मजहब बदलने से पुरखे, तहजीब और वतन नहीं बदलता - इन्द्रेश कुमार



मुम्बई में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की त्रिदिवसीय कार्यशाला
तारीख: 04 Jan 2014
मजहब बदलने से पुरखे, तहजीब और वतन नहीं बदलता
" इंडोनेशिया में 27 करोड़ मुसलमान रहते हैं। पर उनके हवाई अड्डे पर घटोत्कच का चित्र है, बजरंग बली की मूर्ति है। वे कहते हैं कि हम राम-कृ ष्ण की संतानें हैं, हमने मजहब बदला, पुरखे नहीं। हिंदुस्थान के मुसलमानों का भी यही सच है। जिस दिन इसको स्वीकार करोगे, सच को अपने आप समझ जाओगे। "
-इन्द्रेश कुमार मार्गदर्शक, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच

गत 14-16 दिसंबर,2013 तक मुम्बई के निकट उत्तन में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने अपनी प्रथम अखिल भारतीय कार्यशाला का आयोजन किया। इसको सम्बोधित करते हुए मंच के मार्गदर्शक श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि अधिकार मनुष्य को जुल्मी बना देता है, और कर्तव्य का बोध प्रेम और अपनेपन की भावना को बढ़ाता है। इसलिए हमारा यह मंच अधिकारों पर आधारित नहीं है, वरन् कर्तव्य पर आधारित है। उन्होंने कहा फर्ज इबादत है। तानाशाही कमजोरों का रास्ता है।
उन्होंने कहा कि आज भारत में हर जगह मजहबी आदमी मिलता है, लेकिन मजहब के सिद्घांतों को ठीक से नहीं समझ पाता तो वह कट्टरवादी बन जाता है। हमने देश के लिए कुरबानी देने का संकल्प लिया है, और उसके बदले कुछ लेने का इरादा नहीं है। देने में इबादत है, कुरबानी है, और लेने में व्यापार है, स्वार्थ है। इसी तर्ज पर हमने इस तंजीम   (संगठन) को आगे बढ़ाया है। मुझे तंजीम से क्या मिला यह सोचना गलत होगा।
मंच के कार्य के महत्व को समझाते हुए श्री इन्द्रेश कुमार ने बताया कि हम जो कार्य कर रहे हैं किसी और को यह मौका नहीं मिलेगा। इसलिए हम कुरबानी के जज्बात के साथ जीना सीखें।
उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमान अपने बच्चों को शिक्षा दिलाएं। इसलिए मंच ने नारा दिया है कि ' आधी रोटी खाएंगे, बच्चों को पढ़ाएंगे ' और ' तालीम जिन्दगी के लिए और जिन्दगी वतन के लिए।'
उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि हम सभी के पुरखे एक हैं। मजहब बदलने से पुरखे, तहजीब और वतन नहीं बदलता। मजहब से दीन (धर्म) पर चलो, आदम से आदमी बनकर चलो। जिस दिन यह साहस करोगे सभी प्रश्नों के उत्तर दे सकोगे। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया में 27 करोड़ मुसलमान रहते हैं। पर उनके हवाई अड्डे पर घटोत्कच का चित्र है, बजरंग बली की मूर्ति है। वे कहते हैं कि हम राम-कृ ष्ण की संतानें हैं, हमने मजहब बदला पुरखे नहीं। हिंदुस्थान के मुसलमानों का भी यही सच है। जिस दिन इसको स्वीकार करोगे, सच को अपने आप समझ जाओगे। राजनीतिक षड्यंत्रों से बचने की बात पर जोर देते हुए इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सियासत में मत फंसो। समाज को अपराध की भट्ठी में झोंकने का काम नेता करते हैं।
इन्द्रेश कुमार ने आगे कहा कि बम विस्फोटों में जो पकड़े गए वे सब मुसलमान थे और गैर-भाजपा शासन में पकड़े गए। लेकिन बदनामी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्यों? इन सब बातों को हमें समझना और समझाना चाहिए। 2014 चुनाव की दृष्टि से देश के लिए महवपूर्ण वर्ष है। मुसलमान को विश्वास के साथ जीना चाहिए किसी के बहकावे में आकर नहीं।
इस त्रिदिवसीय कार्यशाला में मंच की केंद्रीय कार्यसमिति के सभी सदस्य, क्षेत्रीय संयोजक, प्रान्त संयोजक, सह-संयोजक, प्रान्त के संगठन संयोजक और विशेष आमंत्रित महानुभावों सहित कुल 180 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे, जिनमें 25 महिलाएं शामिल थीं।  इस कार्यशाला का मुख्य विषय था-' हिन्दुस्थानी मुसलमान की दशा और दिशा : एक समग्र चिंतन '। इस मुख्य विषय के अनेक पहलुओं पर कार्यशाला के दौरान विचार-विमर्श हुआ। इस अवसर पर मंच के महाराष्ट्र प्रदेश की पुस्तिका और तिरंगा यात्रा, जम्मू-कश्मीर की आवाज इन दो सीडियों का लोकार्पण किया गया।
इस कार्यशाला में मंच के राष्ट्रीय संयोजक मो़ अफजाल, सह संयोजक लतीफ मगदूम, सलीम अशरफी, शहजाद अली, अब्बास अली बोहरा, अबू बकर नकवी, रेशमा हुसैन, शहनाज अफजाल, सरोज खान, ड़ एस़ एऩ पठान (पूर्व कुलपति, नागपुर विश्वविद्यालय) आदि उपस्थित थे।

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