अन्ना को स्वंय शासन की वागडोर अपने हाथ में लेनी होगी ..!
- अरविन्द सिसोदिया
मुख्य सवाल यह है की योग्य आदमी कहाँ हैं ..? महात्मा गांधी जी ने देश नेहरु जी के सुपुर्द किया नेहरु जी नें बंटाधार कर दिया ..!!! जिन्ना से हारे , पाकिस्तान से हारे , तिब्बत छोड़ा और चीन से भी हारे ..!!! १९७५ में जयप्रकाश नारायण के आव्हान पर संघर्ष चला देश ने आपातकाल भोगा , १९७७ में देश नें जनता पार्टी को सरकार सोंपी कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया, इंदिरा गांधी तक को हरा दिया ..! मगर ढाक के तीन पात आपस में लडे और टूटे .., अंततः जनता को मजबूर हो कर फिरसे सत्ता कांग्रेस को सोंपनी पड़ी ..! विश्वनाथ प्रताप सिंह भी ईमानदार बन कर निकले थे ..? देश उनके साथ था ..! सत्ता में आते ही उन्होंने देशवासियों को आपस में लडाना प्रारम्भ कर दिया नतीजा वे भी सत्ता से बाहर हो गए ..! फिरसे दोहराता हूँ कि मुख्य सवाल यह है kii योग्य आदमी कहाँ हैं ..? हाल ही में संयुक्त कमिटी गठन में जब स्थिति यह बनीं कि बाप - बेटे ही एक कमेटी में आ गए .., पूर्व केन्द्रीय विधि मंत्री शांति भूषण की जरुरत ही नहीं थी .., पुलिस अधिकारी रहीं किरण वेदी को लिया जाता तो एक महिला भी हो जाती और कानून में राजनैतिक हस्तक्षेप को समझने वाला भी हो जाता ..! अन्ना का आन्दोलन कितना ही अच्छा हो मगर उनके पास जो प्रमुख नाम हैं वे भी दुराग्रह से ग्रस्त हैं ..! आम गरीब आदमी की तो वहां भी जगह नहीं है ..! यूं भी जनता भ्रष्टाचार के विरुद्ध है .., इसलिए यह जन समर्थन है ..! मगर यह भी सच है की यह जन लोकपाल बिल न तो पटवारी को पकड़ेगा नहीं पुलिस को ..??? आम व्यक्ति की गति तो फिर भी वही रहनें वाली है ..! आधारभूत बदलाव की क्षमता के लिए अन्ना को स्वंय शासन की वागडोर अपने हाथ में लेनी होगी ..! प्रशांत भूषण तो मनोविकार ग्रस्त हैं , कभी कश्मीर की आजादी की बात करते हैं तो कभी नक्सलवाद का समर्थन करते हैं ...!! अब तो दोनों बाप बेटे शांति भूषण-प्रशांत भूषण साथ साथ हैं ..!!!!!
भास्कर डाट कॉम पर........
नई दिल्ली. जन लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति में शामिल सिविल सोसायटी के सदस्यों को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव और स्वामी अग्निवेश के बीच मतभेद सामने आ गए हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी स्वाभिमान यात्रा निकाल चुके और अन्ना की मुहिम का समर्थन करने वाले रामदेव ने इस बात का विरोध किया था कि मसौदा तैयार करने वाली समिति में शांति भूषण और प्रशांत भूषण (दोनों पिता-पुत्र हैं) नहीं हो सकते। वहीं अन्ना की मुहिम के सहयोगी और सरकार से बातचीत में शामिल रहे अग्निवेश ने इसे महज संयोग करार दिया है।
पीटीआई के अनुसार प्रशांत भूषण ने कहा है कि व्यक्तिगत रूप से वे खुद भी पैनल में शामिल होने के पक्ष में नहीं हैं। किसी और को सदस्य बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि वे लोकपाल बिधेयक का ड्राफ्ट बनाने में शामिल थे, उन्हें अन्ना हजारे की कमेटी में सामिल किया गया है। फिलहाल वे टीम के सदस्य हैं लेकिन जरुरत पड़ने पर वे पद छोड़ देंगे।
सरकार की ओर से आज बिल का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति गठित किए जाने की अधिसूचना जारी की गई जिसके बाद अन्ना हजारे ने 97 घंटे से जारी आमरण अनशन तोड़ दिया। मसौदा समिति के सदस्यों में सरकार की ओर से प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली, कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम और सलमान खुर्शीद शामिल हैं जबकि सिविल सोसाइटी की ओर से पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, सीनियर वकील प्रशांत भूषण, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज संतोष हेगड़े, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे शामिल हैं। 'परिवर्तन' नाम से एनजीओ चलाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद अन्ना के नंबर एक सिपहसालार हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इस समिति के अध्यक्ष और शांति भूषण सह-अध्यक्ष होंगे।
गौरतलब है कि पैनल में शामिल प्रशांत भूषण शांति भूषण के बेटे हैं। रामदेव ने पहले इस बात का विरोध किया था कि पिता और बेटे दोनों ही एक साथ पैनल में शामिल नहीं हो सकते। रामदेव शुक्रवार को अन्ना हजारे की मुहिम का समर्थन करने जंतर मंतर भी पहुंचे थे। हालांकि अग्निवेश ने कहा कि शांति भूषण और प्रशांत भूषण का पैनल में शामिल होना एक संयोग मात्र है। हमने दो बेहतरीन वकीलों को सिविल सोसायटी का नुमाइंदा बनाया है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि शुक्रवार को जंतर -मंतर पर मौजूद पत्रकारों ने जब खुद अन्ना हजारे से यह सवाल किया कि सिविल सोसायटी के किन प्रतिनिधियों को मसौदा समिति में जगह मिल सकती है तो उन्होंने यह कहा था कि हम लोग इस बारे में आपस में विचार विमर्श कर तय कर लेंगे। सोशल वेबसाइट्स पर भी पैनल में सिविल सोसायटी के सदस्यों के चयन को लेकर तीखी बहस चल रही है।
97 घंटे के बाद अन्ना ने तोड़ा अनशन
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे गांधीवादी और जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का 97 घंटे से अधिक का उपवास शनिवार को खत्म हो गया। अन्ना हजारे ने जन लोकपाल बिल पर सरकार की रजामंदी को देश की जनता की जीत करार दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ की शुरुआत भर है और आगे अभी लंबा सफर तय करना है।
गत मंगलवार को राजधानी स्थित जंतर मंतर पर शुरू किया गया आमरण अनशन खत्म करने के बाद देश को संबोधित करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि लोकपाल बिल के मसौदे से जुड़ा शासनादेश जारी होने के बाद उनकी जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ‘लड़ाई’ का तीन सूत्रीय मसौदा पेश करते हुए कहा है कि पहली सफलता जन लोकपाल बिल पर सरकार का राजी होना है लेकिन इसके बाद यह मसौदा मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और जरूरत पड़ी तो उस वक्त भी अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यदि इस बिल को पारित करने को लेकर संसद में कोई अड़ंगा आया तो भी उन्हें देशवासियों के साथ मिलकर अभियान चलाने की जरूरत पड़ेगी।
अन्ना ने कहा कि अगर 15 अगस्त तक सरकार ने लोकपाल बिल पारित नहीं किया तो हम फिर से आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा, ‘लोकपाल बिल पारित होने के बाद भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार पर इस बात के लिए दबाव डालने की जरूरत होगी कि सत्ता का विकेंद्रीकरण किया जाए।’ उन्होंने ग्राम सभाओं, नगर परिषदों, नगरपालिकाओं के जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार (राइट टू रिकॉल) की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि यदि सरपंच या उप सरपंच जनता से बिना पूछे पैसा खर्च करते हैं तो उसे वापस बुलाने का अधिकार जनता के पास होना चाहिए जो उन्हें चुनती है।
चुनाव व्यवस्था में बदलाव की मांग करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी होने की शिकायतें सामने आती रही हैं, इसे दुरुस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ईवीएम की गड़बड़ी ठीक करने की उनकी पेशकश सरकार ने मान ली है। अन्ना हजारे ने ‘नापसंद का अधिकार’ की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवार दागी हैं तो जनता के पास यह विकल्प होना चाहिए कि वो इनमें से किसी को भी ना चुने और वहां का चुनाव रद्द कर फिर से चुनाव कराए जाएं।
'नेता नहीं मानेंगे तो फिर शुरू होगी लड़ाई'
अन्ना ने शनिवार सुबह साढ़े दस बजे जंतर मंतर स्थित मंच पर सबसे पहले 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाए। वहां मौजूद बड़ी संख्या में लोगों ने भी अन्ना के सुर में सुर मिलाए। अन्ना ने वहां मौजूद लोगों को इस आंदोलन की सफलता की बधाई देते कहा, 'आज हमारी जो जीत हुई, आपके चलते हुई। हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। हमारे राजनेता अब भी नहीं मानेंगे तो लड़ाई फिर से शुरू होगी। हम मिलते रहेंगे। इस आंदोलन में युवाओं का साथ आना आशा की किरण जगाता है। हमने काले अंग्रेजों की नींद उड़ा दी है।' अन्ना और उनके समर्थकों ने इसे जनता की जीत करार दिया है।
73 साल के अन्ना ने धरना स्थल पर अनशन पर बैठे अन्य लोगों को पहले जूस पिलाया, इसके बाद खुद एक बच्ची के हाथों नींबू पानी पीकर (देखें तस्वीर) अपना उपवास तोड़ा। अन्ना के उपवास तोड़ने के साथ ही धरना स्थल के साथ साथ पूरे देश में जश्न का माहौल पैदा हो गया है। प्रदर्शन स्थल पर बीच-बीच में ‘अन्ना हजारे जिंदाबाद’ , ‘अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं’ के नारे सुनाई दिए। मंच पर मौजूद कई कलाकारों ने 'रघुपति राघव राजा राम...' की धुन छेड़ी।
इससे पहले सुबह करीब साढ़े नौ बजे सरकार की ओर से सीनियर कैबिनट मंत्री प्रणब मुखर्जी की अगुवाई में संयुक्त समिति गठित किए जाने की अधिसूचना जारी की गई जो एक प्रभावी लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करेगी। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने इस अधिसूचना की कॉपी अन्ना की इस मुहिम से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश को सौंपी गई। अग्निवेश इस कॉपी को लेकर जंतर मंतर पहुंचे और वहां मंच से इसकी अधिसूचना की प्रति मीडिया के जरिये पूरे देश को दिखाई गई। स्वामी अग्निवेश ने कहा, ‘हमने सरकार से इस बारे में शासनादेश मांगा था लेकिन सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अधिसूचना जारी कर दी है।’ अन्ना के सहयोगियों में शामिल पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने इसे 'आत्म सम्मान' की जीत करार दिया है।
सरकार और सिविल सोसाइटी का गठबंधन शुभ संकेत: पीएम
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकपाल बिल मुद्दे पर सरकार और सिविल सोसाइटी के गठबंधन को लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत मानते हुए कहा कि सरकार इस ऐतिहासिक कानून को संसद के मानसून सत्र में लाने पर विचार कर रही है।
मनमोहन सिंह ने शनिवार को जारी बयान में कहा, 'मुझे इस बात की खुशी है कि सरकार और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भ्रष्टाचार को खत्म करने के मुद्दे पर एकजुट हैं। मुझे इस बात की भी खुशी है कि अन्ना हजारे अपना उपवास खत्म करने के लिए मान गए हैं।'
भ्रष्टाचार को सबके लिए एक अभिशाप बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक कानून को लेकर सिविल सोसाइटी और सरकार का हाथ मिलाना लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत है। सरकार और हजारे के प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत को सफल बताते हुए उन्होनें उम्मीद जताई कि इस कानून को तैयार करने की प्रक्रिया सही तरीके से आगे बढ़ेगी जिससे कि सभी संबंधित पक्षों से सलाह लेने के बाद यह कानून कैबिनेट के समक्ष मानसून सत्र के दौरान रखा जा सके।
पीटीआई के अनुसार प्रशांत भूषण ने कहा है कि व्यक्तिगत रूप से वे खुद भी पैनल में शामिल होने के पक्ष में नहीं हैं। किसी और को सदस्य बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि वे लोकपाल बिधेयक का ड्राफ्ट बनाने में शामिल थे, उन्हें अन्ना हजारे की कमेटी में सामिल किया गया है। फिलहाल वे टीम के सदस्य हैं लेकिन जरुरत पड़ने पर वे पद छोड़ देंगे।
सरकार की ओर से आज बिल का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति गठित किए जाने की अधिसूचना जारी की गई जिसके बाद अन्ना हजारे ने 97 घंटे से जारी आमरण अनशन तोड़ दिया। मसौदा समिति के सदस्यों में सरकार की ओर से प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली, कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम और सलमान खुर्शीद शामिल हैं जबकि सिविल सोसाइटी की ओर से पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, सीनियर वकील प्रशांत भूषण, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज संतोष हेगड़े, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे शामिल हैं। 'परिवर्तन' नाम से एनजीओ चलाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद अन्ना के नंबर एक सिपहसालार हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इस समिति के अध्यक्ष और शांति भूषण सह-अध्यक्ष होंगे।
गौरतलब है कि पैनल में शामिल प्रशांत भूषण शांति भूषण के बेटे हैं। रामदेव ने पहले इस बात का विरोध किया था कि पिता और बेटे दोनों ही एक साथ पैनल में शामिल नहीं हो सकते। रामदेव शुक्रवार को अन्ना हजारे की मुहिम का समर्थन करने जंतर मंतर भी पहुंचे थे। हालांकि अग्निवेश ने कहा कि शांति भूषण और प्रशांत भूषण का पैनल में शामिल होना एक संयोग मात्र है। हमने दो बेहतरीन वकीलों को सिविल सोसायटी का नुमाइंदा बनाया है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि शुक्रवार को जंतर -मंतर पर मौजूद पत्रकारों ने जब खुद अन्ना हजारे से यह सवाल किया कि सिविल सोसायटी के किन प्रतिनिधियों को मसौदा समिति में जगह मिल सकती है तो उन्होंने यह कहा था कि हम लोग इस बारे में आपस में विचार विमर्श कर तय कर लेंगे। सोशल वेबसाइट्स पर भी पैनल में सिविल सोसायटी के सदस्यों के चयन को लेकर तीखी बहस चल रही है।
97 घंटे के बाद अन्ना ने तोड़ा अनशन
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे गांधीवादी और जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का 97 घंटे से अधिक का उपवास शनिवार को खत्म हो गया। अन्ना हजारे ने जन लोकपाल बिल पर सरकार की रजामंदी को देश की जनता की जीत करार दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ की शुरुआत भर है और आगे अभी लंबा सफर तय करना है।
गत मंगलवार को राजधानी स्थित जंतर मंतर पर शुरू किया गया आमरण अनशन खत्म करने के बाद देश को संबोधित करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि लोकपाल बिल के मसौदे से जुड़ा शासनादेश जारी होने के बाद उनकी जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ‘लड़ाई’ का तीन सूत्रीय मसौदा पेश करते हुए कहा है कि पहली सफलता जन लोकपाल बिल पर सरकार का राजी होना है लेकिन इसके बाद यह मसौदा मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और जरूरत पड़ी तो उस वक्त भी अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यदि इस बिल को पारित करने को लेकर संसद में कोई अड़ंगा आया तो भी उन्हें देशवासियों के साथ मिलकर अभियान चलाने की जरूरत पड़ेगी।
अन्ना ने कहा कि अगर 15 अगस्त तक सरकार ने लोकपाल बिल पारित नहीं किया तो हम फिर से आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा, ‘लोकपाल बिल पारित होने के बाद भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार पर इस बात के लिए दबाव डालने की जरूरत होगी कि सत्ता का विकेंद्रीकरण किया जाए।’ उन्होंने ग्राम सभाओं, नगर परिषदों, नगरपालिकाओं के जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार (राइट टू रिकॉल) की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि यदि सरपंच या उप सरपंच जनता से बिना पूछे पैसा खर्च करते हैं तो उसे वापस बुलाने का अधिकार जनता के पास होना चाहिए जो उन्हें चुनती है।
चुनाव व्यवस्था में बदलाव की मांग करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी होने की शिकायतें सामने आती रही हैं, इसे दुरुस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ईवीएम की गड़बड़ी ठीक करने की उनकी पेशकश सरकार ने मान ली है। अन्ना हजारे ने ‘नापसंद का अधिकार’ की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवार दागी हैं तो जनता के पास यह विकल्प होना चाहिए कि वो इनमें से किसी को भी ना चुने और वहां का चुनाव रद्द कर फिर से चुनाव कराए जाएं।
'नेता नहीं मानेंगे तो फिर शुरू होगी लड़ाई'
अन्ना ने शनिवार सुबह साढ़े दस बजे जंतर मंतर स्थित मंच पर सबसे पहले 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाए। वहां मौजूद बड़ी संख्या में लोगों ने भी अन्ना के सुर में सुर मिलाए। अन्ना ने वहां मौजूद लोगों को इस आंदोलन की सफलता की बधाई देते कहा, 'आज हमारी जो जीत हुई, आपके चलते हुई। हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। हमारे राजनेता अब भी नहीं मानेंगे तो लड़ाई फिर से शुरू होगी। हम मिलते रहेंगे। इस आंदोलन में युवाओं का साथ आना आशा की किरण जगाता है। हमने काले अंग्रेजों की नींद उड़ा दी है।' अन्ना और उनके समर्थकों ने इसे जनता की जीत करार दिया है।
73 साल के अन्ना ने धरना स्थल पर अनशन पर बैठे अन्य लोगों को पहले जूस पिलाया, इसके बाद खुद एक बच्ची के हाथों नींबू पानी पीकर (देखें तस्वीर) अपना उपवास तोड़ा। अन्ना के उपवास तोड़ने के साथ ही धरना स्थल के साथ साथ पूरे देश में जश्न का माहौल पैदा हो गया है। प्रदर्शन स्थल पर बीच-बीच में ‘अन्ना हजारे जिंदाबाद’ , ‘अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं’ के नारे सुनाई दिए। मंच पर मौजूद कई कलाकारों ने 'रघुपति राघव राजा राम...' की धुन छेड़ी।
इससे पहले सुबह करीब साढ़े नौ बजे सरकार की ओर से सीनियर कैबिनट मंत्री प्रणब मुखर्जी की अगुवाई में संयुक्त समिति गठित किए जाने की अधिसूचना जारी की गई जो एक प्रभावी लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करेगी। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने इस अधिसूचना की कॉपी अन्ना की इस मुहिम से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश को सौंपी गई। अग्निवेश इस कॉपी को लेकर जंतर मंतर पहुंचे और वहां मंच से इसकी अधिसूचना की प्रति मीडिया के जरिये पूरे देश को दिखाई गई। स्वामी अग्निवेश ने कहा, ‘हमने सरकार से इस बारे में शासनादेश मांगा था लेकिन सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अधिसूचना जारी कर दी है।’ अन्ना के सहयोगियों में शामिल पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने इसे 'आत्म सम्मान' की जीत करार दिया है।
सरकार और सिविल सोसाइटी का गठबंधन शुभ संकेत: पीएम
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकपाल बिल मुद्दे पर सरकार और सिविल सोसाइटी के गठबंधन को लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत मानते हुए कहा कि सरकार इस ऐतिहासिक कानून को संसद के मानसून सत्र में लाने पर विचार कर रही है।
मनमोहन सिंह ने शनिवार को जारी बयान में कहा, 'मुझे इस बात की खुशी है कि सरकार और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भ्रष्टाचार को खत्म करने के मुद्दे पर एकजुट हैं। मुझे इस बात की भी खुशी है कि अन्ना हजारे अपना उपवास खत्म करने के लिए मान गए हैं।'
भ्रष्टाचार को सबके लिए एक अभिशाप बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक कानून को लेकर सिविल सोसाइटी और सरकार का हाथ मिलाना लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत है। सरकार और हजारे के प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत को सफल बताते हुए उन्होनें उम्मीद जताई कि इस कानून को तैयार करने की प्रक्रिया सही तरीके से आगे बढ़ेगी जिससे कि सभी संबंधित पक्षों से सलाह लेने के बाद यह कानून कैबिनेट के समक्ष मानसून सत्र के दौरान रखा जा सके।
अरविन्द सिसोदिया ji mai aap k sath hu hr pal ...aap is jyot ko thame rkhana.....jai hind......vande mataram......
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