जब नेता बेईमान हो जाता है .....



- अरविन्द सिसोदिया 
कविता भी है व्यंग भी है ........
जब नेता बेईमान हो जाता है .....
==१==
जब नेता बेईमान हो जाता है ,
निति मर जाती है न्याय मर जाता है ,
जिधर  देखो ; उधर शैतान नजर आता है ,
विश्वाश में विष ;आशीर्वाद में आघात ,
हमदर्दी में दर्द ही दर्द ; मिठास में मधुमेह ,
पावनता में पाप ही पाप ,और...
इमानदारी में महा बेईमान घटित हो जाता है ..!
==२==
भगवान भी जिसके भय से कांपने लगता है ,
राष्ट्र धर्म भी प्राण बचा कर भागनें लगता है ,
सूरज भी पश्चिम से उगता है यारों ..,
जब राज सिंहासन बेईमान हो जाता है ..!
लोगों का जीवन नर्क बन जाता है ,
बातों की नकाबों में ,इन शैतानों में ,
सम्पत्ति की होड़ में - धन की लूट में  ..,
बीस साल पहले जिस पर कौड़ी भी नहीं ..?
वह करोड़ पतियों में भी सिरमौर नजर आता है ..!
==३==
गले में महानता के उसूल टांगे,
वाणी में संतों के स्वर साधे,
जो मिले उसे लूट लेना है मकशद ,
लगे हैं अपनी हवस मिटानें ,
असल इंतजाम तो ...,
अगली अस्सी पीढ़ी का कर के जाना है यारों ...!!
==४==
जो मिले..,जितना मिले.., जहाँ मिले ..,
सब स्वीकार है ,
भिष्ठा  में मिले , मदिरा में मिले , मन्दिर से मिले ..,
किसी की घर गृहस्थी और जायदाद से मिले ..,
किसी की सुख सुविधा छीन कर मिले ..,
किसी के सकून को छीन कर मिले ..,
किसी की संतान को विमुख कर मिले., 
वह सब हमें मिले .., 
यही प्रार्थना यही कमाना ..,
यही सुन्दरकाण्ड, यही हुनमान चालीसा ..,
बस  अब सब कुछ मुझे मिल जाये ..!!!
==५==
गद्दार ये वतन को तो फांसी दे सकते हो यारों ,
मक्कार  को मुसीबत खड़ी कर सकते हो यारों ,
जो बेईमानी पर चले उस पर हंस सकते हो यारों ,
मगर क्या करें इन नेताओं के प्रभुत्व का ..,
इनके खिलाफ कानून दुम दवा कर भाग जाता है ,
कितना भी बड़ा भ्रष्टाचार हो वह शिष्टाचार है .., 
कितनी भी बड़ी रकम हो वहां बहुत कम है ..,
कितनें भी महल फैक्ट्रियां धंधे हों , पेट भरता नहीं ,
इनके आगे कानून .., जी हजुरी करता हो ..!!!
==६==
अमरीका से आयत होता नहीं ,
चीनी सामान में मिलाता नहीं ..,
इन्हें सुधारे कौन सा यंत्र ..,
कहाँ से मंगाएं.., 
इनका नाप तौल कौन करे .., 
हर धर्म हर मजहब में टटोला ,
नेताजी सुधर जाएँ येसी इबारत नहीं ..!!
क्यों की ये तो आदर्श पुरुष हैं.,
महान हैं; शक्तिमान है ...,
सामने खड़े ये स्वंय प्रभु ..,
ये इवादत हैं , धर्मप्राण हैं ..,
तंत्र - मन्त्र हैं , अनुष्ठान हैं ,
इनसे संसद चलती है ...,
उठती गिरती है ..,
इनसे विधानसभाएं बनती बिगडती हैं ,
जिला परिषद,पंचायत समितियां ,
नगर पालिकाएं ..,
संगठन से सरपंच तक इनका ही बोलबाला है ..!
इसलिए यारों आजकल इनका ही महा प्रभुत्व है ..!
इनकी जिंदाबाद में ही , भला है ..!
जय जय बोलते चलो इनकी कृपा बटोरते चलो ..!!!
==७==
अभी ये पूरी नहीं हुई है .....एक दो दिन में इसे पूरा कर लिया जायेगा .....
पैसा पैसा क्या करता है ..
पैसे की लगादू झड़ी ..
एकवार नेता बन जाऊ ..,
सात पीढ़ी हो जाएँगी खड़ी ..!

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

चित्तौड़ का पहला जौहर, महारानी पद्मिनी : 26 अगस्त,1303

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

गणपति गजानंद भगवान ganpti gjanand bhagvan

God exists and He is everything - Arvind Sisodia

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

भारत अखंड और हिंदू राष्ट्र है - परमपूज्य डॉ. मोहन भागवत जी

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे