भारत को संवारना है तो हिन्दु समाज को आगे बढ़ाना ही होगा - परमपूज्य मोहनजी भागवत




‘‘व्यक्ति-व्यक्ति में जगाये - राष्ट्र चेतना’’
राष्ट्र को भाग्य उदय करना ही हमारा दायित्व - परमपूज्य मोहनजी भागवत
भारत को संवारना है तो हिन्दु समाज को आगे बढ़ाना ही होगा - परमपूज्य मोहनजी भागवत 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक परमपूज्य माननीय मोहनजी भागवत ने कोटा विभाग के स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण को सम्बोधित करते हुये कहा कि ” यहां पर सिर्फ स्वयंसेवकों का कार्यक्रम है। स्वयंसेवक यहां सुनने नहीं कार्य करने के उद्देश्य से आये है। स्वयं का आत्म चिंतन करते हुये संघ कार्य को आगे बढ़ाने हेतु सोचना पड़ेगा। जिस चिंतन के लिये हम आये हंै। उसको पूरा करने हमारा लक्ष्य होना चाहिये।  कुछ करने की आवश्यकता होगी ंतभी विचार मन आयेगें। हम हिन्दु राष्ट्र के अंग है। यह गौरव की बात है। विपरित परिस्थितियां हो तब हमें अपना कार्य अधिक सजगता से पूर्ण करना हमारी प्रतिब्धता हो जाती है। हमारे राष्ट्र में जो बुरी प्रवृत्तियां आयीं हैं वह हमारे सामने टिक नहीं पायेंगी। “
मा. भागवत जी ने कहा कि ” पहले हम स्वयं को राष्ट्र सेवा के लिये तैयार करे फिर दूसरे को कहे। राष्ट्र को भाग्य उदय करना ही हमारा दायित्व होना चाहिये। भारत को संवारना है तो हिन्दु समाज को आगे बढ़ाना ही होगा। स्वार्थ भावना हो छोड़कर हिन्दु यदि भारत के बारे में विचार करेगा तभी भारत देश, विश्व में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करेगा।  संघ कार्य ईश्वरीय कार्य मानकर चलना ही हमारा उद्देश्य है। हमें समाज मेें सावधान रहकर हमारे आचरण को स्वच्छ रखना चाहिये। पूर्ण अनुशासन में रहते हुये हम अपने कार्य को करेगें और तभी हमारे धैर्य को पा सकेगें । राष्ट्र को बनाने का कार्य ही हम करते है। “
मा. भागवत जी ने कहा हमारी शक्ति का उपयोग हिन्दु राष्ट्र के लिये करे। तभी हमारी सेवा राष्ट्र के प्रति होगी। तेरे वैभव असर रहे मां हम रहे या ना रहे यह विचार मन में लेकर हमें अपने कार्य के प्रति दृढ़ प्रतिज्ञ होना होगा।

कोटा , दिनांक 19 जनवरी 2014 रविवार को , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोटा विभाग के कोटा महानगर, कोटा जिला एवं बून्दी जिले के स्वयंसेवक का एकत्रिकरण महाराव उम्मेदसिंह स्टेडियम कोटा में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में हजारो की संख्या में गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया। स्वयंसेवक नेकर, कमीज, टोपी के साथ पूर्ण गणवेश में थे। कार्यक्रमें सर्व प्रथम संघ प्रार्थना एवं ध्वज प्रणाम के साथ प्रारम्भ हुआ।

मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक माननीय मोहन जी भागवत, क्षेत्रीय संघचालक पुरुषोत्तम पंराजपे, प्रान्त संघचालक भगवती प्रसाद एवं विभाग संघ चालक प्रभाष चन्द्र जी तैलंग मंचासीन थे।
कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने सर्वयोग, सूर्यनमस्कार सहित अनेक योगों को प्रदर्शित किया। आकर्षित शारीरिक प्रदर्शन घोष (बेण्ड) की धुन पर किया गया। सभी स्वयंसेवकों ने सुभाषितम एवं स्वामी विवेकानन्द के द्वारा कहे अमृत वचन ‘‘अपना सारा ध्यान एक ही ईश्वर पर लगाओ हमारा देश ही, हमारा जागृत देवता है।’’ उसके बाद सामूहिक गीत गान किया जिसमें प्रमुख गान ‘‘व्यक्ति-व्यक्ति में जगाये - राष्ट्र चेतना’’

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