क्लिंटन फाउंडेशन और अमर सिंह के बीच क्या पका ..?





क्लिंटन फाउंडेशन को अमर सिंह के दान पर उठे सवाल

Publish Date:Wed, 29 Apr 2015
वाशिंगटन। रूसी चंदे पर घिंरी हिलेरी क्लिंटन को 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दावेदार के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच, एक अमेरिकी अखबार ने एक नया खुलासा किया है। जिसके मुताबिक, 2008 के भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के दौरान एक भारतीय राजनीतिज्ञ अमर सिंह की ओर से क्लिंटन फाउंडेशन को पांच करोड़ रुपये दान प्राप्त हुआ था। गौरतलब है कि उस समय अमर सिंह समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव थे।
अखबार ने एक किताब का हवाला देते हुए सवाल किया है कि अमर सिंह के पास इतनी अधिक धनराशि कहा से आई। अमर सिंह का नाम उन दानदाताओं की श्रेणी में है, जिन्होंने दस लाख से 50 लाख डालर तक दान दिया है। यानी पांच करोड़ से लेकर 25 करोड़ रुपये। लेकिन अमर सिंह ने उस वक्त इंकार करते हुए कहा था कि उन्होंने क्लिंटन फाउंडेशन को ऐसी बड़ी राशि दान दी है।
उनके मुताबिक, उनके पास तो इतना पैसा ही नहीं कि वे दान दें। अमर सिंह लाख मना करें, लेकिन हिंदुस्तान किसी दूसरे अमर सिंह को नहीं जानता जिसके क्लिंटन से संबंध हों।
कौन भूल सकता है कि उत्तर प्रदेश मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री रहते बिल क्लिंटन लखनऊ आए थे और अमर सिंह उनकी अगवानी की थी। इसके बाद अमर सिंह ने वाशिंगटन जाकर हिलेरी क्लिंटन से मुलाकात भी की थी।क्लिंटन फाउंडेशन गरीबी मिटाने, एड्स व कई दूसरे सामाजिक सरोकारों से जुडे़ कार्यक्रम चलाता है।
इधर, एक अखबार में अमेरिका के कुल यूरेनियम उत्पादन के पांचवें हिस्से के उत्पादन के लिए रूसी नियंत्रण वाली कंपनी से समझौता पर क्लिंटन फाउंडेशन को 'धन मिलने' की रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। वहीं, हिलेरी के चुनाव अभियान के प्रवक्ता ने कहा कि किसी ने यह सबूत नहीं दिया कि हिलेरी ने विदेश मंत्री रहते क्लिंटन ने फाउंडेशन के दानकर्ताओं के हितों का समर्थन किया। उनका कहना था कि अमेरिकी सरकार की कई एजेंसियों और कनाडा सरकार ने यह समझौता किया। ऐसे मामले विदेश मंत्री स्तर से नीचे के अधिकारी देखते हैं।

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                               सवालों के घेरे में हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति चुनाव अभियान
Published : 28-04-2015 

वाशिंगटन। हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति अभियान सवालों के घेरे में घिरता नजर आ रहा है। हिलेरी क्लिंटन की संस्था क्लिंटन फाउंडेशन पर भारतीय दवा कंपनी रैनबैक्सी द्वारा एड्स मरीजों के लिए तैयार की गई अनुपयोगी दवा का वितरण करने का आरोप लगा है। इसके साथ ही टि्वटर पर हिलेरी के फोलोअर्स की प्रामाणिकता भी सवाल उठने लगे हैं।

कंजरवेटिव पार्टी की न्यूज वेबसाइट वर्ल्डनेटडेली (डब्लूएनडी) पर सोमवार को प्रकाशित रपट में आरोप लगाया गया है कि हिलेरी के परिवार की संस्था क्लिंटन हेल्थ किड्स इनिशिएटिव (सीएचएआई) ने विकासशील देशों में एड्स की घटिया व अनुपयोगी दवाओं के वितरण के लिए भारतीय दवा कंपनी रैनबैक्सी के साथ काम किया है। रपट में क्लिंटन परिवार को संयुक्त राष्ट्र समूह यूएनआईटीएआईडी द्वारा चलाए गए एयरलाइन टिकट वसूली कार्यक्रम से व्यक्तिगत रूप से लाभ पहुंचने का आरोप भी लगाया गया है।

वॉल स्ट्रीट पत्रिका के एक विश्लेषक का हवाला देते हुए डब्लूएनडी ने कहा है कि सीएचएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और उपाध्यक्ष इरा मैगेजिनर ने इस सौदे पर चर्चा के लिए 2002 में रैनबैक्सी से बात की थी। विश्लेषक ने 2013 में प्रकाशित किताब एड्स ड्रग्स फॉर ऑल का हवाला देते हुए कहा कि सीएचएआई ने रैनबैक्सी को प्रस्ताव दिया कि वे दवाओं की खरीदारी के लिए विकासशील देशों को एक साथ ला सकते हैं।

इस दौरान, फोर्ब्स पत्रिका ने सोमवार को बताया कि अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री के लगभग 62 प्रतिशत टि्वटर फोलोअर या तो फर्जी हैं या निष्क्रिय हैं। उन्होंने कहा, इस तरह से हिलेरी के लगभग 34 लाख टि्वटर फोलोअरों में से 21 लाख ने कभी भी उनके ट्वीट नहीं पढे। फोर्ब्स का कहना है कि रोचक बात यह है कि हिलेरी कुछ चुनिंदा लोगों को ही फॉलो करती हैं और उनके ट्वीट की संख्या भी कम ही है। हालांकि, रविवार को फाउंडेशन ने स्वीकार किया कि अपने विदेशी दानदाताओं की जानकारी देने में उनसे गलती हुई है।

इस पारिवारिक फाउंडेशन की स्थापना पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 2001 में की थी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि दानदाताओं की विस्तृत जानकारी और विदेश सरकार योगदान नीति पहले से अधिक सशक्त है। फाउंडेशन की कार्यवाहक सीईओ मॉरा पैली ने अपने ब्लॉग में कहा, हां, हमसे गलती हुई। हमारे जैसे कई संगठनों से गलतियां हो जाती हैं। लेकिन हम इन्हें ठीक करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं, ताकि इस तरह की गलतियां भविष्य में नहीं हों। उन्होंने कहा, जब से हिलेरी क्लिंटन ने राष्ट्रपति चुनाव लडने का फैसला किया है। हम तिमाही आधार पर अपने सभी दानदाताओं की जानकारी साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। (IANS)
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2008 में भारत-अमेरिका परमाणु करार के समय अमर सिंह ने क्लिंटन फाउंडेशन को दिया था 50 लाख डॉलर का चंदा?

Last Updated: Wednesday, April 29, 2015

वॉशिंगटन : आने वाली एक किताब में सवाल उठाया गया है कि क्या समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह भारत-अमेरिका परमाणु करार को मंजूरी दिलाने के लिए हो रही मशक्कत के समय भारत में प्रभावशाली हितों को तो नहीं साध रहे थे क्योंकि उन्होंने तथा कुछ संगठनों ने 2008 में क्लिंटन फाउंडेशन में चंदा दिया था।


न्यूयॉर्क पोस्ट अखबार ने ‘क्लिंटन कैश’ किताब का उल्लेख करते हुए कहा कि क्लिंटन फांडेशन को 2008 में सिंह की ओर से 10 लाख डॉलर से 50 लाख डॉलर के बीच चंदा मिला था। पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सिंह ने 2008 में ऐसे समय में चंदा दिया था जब अमेरिकी कांग्रेस में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार पर मुहर लगने के संबंध में चर्चा हुई थी। सीनेट इंडिया कॉकस की तत्कालीन सह-अध्यक्ष और प्रतिष्ठित सीनेटर हिलेरी क्लिंटन ने विधेयक का समर्थन किया था जिसे कांग्रेस ने बहुमत से पारित किया था।

किताब के लेखक पीटर श्वाइजर ने सवाल उठाया है कि क्या सिंह परमाणु करार के लिए जोर देते हुए भारत में अन्य प्रभावशाली हितों के लिहाज से वाहक तो नहीं थे। द पोस्ट के अनुसार श्वाइजर ने किताब में लिखा है, अगर यह सच है तो इसका मतलब है कि सिंह ने अपने पूरे नेट वर्थ का 20 से 100 प्रतिशत के बीच क्लिंटन फाउंडेशन को दिया था। नयी दिल्ली में सिंह ने किसी तरह की गड़बड़ी की बात को खारिज किया और दावा किया कि वह अनुमानों और अफवाहों के शिकार हैं।

अमर सिंह ने कहा, मैं अनुमानों और अफवाहों का शिकार हूं। मैं अनुमानों और अटकलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। सिंह ने कहा, मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं जिसने देश के किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया। मैं हाई-प्रोफाइल आदमी हूं जिसकी कलकत्ता और इलाहाबाद उच्च न्यायालयों, कानपुर सत्र अदालत, उत्तर प्रदेश पुलिस तथा ईडी ने कानूनी तरीके से और प्रशासनिक तरीके से जांच पड़ताल की है। लेकिन कोई मेरे खिलाफ कुछ साबित नहीं कर सका। क्लिंटन फाउंडेशन और उनके प्रचार विभाग दोनों ने किसी तरह की गड़बड़ी की बात को पूरी तरह खारिज किया और कहा है कि फाउंडेशन के सार्वजनिक मकसदों के लिए चंदा प्राप्त करने में पारदर्शिता बरती गयी।

क्लिंटन फाउंडेशन की ओर से मौरा पल्ली ने कहा, फाउंडेशन का प्रभाव बढ़ा है तो पारदर्शिता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता भी बढ़ी है। विदेश विभाग और व्हाइट हाउस ने क्लिंटन फाउंडेशन को मिलने वाले चंदे से संबंधित विवाद पर और इससे जुड़े सवालों पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।

हिलेरी क्लिंटन द्वारा हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी की घोषणा किये जाने के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर छापी थी कि अमेरिका में संपूर्ण यूरेनियम उत्पादन की क्षमता के पांचवें हिस्से का नियंत्रण रूसी लोगों को देने वाले एक करार के दौरान क्लिंटन फाउंडेशन में धन आया था।

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