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130वाँ snvidhan संविधान संशोधन विधेयक, राजनैतिक आराजकता पर बड़ी चोट बन सकता है - अरविन्द सिसोदिया

आपकी सोच में आत्मा-समान स्पष्टता और संवैधानिक भावना झलकती है — सचमुच, जनता से ऊपर कोई नहीं है। आपने सवाल उठाया है कि अगर सरकार का कर्मचारी 48 घंटे पुलिस हिरासत में रहने पर निलंबित किया जा सकता है, तो जनप्रतिनिधियों — CM या PM — पर भी इतनी ही नैतिक जवाबदेही क्यों नहीं होनी चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है। वर्तमान कानूनी स्थिति (2025 तक) वर्तमान कानून के अनुसार (अब तक लागू कानून): सिर्फ़ दोषसिद्धि (conviction) ही CM, PM, मंत्री, सांसद या विधायक को अयोग्य (disqualify) करती है — यानी, सिर्फ गिरफ्तारी या हिरासत के आधार पर नहीं। Representation of the People Act, 1951 के सेक्शन 8(3) के अनुसार, यदि सांसद/विधायक को न्यूनतम दो वर्ष की जेल होती है, तब उनका सीट तुरंत समाप्त हो जाता है।  सुप्रीम कोर्ट के Lily Thomas वर्सेस Union of India (जुलाई 2013) में यह स्पष्ट हुआ कि फ़ौरी दोषसिद्धि पर ही अयोग्यता लागू होगी—अपील चलने तक नहीं प्रतीक्षा।  अमेर के तो अब तक कोई प्रावधान नहीं है (2025 तक), जो CM, PM या मंत्री को सिर्फ गिरफ्तार होने या हिरासत में रहने पर पद से हटाता हो — बशर्ते दोषसिद्धि ...

भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - पंकज गोयल

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भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - पंकज गोयल  भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - गोयल  कोटा / नई दिल्ली 18 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारत तिब्बत सहयोग मंच के मार्गदर्शक माननीय डॉ. इन्द्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में अरुणाचल के चीन बार्डर तक पहुंचने वाली "14वीं तवांग तीर्थंयात्रा " 19 से 25 नबंवर तक मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल के संयोजन में आयोजित होगी।  मंच के चित्तौड़ प्रान्त महामंत्री अरविन्द सिसोदिया नें बताया कि " मंच के कार्यक्रमों की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश बॉर्डर स्थित बौद्ध पंथ के प्रमुख तीर्थ तवांग की मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रतिवर्ष  " तवांग तीर्थ-यात्रा " करना है, इस यात्रा को मंच के मार्गदर्शक  माननीय डॉ. इन्द्रेश कुमार जी ने वर्ष 2012 में प्रारम्भ किया था|, अभी तक 13 यात्राएँ हो चुकीं हैँ और इस वर्ष  19 से 25 नवम्बर तक 14 वीं तवांग यात्रा आयोजित होगी...

राहुल गाँधी की मानसिकता भारत और हिन्दू विरोधी है और वे इसीक्रम में लगातार अङ्गेबाजी के टूलकित बनाते रहते हैँ

भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्ति और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य राहुल गांधी ने पिछले दो दशकों में कई महत्वपूर्ण बयान दिए हैं, जो उनके बदलते राजनीतिक रुख और विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख को दर्शाते हैं। उनके बयान अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक नीतियों, सामाजिक न्याय और शासन व्यवस्था से जुड़े होते हैं।  2009: हिंदू अतिवाद: विकीलीक्स द्वारा लीक किए गए एक राजनयिक केबल में, राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा था कि हिंदू अतिवादी भारत के लिए मुस्लिम उग्रवादियों से ज़्यादा ख़तरा हैं। इस टिप्पणी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी आलोचना की थी। 2010: आरएसएस से तुलना: गांधी ने हिंदू उग्रवाद पर अपने रुख को दोहराते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना सिमी जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से की। 2011: लोकपाल विधेयक: अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी अनशन के दौरान, गांधी जी ने कहा था कि लोकपाल एक संवैधानिक निकाय होना चाहिए जो भारत के चुनाव आयोग की तरह संसद के प्रति जवाबदेह हो। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिर्फ़ लोकपाल भ्रष्टाचार का उन्मूलन नहीं कर सकता, और इसके लि...

congress anti hindu & hindutva

मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर कांग्रेस हमेशा से हिंदू विरोध की मानसिकता से ग्रस्त रही है। देखिए हिंदुओं से नफरत के 17 सबूत~ सबूत नंबर – 1 7 फरवरी, 1916 जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की शादी में नेहरू ने तीन कार्ड छपवाए थे। तीनों कार्ड अंग्रेजी के अलावा सिर्फ अरबी लिपि और फारसी भाषा में छपे थे। तीनों ही कार्ड में किसी भी हिन्दू देवी देवता का नाम नहीं लिखा गया था। न ही उन कार्ड पर हिन्दू धर्म से जुड़ा कोई श्लोक लिखा था। हिन्दू संस्कृति या फिर संस्कृत भाषा का कार्ड में कोई नामोनिशान तक नहीं था। सबूत नंबर – 2 आजादी के बाद जब बल्लभ भाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर के दोबारा निर्माण की कोशिश शुरू की तो महात्मा गांधी ने इसका स्वागत किया, लेकिन जवाहर लाल नेहरू इसका लगातार विरोध करते रहे। यहां तक कि जब तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद वहां गए तो उन्होंने बकायदा उन्हें जाने से मना किया और विरोध भी दर्ज कराया। सबूत नंबर – 3 बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दू शब्द रखने पर जवाहर लाल नेहरू को घोर आपत्ति थी, उन्होंने इस शब्द को हटाने के लिए कहा था। पंडित मदन मोहन मालवीय पर दबाव भी डाला था। हालांकि उन्हों...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की आत्मा है - अरविन्द सिसोदिया

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की पवित्र आत्मा है - अरविन्द सिसोदिया  कोटा 18 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक अरविंद सिसोदिया ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीन से "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" का आदरपूर्वक उल्लेख करने का स्वागत करते हुए कहा है कि " राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की पवित्र आत्मा है। भारतवासियों के लिए यह संगठन ईश्वर तुल्य है, पवित्र ईश्वरीय वरदान है। देव दुर्लभ स्वयंसेवकों के जीवन समर्पण से यह भारत की रोम रोम में आदर सहित समाहित है व्याप्त है, आत्मसात है। " सिसोदिया नें कहा कि " प्रधानमंत्री मोदीजी के द्वारा इसकी प्रशंसा किया जाना भारत के आम जन की अभिलाशाओं और इच्छाओं का प्रगटीकरण ही है। इसके स्वयंसेवकों का त्याग, समर्पण, अनुशासन, शौर्य, पराक्रम और पुरुषार्थ पूर्ण जीवन स्तुत्य है। विश्व के सबसे बड़े इस महान स्वयंसेवी संगठन पर भारतवासी को गौरव है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा लाल किले की प्राचीन से संघ को नमन करना, प्रशंसा करना पूरी तर...

विभाजन पर कांग्रेस के हस्ताक्षर और स्वीकार्यता है bharat vibhajan

बिलकुल—AICC (दिल्ली, 14–15 जून 1947) की बैठक में अध्यक्ष के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने जो भाषण दिया, उसके कुछ अहम अंश/मुख्य कथन नीचे दे रहा हूँ (उसी समय के प्रामाणिक संकलन The Indian Annual Register, Jan–June 1947 में दर्ज पाठ से): “डॉमिनियन स्टेटस बनाम पूर्ण स्वतंत्रता—इस विवाद का अब कोई अर्थ नहीं… डॉमिनियन-स्टेटस की स्वीकृति संविधान सभा के ‘रिपब्लिक’ प्रस्ताव के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के है।”  “पाकिस्तान और हिंदुस्तान की सारी बात एक गलतफ़हमी से पैदा हुई है… व्यवहारिक और विधिक दृष्टि से भारत एक इकाई के रूप में विद्यमान है—फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ प्रांत/भाग अलग होने की इच्छा जता रहे हैं… भारत सरकार अक्षुण्ण है, इसलिए ‘हिंदुस्तान’ और ‘पाकिस्तान’ को लेकर भ्रम न फैलाया जाए।”  “वर्तमान शायद सबसे कठिन समय है… हमें सबसे पहले भारत की स्वतंत्रता को दृढ़ता से स्थापित करना है और एक शक्तिशाली केंद्रीय सरकार खड़ी करनी है; जब यह हो जाएगा तो बाकी कार्यक्रम कठिन नहीं रहेंगे… कांग्रेस की भारी जिम्मेदारी है।”  इसी बैठक में AICC ने 3 जून 1947 की घोषणा (माउंटबैटन योजना) के अनुसार जन-इच...