प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने दी किसानो को ऐतिहासिक राहत
नरेन्द्र मोदी सरकार ने दी किसानो को ऐतिहासिक राहत
कोटा 08 अप्रैल। भाजपा कोटा शहर जिला अध्यक्ष हेमन्त विजयवर्गीय, वरिष्ठ भाजपा नेता अरविन्द सिसोदिया, कोटा देहात जिला अध्यक्ष जयवीरसिंह अमृतकुआ एवं पूर्व जिला अध्यक्ष प्रहलाद पंवार आदि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किसानों को राहत देने के लिये उठाये कदमों का स्वागत करते हुये कहा ” यह देश के इतिहास में किसानों के हित के लिये उठाया गया सबसे बड़ा ऐतिहासिक कदम है। “ उन्होने कहा ” किसानों पर प्राकृतिक आपदा और फसलों के खराबे का सिलसिला तो अनादी काल से चल रहा है। मगर कभी भी किसानों के हित के लिये इतना बड़ा काम नहीं हुआ। विगत दस वर्षों में कांग्रेस के मनमोहनसिंह राज में किसान लगातार परेशान रहा , आत्म हत्यायें करता रहा और प्राकृतिक आपदा ग्रस्त रहा मगर उनके कान पर कभी जूं तक नहीं रेंगी थी। अब उन्हे किसानों में भय उत्पन्न करना बंद कर देना चाहिये।“
सीसौदिया ने बताया कि ” अभी तक 50 प्रतिशत से ज्यादा फसल नुकसान होने पर मुआवजा मिला करता था लेकिन अब मोदी सरकार ने तय किया है कि 33 फीसदी फसल का नुकसान होने पर मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही किसानों को मिलने वाले मुआवजे को भी 1.5 गुना बढ़ाने का सरकार ने फैसला किया है। ” उन्होने बताया कि “ इतना ही नहीं मोदीजी ने बैंकों से भी कहा गया है कि वे बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के ऋण का पुनर्गठन करें, बीमा कंपनियों से भी उनके दावों का निपटान सक्रियता से करने के लिए कहा गया है। किसानों के हित के लिये देश के इतिहास में इतने बडे कदम पहली बार उठाये गये हें। सबसे बडी बात इसमें निरंतरता रहेगी।“
भाजपा ने मोदी सरकार के द्वारा उठाये गये किसान राहत कदमों का स्वागत करते हुये कहा यह कदम किसान को राहत भी देंगे और किसान हितों के लिये होने वाले कल्याणकारी कार्यों में मील का पत्थर साबित होंगें।
अरविन्द सिसोदिया
9414180151
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मोदी सरकार का किसानों को बड़ा तोहफा,
फसल नुकसान पर मुआवजे की रकम डेढ़ गुना बढ़ाई
नई दिल्ली : बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से संकट में फंसे किसानों की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को फसल नुकसान से जुड़े मानदंडों में ढील देने की घोषणा की, जिससे किसानों को अधिक मुआवजा और सरकारी सहायता मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने बैंकों से भी प्रभावित किसानों के ऋण का पुनर्गठन करने और बीमा कंपनियों से उनके बीमा दावों का त्वरित निपटान करने को कहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने छोटा-मोटा कारोबार करने वाले उद्यमियों के लिये 20,000 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी से मुद्रा वित्तीय एजेंसी का उद्घाटन करने के अवसर पर यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि पहले के नियम के अनुसार किसान तभी मदद का पात्र माना जाता रहा है जब उसकी 50 प्रतिशत फसल का नुकसान होता था लेकिन अब यदि किसान की 33 प्रतिशत फसल का भी नुकसान हुआ है तो उसे सरकारी मदद दी जाएगी। इससे ज्यादा किसानों को मदद मिल सकेगी। इसके साथ ही मुआवजे की राशि को भी बढ़ाकर डेढ़ गुणा कर दिया गया है।
मोदी ने कहा कि हमने दूसरा महत्वपूर्ण फैसला मानकों को बढ़ाने का किया है ताकि किसानों की अधिक मदद की जा सके। मुआवजे की राशि बढ़ाकर डेढ़ (1.5) गुना कर दी गई है। यदि इससे पहले उन्हें 100 रुपये का मुआवजा मिल रहा था तो अब उन्हें 150 रुपये मिलेंगे, यदि उन्हें एक लाख रुपये मिल रहे थे तो उन्हें अब डेढ़ लाख रुपये मिलेंगे। इसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे पहले ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में किसानों की मदद के जो मानदंड रखे गये थे उनसे किसानों का ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता था।
उन्होंने कहा कि पिछले साल ऐसा कम बारिश की वजह से हुआ और इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसान को नुकसान हुआ। मोदी ने कहा कि बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से फसलों को हुये नुकसान के आकलन के लिये हमने मंत्रियों को विभिन्न राज्यों में भेजा, हमने इसकी समीक्षा की है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कल कहा था कि बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि के कारण देशभर में 113 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल को नुकसान हुआ है।
बैंकों से कहा गया है कि वे बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के ऋण का पुनर्गठन करें, बीमा कंपनियों से भी उनके दावों का निपटान सक्रियता से करने के लिए कहा गया है। किसानों को मदद करने के लिए हम इस बार बड़ा कदम उठा रहे हैं।
प्रभावित किसानों के लिये मुआवजा बढ़ाने के संबंध में मोदी ने कहा कि इससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा लेकिन उनकी मदद करना जरूरी है क्योंकि वे तकलीफ में हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें देश के किसानों की चिंता करनी है जो पर्याप्त वर्षा न होने या फिर बेमौसम बारिश की समस्या से जूझ रहे हैं। अपना खुद का काम करने वाले छोटे उद्यमियों के लिए बनी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) के बारे में मोदी ने कहा कि इसका लक्ष्य है उन लोगों को कर्ज देना जिन्हें बैंकों तथा दूसरे संस्थानों से कर्ज नहीं मिल पाता है, जो लोग अपनी जरूरत के लिये साहुकार से कर्ज लेने को मजबूर हैं, उन्हें मुद्रा बैंक के जरिये मदद दी जायेगी। ऐसे छोटे उद्यमी स्वरोजगार करने के साथ साथ दूसरों को भी रोजगार देते हैं।
उन्होंने कहा कि बड़े ताम झाम वाले कारोबारी समूह जो मीडिया का बहुत ध्यान आकषिर्त करते हैं, वे सिर्फ 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं जबकि छोटी मोटी दुकान, ब्यूटी पार्लर, मैकेनिक, दर्जी, कुम्हार तथा ऐसा ही छोटा मोटा धंधा करने वाले 5.75 करोड़ उद्यमी 12 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। मोदी ने कहा कि बड़े उद्योगों की वित्तीय सहायता के लिये कई साधन है लेकिन इन छोटे छोटे उद्यमों की मदद करने के लिये कोई साधन नहीं है। इन उद्यमों में कुल मिलाकर 11,00,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगी है जबकि इन्हें औसतन 17,000 रुपये का ही कर्ज मौजूदा संस्थानों से उपलब्ध हो पाता है। इनके लिये साधन बढ़ने चाहिये और औसतन एक लाख रपये तक का कर्ज इन्हें मिलना चाहिये ताकि इनका विकास हो और देश प्रगति करे।
भाषा
प्रधानमंत्री ने बैंकों से भी प्रभावित किसानों के ऋण का पुनर्गठन करने और बीमा कंपनियों से उनके बीमा दावों का त्वरित निपटान करने को कहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने छोटा-मोटा कारोबार करने वाले उद्यमियों के लिये 20,000 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी से मुद्रा वित्तीय एजेंसी का उद्घाटन करने के अवसर पर यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि पहले के नियम के अनुसार किसान तभी मदद का पात्र माना जाता रहा है जब उसकी 50 प्रतिशत फसल का नुकसान होता था लेकिन अब यदि किसान की 33 प्रतिशत फसल का भी नुकसान हुआ है तो उसे सरकारी मदद दी जाएगी। इससे ज्यादा किसानों को मदद मिल सकेगी। इसके साथ ही मुआवजे की राशि को भी बढ़ाकर डेढ़ गुणा कर दिया गया है।
मोदी ने कहा कि हमने दूसरा महत्वपूर्ण फैसला मानकों को बढ़ाने का किया है ताकि किसानों की अधिक मदद की जा सके। मुआवजे की राशि बढ़ाकर डेढ़ (1.5) गुना कर दी गई है। यदि इससे पहले उन्हें 100 रुपये का मुआवजा मिल रहा था तो अब उन्हें 150 रुपये मिलेंगे, यदि उन्हें एक लाख रुपये मिल रहे थे तो उन्हें अब डेढ़ लाख रुपये मिलेंगे। इसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे पहले ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में किसानों की मदद के जो मानदंड रखे गये थे उनसे किसानों का ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता था।
उन्होंने कहा कि पिछले साल ऐसा कम बारिश की वजह से हुआ और इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसान को नुकसान हुआ। मोदी ने कहा कि बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से फसलों को हुये नुकसान के आकलन के लिये हमने मंत्रियों को विभिन्न राज्यों में भेजा, हमने इसकी समीक्षा की है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कल कहा था कि बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि के कारण देशभर में 113 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल को नुकसान हुआ है।
बैंकों से कहा गया है कि वे बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के ऋण का पुनर्गठन करें, बीमा कंपनियों से भी उनके दावों का निपटान सक्रियता से करने के लिए कहा गया है। किसानों को मदद करने के लिए हम इस बार बड़ा कदम उठा रहे हैं।
प्रभावित किसानों के लिये मुआवजा बढ़ाने के संबंध में मोदी ने कहा कि इससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा लेकिन उनकी मदद करना जरूरी है क्योंकि वे तकलीफ में हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें देश के किसानों की चिंता करनी है जो पर्याप्त वर्षा न होने या फिर बेमौसम बारिश की समस्या से जूझ रहे हैं। अपना खुद का काम करने वाले छोटे उद्यमियों के लिए बनी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) के बारे में मोदी ने कहा कि इसका लक्ष्य है उन लोगों को कर्ज देना जिन्हें बैंकों तथा दूसरे संस्थानों से कर्ज नहीं मिल पाता है, जो लोग अपनी जरूरत के लिये साहुकार से कर्ज लेने को मजबूर हैं, उन्हें मुद्रा बैंक के जरिये मदद दी जायेगी। ऐसे छोटे उद्यमी स्वरोजगार करने के साथ साथ दूसरों को भी रोजगार देते हैं।
उन्होंने कहा कि बड़े ताम झाम वाले कारोबारी समूह जो मीडिया का बहुत ध्यान आकषिर्त करते हैं, वे सिर्फ 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं जबकि छोटी मोटी दुकान, ब्यूटी पार्लर, मैकेनिक, दर्जी, कुम्हार तथा ऐसा ही छोटा मोटा धंधा करने वाले 5.75 करोड़ उद्यमी 12 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। मोदी ने कहा कि बड़े उद्योगों की वित्तीय सहायता के लिये कई साधन है लेकिन इन छोटे छोटे उद्यमों की मदद करने के लिये कोई साधन नहीं है। इन उद्यमों में कुल मिलाकर 11,00,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगी है जबकि इन्हें औसतन 17,000 रुपये का ही कर्ज मौजूदा संस्थानों से उपलब्ध हो पाता है। इनके लिये साधन बढ़ने चाहिये और औसतन एक लाख रपये तक का कर्ज इन्हें मिलना चाहिये ताकि इनका विकास हो और देश प्रगति करे।
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