हुआ कार्यक्रम।
09:37 PM1,42,000 लोगों के साथ 'ऐ मेरे वतन के लोगो...' को गातीं लता मंगेशकर।
09:31 PMनरेंद्र मोदी और लता मंगेशकर के साथ मिलकर कुल 1,42,000 हजार लोग एक साथ 'ऐ मेरे वतन के लोगो...' गाना गा रहे हैं।
09:29 PMनरेंद्र मोदी ने कहा, सेना का काम सिर्फ युद्ध लड़ना नहीं होता, वह सेवा का भी काम करती है। गुजरात का भूकंप और उत्तराखंड में आई तबाही में मैंने सेना का सेवा कार्य देखा है। यह सब देखकर मेरा सिर गर्व से ऊंचा हो उठता है। मोदी बोलें, सैनिक दुश्मन के लिए काल और अपनों के लिए जान बन कर आते हैं।
09:24 PMवाजपेयी जी की सरकार में शहीदों के शव को उनके घर तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया था। इसका समाज में व्यापक असर दिखा। पूरा समाज शहीदों के सम्मान में उमर जाता था: नरेंद्र मोदी
09:20 PMदेश के विश्वविद्यालयों में युद्ध इक्विपमेंट बनाने का सिलेबस भी शामिल किया जाना चाहिए: नरेंद्र मोदी
09:18 PMमोदी बोलें, युद्ध नया रूप ले रहा है। साइबर वॉर। एक भी गोली चलाए बिना देश की इकॉनमी को नष्ट किया जा सकता है। चाइना इस का प्रयोग कर रहा है। हमें भी इस क्षेत्र में तुरंत काम शुरू करना चाहिए।
09:16 PMमोदी बोलें, देश को सही नेतृत्व मिले। उचित नीतियां बने तो 10 साल के भीतर देश की तकदीर बदल जाएगी।
09:13 PMवॉर मेमोरियल पर चुटकी लेते हुए मोदी ने कहा, शायद कुछ अच्छे काम मेरे हाथों ही लिखा है।
09:12 PMमोदी ने कहा, शायद सिर्फ हमारे देश में ही वॉर मेमोरियल नहीं है। दुनिया के अधिकतर देशों में वॉर मेमोरियल है।
09:10 PMनरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर देश के लिए जीने वाले नहीं मिलेंगे तो देश के लिए मरने वाले कहां मिलेंगे। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
09:09 PMमोदी ने कहा, हमने युद्ध के अंदर जितने सेना के जवान गवाएं उससे ज्यादा आतंकवादी हमलों में गवाएं हैं।
09:07 PMमोदी बोलें, समाज वीरता की पूजा करता है। योद्धाओं की पूजा करता है। उनके पराक्रम का गान करता है।
09:06 PMमोदी ने कहा, अगर प्रदीप जी ने यह गीत नहीं लिखा होता तो शायद हमें 1962 के शहीद याद न होतें।
09:04 PMमोदी ने कहा, आजादी की लड़ाई में 'वंदे मातरम्' हमारा सबसे बड़ा हथियार था। आजादी के बाद 'ऐ मेरे वतन के लोगो...' ने 4 दशक तक हमें प्रेरणा दिया है।
09:02 PMनरेंद्र मोदी ने कहा, ठीक 50 साल पहले गाया गया यह गीत आज भी गूंजता है।
08:59 PMनरेंद्र मोदी ने मंच पर बैठे लोगों का स्वागत कर शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मोदी ने भाषण शुरू किया।
08:57 PMशहीद गौरव समिति के पदाधिकारियों ने नरेंद्र मोदी का सम्मान किया।
08:54 PMलता मंगेशकर के साथ लाखों लोग गा रहे हैं 'ऐ मेरे वतन के लोगो...'
08:53 PMलता मंगेशकर ने कहा, नरेंद्र मोदी मेरे भाई हैं, उनसे सम्मान पाकर मैं खुश हूं।
08:53 PMभारत के बाहर 101 शोज में मैंने यह गाना गाया है। हर जगह यह गाना गाने के लिए लोग मुझसे आग्रह करते थे।
08:51 PMलता मंगेशकर बोलीं, जब मैंने 'ऐ मेरे वतन के लोगो...' को गाया तो पंडित नेहरू बहुत खुश हुए। इंदिरा गांधी ने अपने दोनों बच्चों से मुझे मिलवाया।
08:50 PMशहीदों के नाम इस कार्यक्रम में बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर को सम्मानित किया।
08:46 PMनरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर को सम्मानित किया।
08:39 PMलता मंगेशकर और नरेंद्र मोदी ने सनी देओल और सुनील शेट्ठी को सम्मानित किया।
08:38 PMजनरल (रिटायर्ड) वी.पी. मलिक ने लता मंगेशकर से 'ऐ मेरे वतन के लोगों...' गाने को एक बार फिर गाने का आग्रह किया।
08:36 PM'ऐ मेरे वतन के लोगों...' गाने का इतना असर था कि हमने आज तक कभी भी किसी को अपना बॉर्डर छीनने नहीं दिया है। हमने हर दुश्मन को भगा दिया: जनरल (रिटायर्ड) वी.पी. मलिक
08:32 PMकार्यक्रम में लाखों की संख्या में लोग मौजूद। पूर्व सेनाध्याक्ष जनरल वी.पी. मलिक कार्यक्रम को संबोधित।
08:24 PMअभी नरेंद्र मोदी मुबई हमलों के दैरान शहीदों को सम्मानित कर रहे हैं। यह कार्यक्रम शहीद गौरव समिति द्वारा आयोजित किया गया है।
08:19 PMगौरतलब है कि आज के ही दिन 27 जनवरी 1963 को भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों की याद में लता मंगेशकर ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों...' को पहली बार गाया था।
08:18 PMपरमवीर चक्र, महावीर चक्र और अन्य वीरता पुरस्कार प्राप्त 100 से अधिक लोगों को इस समारोह में सम्मानित किया जाएगा
08:18 PMकार्यक्रम में देश के शहीद जवानों के परिवारों के सदस्य भी शामिल।
08:18 PMइस मौके पर नरेंद्र मोदी मोदी लता मंगेशकर को सम्मानित भी करेंगे।
08:18 PMमुंबई में बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और लता मंगेशकर एक मंच पर मौजूद।
08:14 PMमशहूर गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों...' का स्वर्ण जयंती समारोह मुंबई में मनाया जा रहा है।
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‘ऐ मेरे वतन के लोगों...’ गीत से जुड़ी यादें
आईबीएन-7 | Jan 27, 2014
नई दिल्ली। 50 वर्षों से देशभक्ति का ज्वर जगाने वाले गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' का सोमवार को मुंबई में स्वर्ण जयंति समारोह मनाया गया। 27 जनवरी 1963 को इसे पहली बार दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने गया था। तब से देशभक्ति के लोकप्रिय तरानों के बीच इसकी खास जगह है, जिसके पीछे है अनगिनत कहानियां। कहानियां-62 के जंग के वीर सपूतों कीं। कहानियां-देश के लिए कुछ गुजरने की आम नागरिकों के जज्बे की। 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत के 51 बरस के हो जाने पर पेश हैं, इसी गीत की अमर कहानी।

20 अक्टूबर 1962, पूर्वोत्तर सरहद पर सुबह करीब चार बजे का मंजर खौफनाक था। चीटियों की तरह चीनी हमारी जमीन पर घुस आए। जांबाजों ने उनके रास्ते पर लाशों की दीवार खड़ी कर दी। लेकिन कुर्बानी काम नहीं आई। चीनियों के हाथ मिली हार से सदियों की परंपरा, संस्कृति, इतिहास की बुनियाद पर खड़ा स्वाभिमान जख्मी हो गया। चीनियों के छल से मुल्क गहरे सदमे में चला गया।

उस दौर में इन शब्दों ने सचमुच हिंदुस्तान को एक शर्मनाक हार की टीस भुलाने की ताकत दी। भावनाओं का ऐसा ज्वार पैदा हुआ, जिसकी बदौलत हिंदुस्तान अपनी राख से जी उठने वाले गरुड़ पक्षी की तरह नई परवाज के लिए बेताब हो उठा। लेकिन जब पहली बार ये गीत गाया गया तो लगा कि चीन के धोखे से चोट खाया हिमालय भी रो पड़ा।

27 जनवरी 1963, आज से पचास साल पहले की यही वो तारीख है जब दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में करीब 50 हजार हिंदुस्तानियों के हुजूम के सामने पहली बार ये गीत गूंजा था। दिल्ली में हुए उस समारोह में कवि प्रदीप नहीं थे। लेकिन उनके लिखे गीत के एक-एक शब्द पंडित जवाहर लाल नेहरू को उद्वेलित कर रहे थे। दरअसल 62 की जंग में मिली हार से नेहरू व्यक्तिगत रूप से खुद को ठगा महसूस कर रहे थे। संसद में उन्होंने कहा था 'हम आधुनिक दुनिया की सच्चाईयों से दूर हो गए थे, हम एक बनावटी माहौल में जी रहे थे जिसे हमने खुद ही तैयार किया था।'

नेहरू हिंदी-चीनी भाई-भाई के बनावटी माहौल को भूल कर सच का सामना करना चाहते थे। जिस दिन लता मंगेशकर ने नेशनल स्टेडियम में ऐ मेरे वतन के लोगों गीत गया, उसके ठीक एक दिन पहले 14वां गणतंत्र दिवस मनाया गया था, ये इकलौती गणतंत्र दिवस परेड है जिसका नेतृत्व देश का प्रधानमंत्री खुद कर रहा था।

इसी माहौल में कवि प्रदीप के गीत ने करोड़ों भारतवासियों को एकता के सूत्र में पिरो दिया। नेहरू उस कवि से मिलना चाहते थे जिसके गीत ने एक झटके में हिंदुस्तान को उसकी खोई ताकत-इतिहास और क्षमताओं की याद दिला दी, जल्दी ही ये मौका भी आया। 21 मार्च 1963 को पंडित नेहरू मुंबई आए तब मुंबई के रॉबर्ट मोय हाई स्कूल में एक कार्यक्रम के दौरान कवि प्रदीप की उनसे मुलाकात हुई। नेहरू के कहने पर प्रदीप ने अपनी आवाज में ऐ मेरे वतन के लोगों गाकर सुनाया, उन्होंने नेहरू को इस गीत समेत अपने कई गीतों की अपनी हाथ से लिखी डायरी भेंट की। उन्होंने नेहरू को ये भी बताया कि इस गीत को लिखने की प्रेरणा उन्हें कैसे मिली।
रेजांगला दर्रे की जंग की याद : ‘ऐ मेरे वतन के लोगों...’
ये इत्तेफाक नहीं है कि ऐ मेरे वतन के लोगों गीत की एक-एक लाइन उत्तर के मोर्चे पर चूशलू के पास 17 हजार फुट की ऊंचाई पर लड़ी गई रेजांगला दर्रे की जंग की याद दिलाती है। इसी जंग में परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह शहीद हो गए थे।

18 नवंबर 1962 की को बर्फीले तूफान की आड़ में चीनियों ने रेजांगला दर्रे पर मौजूद हिंदुस्तानी चौकियों को घेर लिया था। कुमाऊं रेजीमेंट की 123 जांबाजों की छोटी सी कंपनी तीन पलाटून में बंट कर दर्रे की रक्षा कर रही थी। जांबाजों ने चीनियों के लगातार दो हमलों को सिर्फ बहादुरी की बदौलत पीछे धकेल दिया। तीसरा और सबसे बड़ा हमला पीछे से हुआ। आखिरकार एक प्लाटून अपने आखिरी जवान तक लड़ते हुए खत्म हो गई, दूसरी प्लाटून आखिरी गोली तक लड़ती रही, कुछ नहीं मिला तो संगीनों और पत्थरों तक से जवानों ने चीनियों का मुकाबला किया।

आखिरी हमले में ही मेजर शैतान सिंह बुरी तरह जख्मी हो गए थे। उनके जवान उन्हें एक चट्टान के पीछे छोड़ गए थे, जहां अपनी बंदूक मुट्ठी में भींचे हुए उन्होंने आखिरी सांस ली। युद्ध के अंत में सिर्फ 14 जांबाज बचे, 9 बुरी तरह से जख्मी थे। हमलावर चीनियों के मृतकों और जख्मियों की तादाद कई सौ में थी। कवि प्रदीप ने रेजांगला की इसी लड़ाई को गीत बना कर हमेशा के लिए अमर कर दिया।
 

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