मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भ्रष्टाचार के आरोप....



- अरविन्द  सिसोदिया  
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोजीसन का फायदा , उनके  पुत्र और पुत्री ने उठाया है | यह आरोप भाजपा ने लगाया है | इसका खंडन भी मुख्यमंत्री गहलोत ने किया मगर .., वे जबाव भी उन आरोपों की पुष्ठी ही करते प्रतीत हो रहे हैं ..!! इस हफ्ते के इडिया टुडे ( ४ मई २०११ ) के मुख्य पृष्ठ पर अशोक गहलोत का चित्र छपा है , " घोटालों का अशोक चक्र " शीर्षक दिया गया है | नीचे लिखा है 'राजस्थान सरकार से बड़े ठेके हथियाने वाली तीन कंपनियों से गहलोत की संतानों के आर्थिक रिश्ते उजागर ' इस आवरण कथा को रोहित परिहार और शफी रहमान ने लिखा है |
इस संदर्भ में कुछ विवरण नीचे है जो विषय पर रोशनी डालनें के लिए पर्याप्त है ----
बहुजन समाज पार्टी 
      कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। एक तरफ जहां अपने बेटे के हित साधने के चक्कर में निजी निवेशकर्ताओं को फायदा पहुंचाने के आरोप लग रहे है। वहीं दूसरी तरफ अजमेर संभाग में करीब दो सौ करोड़ रुपयेके भूमि घोटाले की लपटें गहलोत सरकार तक पहुंच रही हैं। आरोप कि जयपुर की ओम मेटल्स को गहलोत सरकार ने 457 करोड़ रुपए के ठेके राजस्थान प्रदेश में कालीसिंध नदी पर बांध बनाने का दिया।
इस ओम मेटल्स में गहलोत के बेटे वैभव गहलोत लीगल कंसलटेंट के रूप में कार्यरत हैं और कंपनी को यह ठेका केवल मुख्य मंत्री  गहलोत के प्रभाव के कारण मिला है। ठेका देने में नियमों को दरकिनार किया गया। उन्होंने कहा, वैभव ने 2009 के जुलाई में ट्रिटन होटल्स में 50 हजार रुपये मासिक वेतन पर लीगल कंसल्टेंट के रूप में काम करना शुरू किया और इसके बाद सरकार ने दिल्ली रोड पर दस हजार वर्ग मीटर जमीन को कमर्शियल यूज के लिए स्वीकृति दे दी। अजमेर में दीपदर्शन हाउसिंग सोसायटी को राज्य सरकार ने 123 रुपये वर्गगज के हिसाब से बेशकीमती जमीन सौंप दी।
जबकि इसका वास्तविक बाजार मूल्य 14 हजार 900 रुपये प्रतिवर्ग मीटर है। इसी तरह से भीलवाड़ा में मेवाड़ मिल की जमीन का घोटाला किया गया। इसमें करीब एक हजार करोड़ रुपये का फायदा सरकार ने अपने चहेतों को पहुंचाया। सौमैया ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग करते हुए कहा कि इस भूमि घोटाले की तथ्यात्मक रिपोर्ट शीघ्र राष्ट्रपति का सौंपी जाएगी।
मुख्यमंत्री गहलोत ने दिए आरोपों के जवाब
        विपक्षी नेताओं ने बिना आधार के आरोप लगाए हैं।
१-  जल महल का काम देखने वाली कंपनी की तरफ से मेरी बेटी को मुंबई में फ्लैट देने का आरोप झूठा है। जिस परिवार को लेकर आरोप लग रहे हैं, उससे हमारे 32 साल पुराने संबंध हैं। 
२-  मेरी बेटी आर्किटेक्ट है और उसने किसी के साथ कंपनी खोली है तो इसमें क्या बुरा है। उसमें मेरी बेटी के सिर्फ पांच लाख के शेयर हैं। 
३- अपना फ्लैट खरीदना कोई गलत बात नहीं है।
४-  बेटा कुछ कंपनियों में कंसल्टेंट है, पहले उसे 20,000 रु. मिलते थे और अब 30,000 रु. मिलते हैं। क्या 30,000 रु. के लिए करोड़ों के ठेके दे दिए जाएंगे?
किरन महेश्वरी , भाजपा की राष्टीय महामंत्री 

भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री किरण माहेश्वरी ने सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप, केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी पर लगाए मेवाड़ मिल की जमीन सस्ते में खरीदने के आरोप 
जयपुर। भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री किरण माहेश्वरी ने सरकार पर माथुर आयोग के नाम पर भ्रष्टाचार फैलाने का आरोप लगाया है। भाजपा कार्यालय में सोमवार को मीडिया से बातचीत में किरण माहेश्वरी ने कहा कि जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दूसरों पर आरोप लगाते रहते हैं हाल ही में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। माथुर आयोग की संवैधानिकता नहीं थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने उसे भंग कर दिया। 
गहलोत सरकार ने माथुर आयोग के नाम पर भ्रष्टाचार फैलाया। माथुर आयोग के नाम पर जिन फाइलों को रोक कर रखा गया। जो लोग पैसा लेकर जयपुर पहुंच गए उनकी फाइलें क्लियर कर दी गईं। अगर इनसे हिसाब लिया जाए तो जितनी फाइलें रोकी गईं उनमें से 60 प्रतिशत फाइलों को पैसा लेकर निकाला गया और यह सब मुख्यमंत्री के नाक नीचे हुआ है।
गहलोत सरकार में जमीनों के कई बड़े घोटाले हुए हैं। भीलवाड़ा में मेवाड़ मिल की जमीन की नीलामी की सरकारी दर 1.44 करोड़ तय हो जाने के बावजूद उसे 1.25 करोड़ रुपए में नीलाम कर दिया गया। माहेश्वरी ने आरोप लगाया कि मेवाड़ मिल की जमीन खरीदने के मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री सीपी जोशी की भूमिका रही है। इन घोटालों पर सरकार को जवाब देना होगा। मुख्यमंत्री दूसरों पर आरोप लगाकर खुद को ईमानदार साबित नहीं कर सकते।

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मुख्य मंत्री अशोक गहलोत की प्रतिक्रिया ......
- अगर आप यह कहो कि अशोक गहलोत की जो सुपुत्री है बम्बई में, उनको 9 करोड का फलेट मिल गया, उसके बदले में जलमहल प्रोजेक्ट दे दिया। तो कम से कम इतना तो कॉमनसेंस होना चाहिये, जो काम हम खुद के हाथों से कर रहे हों, वो फैसले खुद ने किये। आरोप तो उनके ऊपर हो कि आपने उनको फलेट दे दिया, फलेट कौनसा दे दिया ? अगर यह फलेट की बात वह सिद्ध कर दे तो मैं एक सैकण्ड भी इस पद पर रहना पसन्द नहीं करूंगा। 

- इनके एक आरोप में भी सच्चाई नहीं है। शरारतपूर्ण, मिसचिवियस, मनगंढत, कपोल-कल्पित, जिस रूप में लगाये गये हैं वो बडे अनफोर्चुनेट है, क्योंकि कोई दम तो है नहीं।  
      जब मैं दिल्ली के अंदर इंदिरा गांधीजी के साथ में डिप्टी मिनिस्टर था, तब से लगाकर आज तक मैंने सरकारी कार का उपयोग मैंने मेरे परिवार के लोगों को नहीं करने दिया। हम उस रूप में चलने वाले लोग हैं। खुद परिवार का सदस्य कार लेगा तो हमने नियम बनवाये थे कि पर किलोमीटर पैसे जमा कराना है, वह जमा कराना जरूरी होगा। मुख्य मंत्री बनने के बाद भी, इतना तो ख्याल रखता हूं इस बात का। क्योंकि हम पब्लिक के ट्रस्टी हैं।
-    पर आप हमारे परिवार के लोगों को जोड दो। मान लो कोई काम कर रहा है, पांच-पांच हजार रूपये अगर एक कम्पनी दे रही है, चार कम्पनियां हैं, उसमें बीस हजार रूपये और ढाई साल के बाद में बीस हजार से तीस हजार करे तो मेरे मुख्य मंत्री बनने से पहले अगर बेटा कोई काम करे, उसको आप इससे जोड रहे हो कि इन्हीं कम्पनियों को ठेके मिलने लग गये। क्या कोई मुख्य मंत्री तीस हजार रूपये के लिये करोडों के ठेका दे देगा किसी को ? वह ठेके मिले ही नहीं। वह कह रहे हैं वह तो उनके पार्टनर बने हुए हैं। आप अगर विस्तार में जो डिटेल चाहेंगे, आपको बकायदा विभाग से मिलेगी, मैं आपको दिलवाऊंगा।
 -  अगर करप्शन पर नैतिक अधिकार है, करप्शन तो पूरी दुनिया के हर मुल्क में होता है, हिन्दुस्तान में भी है। अगर करप्शन हटाने का प्रयास किया गया है तो कांग्रेस शासन में किया गया है।
 - मैं तो कहूंगा राहुल गांधी ने जो बात कही, वह सटीक बात थी कि जब तक सिस्टम से करप्शन नहीं हटेगा, यह सिस्टम चेंज नहीं होगा तब तक आप भले ही कितने लोकपाल बना लीजिये, लोकायुक्त बना हुआ है 28 साल पहले का। आफ पास केस बाई केस आते जायेंगे और आप उम्मीद करो कि वह करप्शन हट जायेगा तो इम्पोसिबल बात है। लोकपाल से आप एक संदेश दे सकते हो, अंकुश लगाने की दिशा में एक कदम आगे बढ सकते हो, एक कदम सिर्फ। बाकी आप हटा नहीं सकते, क्योंकि वह तो केस बाई केस बात होगी। जब तक पूरे मुल्क के सिस्टम में चेंज नहीं होगा, तब तक यह संभव नहीं है।
      माथुर आयोग के बारे में सवाल पर कहा, “अभी हमने सोचा नहीं। देखिये, मैंने पहले शुरू में ही कहा था माथुर कमीशन बना तब भी, उनको वैलकम करना चाहिये था। अगर हमारी नियत तंग करने की होती तो कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट के अन्तर्गत हम बनाते। उसमें फिर कई तरह के नोटिसेज और कई लम्बी प्रक्रिया होती। हमने बकायदा यह सोच-समझकर कहा कि प्रशासनिक आदेश से बनाते हैं और चूंकि इतने आरोप लग चुके हैं, आरोपों की अगर जांच होगी तो कम से कम प्रक्रिया में या और जगह क्या गडबडी हुई है, वह सामने आयेगी तो हमारी सरकार के वक्त में भी हम खुद भी, चाहे मुख्य मंत्री हो, चाहे मंत्री हों, वह बचकर चलेंगे कि कहीं हमारे ऊपर कोई आरोप नहीं लग जाये। आने वाली सरकारें भी ध्यान रखेंगी कि यह माथुर कमीशन ने रिकमण्डेशन दी थी तो पब्लिक इंटरेस्ट के अंदर बचकर चलो। इससे ज्यादा फेयर बात कोई कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां तक एस एल पी को स्वीकार नहीं किया, वह टैक्नीकली मामला है। जब लोकायुक्त वहां बना हुआ है, वह तो कानून के अन्तर्गत बना हुआ है तो प्रशासनिक आदेश से क्या यह कमीशन बना रहे हो ? जहां तक मैं सुनता हूं, कोई टैक्नीकली आधार पर उन्होंने उसको नहीं माना है।“
परिवार पर लगाए आरोप के सवाल पर कहा, ''नहीं, हमारा तो यही कहना है कि जो आरोप उन्होंने लगाये सी.एम. के सन काम कर रहे हैं लीगल एडवाइजर के रूप में और उनके बदले में आप उनको फायदा पहुंचा रहे हो। एक काम को भी प्रमाणित कर दें। या डॉटर वहां आर्किटेक्ट है मान लें और वह कम्पनी में डायरेक्टर रह रही है। मैं सत्ता में नहीं था तब भी रह रही थी। जब मैं पहली बार मुख्य मंत्री नहीं बना, उसके पहले से रह रही थी, चाहे पूना में, चाहे बोम्बे में, फिर आप पारिवारिक मैम्बर के फ्लेट में रहते हो, आपको तकलीफ क्या हो रही है ? अगर वह कम्पनी जो पांच लाख की कम्पनी है, पांच लाख की कम्पनी या छह लाख की कम्पनी में आप शेयर खरीदते भी हो मान लीजिये, आपको तकलीफ क्या होती है ? अगर फ्लेट मान लो कम्पनी का है, कर्जा लिया हुआ है तो फ्लेट कभी आप लेओगे मान लो तो आपको पैसा चुकाना पड़ेगा। 80 लाख का फ्लेट जहां वह रह रहे हैं मान लीजिये और वह उसके पहले दूसरे फ्लेट में रहते थे। उसके पहले पूना में रहते थे तो मैंने कहा, जब आप के कोई पारिवारिक मित्र हैं और कम्पनी बनाकर आर्किटेक्ट का कोई काम शुरू करना चाहते हैं, सर्विस छोड़कर प्रयास करते हैं, कभी कामयाब होते हैं, कभी कामयाब नहीं होते। मान लीजिये, वैभव पहले वकालत करता था और ट्रेवल एजेन्सी खोली मान लो, यहां पर तीन कारें खरीदीं, 22 लाख का लोन लिया। 6 लाख दिये, उसने और उसके पार्टनर ने तीन-तीन लाख रूपये दिये। इनके लिये वह ही पाइंट हो गया। तो थोड़ा बहुत तो सोचना चाहिये आरोप लगाने के पहले कि हम क्या आरोप लगा रहे हैं। और कौनसा 8 करोड़, 9 करोड़ का फ्लेट, मालामाल पुत्री और उसके बदले में आपको वह काम दिया गया, जो अभी वसुन्धरा जी ने दिया। तो वसुन्धरा जी मेरी बेटी का बहुत ख्याल रखती हैं, इसलिये उन्होंने पहले एडवांस में ही देखा कि कभी न कभी बेटी को फायदा मिलेगा, इसलिये मेरी बेटी का ख्याल रखा उन्होंने, और अपने हाथों से, अपने साइन से उन्होंने पूरा जलमहल उस कम्पनी को सुपुर्द कर दिया, इतना ध्यान रखती हैं।
अब देखिये, इनकी तो दुर्गति यह है, आमेर की दो हवेलियां हैं, जो इनके वक्त में बिक गयी थीं। हवेलियां कई बिकी हैं पर ललित मोदी जी और उनकी पत्नी के नाम से जो हवेली ली गयी है और एक हवेली दूसरी है, दोनों का कब्जा सरकार ने ले लिया है। कोई कहने वाला नहीं आ रहा है कि यह हवेली हमारी है, आप क्यों ले रहे हो ? इससे बडा प्रूफ क्या होगा इनके जमाने म करप्शन का। जो इनके खास चहेते थे, जिसने चीफ मिनिस्टर के बिहाफ पर ब्रोकर का काम किया हो, और वह आदमी हवेली खरीद रहा है अपनी पत्नी के नाम से, अपने खुद के नाम से, वह हवेली गवर्नमेंट ले रही है, कोई कहने वाला सामने नहीं आ रहा है।

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