सत्य साई बाबा का देहावसान



श्री सत्य साईं बाबा ने रविवार २४ अप्रैल २०११ की सुबह देह त्याग दी। साईं बाबा का देहांत 24 अप्रैल को हुआ। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि श्री सत्य साईं के परम भक्तों में से एक और क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर का जन्म भी 24 अप्रैल को ही हुआ था।
सचिन तेंडुलकर श्री सत्य साईं के देहावसान से इतने ज्यादा व्यथित हो गए कि उन्होंने रविवार सुबह से कुछ भी नहीं खाया और उन्होंने अपने आपको एक कमरे में बंद कर लिया। इतना ही नहीं सचिन के कमरे के बाहर डू नॉट डिस्टर्ब का बोर्ड भी लगा दिया गया था। इसके बाद सचिन ने काफी देर तक किसी से नहीं मिले और अकेले कमरे में बंद रहे। हालांकि बाद में वे बड़े दुखी मन से कमरे से बाहर निकले। सचिन अब अपने भगवान के अंतिम दर्शन के लिए पुट्टपर्थी जाएंगे।
सचिन सत्य साईं के इतने बड़े भक्त थे कि वे अपने पॉकेट के अलावां किट बैग में भी  साईं की तस्वीर अपने साथ ही रखते थे। इस किट बैग में तिरंगे, परिवार और साईं की फोटो हमेशा रहती ही थी।

गौरतलब है कि सचिन तेंडुलकर श्री सत्य साईं की बिगड़ रही सेहत से बेहद दुखी थे और उन्होंने शनिवार को ट्वीट किया था कि मैं श्री सत्य साईं के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। आप लोग भी मेरे साथ श्री सत्य साईं के ठीक होने के लिए पूजा कीजिए। इतना ही नहीं उन्होंने अपना जन्मदिन भी न मनाने की घोषणा पहले ही कर दी थी।
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श्री सत्य साईं बाबा की ट्रस्ट को यूं तो विश्व भर में आश्रम हैं लेकिन उन्होंने अपने जीवनकाल में भारत से बाहर सिर्फ एक बार ही यात्रा की। श्री सत्य साईं की संस्था के इस समय 166 देशों में आश्रम और कार्यालय हैं।
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पुट्टापर्थी. आध्यात्मिक गुरु सत्य साईं बाबा का पार्थिव शरीर पुट्टापर्थी में उनके आश्रम प्रशांति निलायम में दो दिन तक दर्शनार्थ रखा जाएगा। सत्य साईं बाबा का रविवार सुबह निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे।


सत्य साईं बाबा केंद्रीय ट्रस्ट द्वारा जारी बयान के मुताबिक पार्थिव शरीर रविवार शाम छह बजे आश्रम के साईं कुलवंत हॉल में रखा जाएगा। सोमवार और मंगलवार को भी भक्तों को उनके अंतिम दर्शन उपलब्ध हो सकेंगे।

बाबा के अंतिम संस्कार के सम्बंध ने ट्रस्ट ने अभी कोई जानकारी नहीं दी है लेकिन माना जा रहा है कि यह बुधवार को प्रशांत निलायम में पूरे राजकीय सम्मान से होगा।

ट्रस्ट ने भक्तों से अपील की है कि अस्पताल की ओर बड़ी संख्या में न पहुंचे। अंतिम दर्शन का प्रबंध व्यवस्थित तरीके से किया जाएगा। 

बाबा पिछले चार दशक से प्रशांत निलायम में ही अपने भक्तों को दर्शन और आर्शीवाद देते थे।

सत्य साईं बाबा को उनके भक्त भगवान की तरह पूजते हैं। पिछले दिनों बाबा के शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उन्हें 28 मार्च को अस्पताल में भर्ती किया गया था।


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सत्यनारायण ने अपने गांव पुट्टापर्थी में तीसरी क्लास तक पढ़ाई की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वो बुक्कापटनम के स्कूल चले गए। बाबा के बारे में कहा जाता है कि 8 मार्च 1940 को उनको एक बिच्छू ने डंक मार दिया। कई घंटे तक वो बेहोश पड़े रहे। उसके बाद के कुछ दिनों में उनके व्यक्तित्व में खासा बदलाव देखने को मिला। वो कभी हंसते, कभी रोते तो कभी गुमसुम हो जाते। उन्होंने संस्कृत में बोलना शुरू कर दिया जिसे वो जानते तक नहीं थे।

नई दिल्ली। पिछले करीब 60 साल से सत्य साईं बाबा देश के बेहद प्रभावशाली अध्यात्म गुरुओ में से एक हैं। आज दुनिया जिन्हें सत्य साई बाबा के नाम से जानती है उनके बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपार्थी गांव में 23 नवंबर 1926 को हुआ था। वो बचपन से ही बड़े अक्लमंद और दयालु थे। संगीत, नृत्य, गाना, लिखना इन सबमें काफी अच्छे थे। ऐसा कहा जाता है कि वो बचपन में ही हवा से मिठाई और खाने पीने की दूसरी चीजें पैदा कर देते थे।
डॉक्टरों ने सोचा उन्हें हिस्टीरिया हो गया है। उनके पिता ने उन्हें कई संतों, डॉक्टरों और ओझाओं से दिखाया। 23 मई 1940 को उनकी दिव्यता का लोगों को अहसास हुआ।

सत्य साईं ने घर के सभी लोगों को बुलाया और चमत्कार दिखाने लगे। उनके पिता को लगा कि उनके बेटे पर किसी भूत का साया पड़ गया है। उन्होंने एक छड़ी ली और सत्यनारायण से पूछा कि कौन हो तुम? सत्यनारायण ने कहा कि मैं साईं बाबा हूं।
इस घटना के बाद उन्होंने अपने आप को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया। शिरडी साईं बाबा, सत्य साईं की पैदाइश से 8 साल पहले ही गुजर चुके थे। खुद को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित करने के बाद सत्य साई बाबा के पास श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी।
सत्य साई बाबा अपने शिष्यों को यही समझाते रहे कि उन्हें अपना धर्म और अपना ईष्ट छोड़ने की जरूरत नहीं। उन्होंने मद्रास और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों की यात्रा की। उनके भक्तों की तादाद बढ़ गई। हर गुरुवार को उनके घर पर भजन होने लगा, जो बाद में रोजाना हो गया।
साल 1944 में सत्य साई के एक भक्त ने उनके गांव के नजदीक उनके लिए एक मंदिर बनाया जो आज पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है। उनके मौजूदा आश्रम प्रशांति निलयम का निर्माण कार्य 1948 में शुरू हुआ था और 1950 में ये बनकर तैयार हुआ था। 1957 में साईं बाबा उत्तर भारत के दौरे पर गये। 1963 में उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ा। ठीक होने पर उन्होंने एलान किया कि वो कर्नाटक प्रदेश में प्रेम साई बाबा के रूप में पुन: अवतरित होंगे।
29 जून 1968 को उन्होंने अपनी पहली और एकमात्र विदेश यात्रा की। वो युगांडा गए। जहां नैरोबी में उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां आपके दिल में प्यार और सद्भाव का दीप जलाने आया हूं, मैं किसी धर्म के लिए नहीं आया, किसी को भक्त बनाने नहीं आया, मैं तो प्यार का संदेश फैलाने आया हूं।
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HYDERABAD/PUTTAPARTHI: Sathya Sai Baba, who had millions of followers across the world, is no more. Baba's heart stopped beating at 7.28 am on Sunday morning.

He had been on ventilator support for many days with all his vital parameters failing. He was being treated at the super speciality hospital that he himself had created for the masses. Doctors confirmed that Sai Baba died of cardio-respiratory failure.

The last rites of spiritual leader Sathya Sai Babawill be performed on Wednesday with full state honours. This was announced by Andhra Pradesh chief minister N Kiran Kumar Reddy, who rushed to the town after news of the death.

Baba's body will be kept for darshan at Sai Kulwant Hall in Puttaparthi for two days - Monday and Tuesday. Arrangements will be made for darshan after 6:00 pm today at the hall. About 4 lakh people are expected to come to Puttaparthi, a small town of 25,000 in Andhra Pradesh's Ananatpur district. This includes VVIPs, VIPs and common devotees from across the globe and India.

A pall of gloom descended on this town, 450 km from Hyderabad, as the news of Sai Baba's death spread. His family members, four ministers and government officials rushed to the hospital following reports that Sai Baba's condition had deteriorated further. (Read: Pall of gloom descends on Puttaparthi) 

There has been a complete shutdown in the town since morning following reports about deterioration in the condition of Sai Baba.

For the first time since Baba was admitted to Sathya Sai Baba super speciality on March 27, the doctors did not issue a morning bulletin on Sunday. (In Pics: Millions mourn Sai's death) 

Although everybody was preparing for the inevitable for the last few days, a decision had been taken by representatives of Baba's family and members of the Sathya Sai Central Trust to not pull the plug from the ventilator.

Devotees had been praying for a miracle and had kept their faith that the 86-year-old Baba would rise once again and give darshan to the faithful. (In Pics: Magic of Sai Baba) 

The Central trust was headed by Sathya Sai Baba himself and had luminaries like PN Bhagwati, former chief justice of India, SV Giri, retired central vigilance commissioner as members amongst others. A nephew of Baba, Ratnakar was also part of the trust. The trust secretary, K Chakravarthi, who influenced by Baba resigned from the IAS to devote himself to the service of the godman, executed all the programmes of the organisation.

Since this is all powerful body, it has to be seen as to who becomes the new chairman. But indications are that nephew Ratnakar who otherwise runs a cable TV operation and a gas agency will play a more active role.

Satyajit, the personal caregiver of the Baba and a product of the university at Puttaparthi set up by the godman will also play a key role. It is believed that Satyajit, still in his early thirtees, has the support of most trust members and also that of Chakravarthi. A whole array of philanthropic activities including water supply is carried on by the trust.
(Special coverage: Sathya Sai Baba) 

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