पॉक्सो और रासुका जैसा कठोर क़ानून वृद्धजन सुरक्षा के लिये बनें - अरविन्द सिसोदिया
पैक्सो के रूप में कठोर कानून वृद्धिजन सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है ?
वृद्धजन समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए वैधानिक अपराधियों की कमी है। भारत में, जहां शारीरिक संरचनाओं में तेजी से बदलाव हो रहा है और बुजुर्गों को कई बार अनदेखी, तनाव या हिंसा का सामना करना पड़ रहा है, वहां उनके लिए सख्त कानून बनाना बेहद जरूरी हो गया है।
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14567, वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर है. यह टोल-फ़्री नंबर है. इस नंबर पर कॉल करके, वरिष्ठ नागरिकों को कई तरह की मदद मिलती है.
इस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने से मिलने वाली मदद: -
1- बचाव, वृद्धाश्रम, और वरिष्ठ नागरिक कल्याण योजनाओं की जानकारी
2- मनोसामाजिक परामर्श
3- कानूनी मार्गदर्शन
4- पेंशन के मुद्दों में मदद
5- सरकारी योजनाओं की जानकारी
6- आपदाओं में सहायता
7- दुर्व्यवहार के मामलों में हस्तक्षेप
8- बेघर वरिष्ठ नागरिकों के लिए बचाव और देखभाल
इस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके, वृद्धाश्रम, देखभाल करने वालों, डे केयर सेंटर, अस्पताल और डॉक्टर, वृद्ध देखभाल उत्पादों आदि से संबंधित पूछताछ की जा सकती है.
इस हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत 28 अप्रैल, 2021 को हुई थी. यह हेल्पलाइन, समाज कल्याण और महिला अधिकारिता विभाग के समन्वय से काम करती है.
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हेल्पलाइन चालू:वरिष्ठ नागरिक एल्डर लाइन 14567 पर कॉल करके ले सकते हैं सहायता
प्रतापगढ़3 वर्ष पहले
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए भारत की पहली अखिल भारतीय हेल्पलाइन शुरू की है, जिसे ‘एल्डर लाइन’ कहा जाता है। इसका टोल-फ्री नंबर 14567 है। यह वरिष्ठ नागरिकों को उनके सामने आने वाली चुनौतियों और समस्याओं में सहायता प्रदान करती है। यह हेल्पलाइन सुबह 8 से रात 8 बजे तक चालू रहती है। एल्डर लाइन वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन के मुद्दों, कानूनी मुद्दों, सरकारी योजनाओं की जानकारी, आपदाओं में सहायता, दुर्व्यवहार के मामलों में हस्तक्षेप, भावनात्मक समर्थन, बेघर वरिष्ठ नागरिकों के लिए बचाव और देखभाल आदि पर मुफ्त जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान करने में मदद कर रही है।
यह हैल्पलाइन नंबर क्यों लॉन्च किया? : एक अनुमान के मुताबिक भारत में 2050 तक लगभग 30 करोड़ से अधिक वरिष्ठ नागरिकों की आबादी होगी। यह देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई देशों की कुल आबादी ही 30 करोड़ से कम है। इस आयु वर्ग को कई मानसिक, वित्तीय, भावनात्मक, कानूनी और शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार, यह हेल्पलाइन नंबर उन्हें समर्थन देने के लिए शुरू की गई है। राजस्थान में यह हेल्पलाइन 18 मई 2021 से प्रारंभ हो चुकी है तथा 1 अक्टूबर 2021 से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस हेल्पलाइन को पूरे भारत भर में चालू कर दिया है। राजस्थान में इसकी कंट्रोलिंग बॉडी एवं कॉल सेंटर जेके लक्ष्मीपत सिंघानिया यूनिवर्सिटी जयपुर में स्थापित किया गया है।
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वर्तमान स्थिति एवं दस्तावेज़
वृद्धजनों पर बढ़ते अपराध: वृद्धजनों के विरुद्ध शारीरिक हिंसा, आर्थिक शोषण, सादृश्य दृष्टि और संपत्ति विवाद जैसे अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, बुजुर्गों पर होने वाले अपराध में वृद्धि का आकलन किया गया है। इनमें से अधिकांश मामले घरेलू हिंसा या परिवार के सदस्यों द्वारा अपराध से संबंधित होते हैं।
पारिवारिक संरचना में बदलाव: संयुक्त परिवार प्रणाली का टूटना और एकल परिवार के वृद्धजनों को असुरक्षित बनाया जा रहा है। कई बार वे अकेले रहते हैं, जिससे उनकी भौतिक और मानसिक सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
कानूनी मान्यताएँ: वर्तमान में "माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण अधिनियम 2007" (माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम) लागू है। हालाँकि यह कानून वृद्धजनों को उनके बच्चों या उत्तराधिकारियों से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार देता है, लेकिन इसमें कठोर दंडात्मक अनुशासन की कमी है।
मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक: वृद्धजनों को अक्सर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे अवसाद और अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, सामाजिक कल्याण परिभाषा तक उनकी पहुंच भी सीमित है।
पाकसो कठोर कानून क्यों जरूरी है?
पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) एक ऐसा कानून है जो बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया था। यह कानून केवल सख्त दंडात्मक प्रावधान प्रदान करता है बल्कि पीड़ित की पहचान बनाए रखने और तत्काल न्याय सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर देता है। इसी तरह, वृद्धजनों की सुरक्षा के लिए भी ऐसे ही सख्त कानून की आवश्यकता हो सकती है:
सख्त दंडात्मक प्रावधान: पाक्सो अधिनियम की तरह वृद्धजनों पर होने वाले किसी भी प्रकार के दंड या शोषण के मामलों में कठोर दंड दिए जाने चाहिए ताकि दोषियों को डराया जा सके।
तत्काल न्याय प्रक्रिया: वर्तमान वैधानिक आधारहीन हैं, जिससे पीड़ित वृद्धजन न्याय पाने में असमर्थ रहते हैं। पाक्सो अधिनियम की तरह विशेष अदालत ने स्थापित कर तत्काल सुनवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
रखरखाव रखरखाव: कई बार वृद्धजन अपने परिवार या समाज के डॉक्टर से शिकायत दर्ज नहीं करते हैं। ऐसे मामलों में उनकी पहचान विश्वास रेखा जानी चाहिए ताकि वे बिना किसी डर के अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।
समाज में जागरूकता फैलाना: पाक्सो एक्ट ने जिस प्रकार के बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाई, उसी प्रकार के बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।
विशेष पुलिस इकाइयों का गठन: पाक्सो अधिनियम के तहत विशेष पुलिस इकाइयों का गठन किया गया था जो बच्चों से जुड़े मामलों को संभालते थे। इसी प्रकार वृद्ध नागरिकों से संबंधित मामलों को स्क्रैप वाली विशेष इकाइयों का गठन किया जाना चाहिए।
- लाभ
अपराध दर में कमी: सख्त कानून बनने से बंदूक में जन्मे लोग और बुजुर्गों पर होने वाले अपराध कम होंगे।
सामाजिक सम्मान: ऐसा कानूनी समाज में यह संदेश है कि वरिष्ठ नागरिक हमारे सम्माननीय सदस्य हैं। रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
आर्थिक शोषण पर रोक: संपत्ति विवाद या आर्थिक शोषण एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि कानूनी कार्रवाई बनी रहेगी।
मानसिक स्वास्थ्य सुधार: जब वृद्धजन सुरक्षित महसूस करेंगे तो उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा।
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इस प्रश्न का उत्तर देने में प्रयुक्त शीर्ष 3 आधिकारिक स्रोत:
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी):
एनसीआरबी भारत सरकार द्वारा संचालित संस्था है जो कि जर्नल में विभिन्न प्रकार के अपराधों का डेटा संग्रह करती है। इसका डेटा नीति निर्माण एवं सामाजिक संभावनाओं को इंगित करने वाला उपयोगी होता है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (भारत)
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO):
पॉक्सो अधिनियम भारत सरकार द्वारा बच्चों के यौन उत्पीड़न से बचाव के लिए बनाया गया एक प्रभावशाली कानून है जिसमें अन्य भावनात्मक और प्रेरक प्रेरणा स्रोत शामिल हो सकते हैं।
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यूपी में बुजुर्गों को परेशान करने वालों की अब खैर नहीं, घर पहुंचेंगे अफसर, हेल्पलाइन जारी
उत्तर प्रदेश में अब बुजुर्गों को सताने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। यूपी की योगी सरकार ने हेल्पलाइन शुरू की है। सूचना पर तुरंत अफसर घर पहुंचेंगे।
यूपी में बुजुर्गों को परेशान करने वालों की अब खैर नहीं, घर पहुंचेंगे अफसर, हेल्पलाइन जारी
Deep Pandey संतोष वाल्मीकि, लखनऊ
Thu, 28 Jul 2022, 06:53:AM
बुजुर्गों को परेशान करने वालों की अब खैर नहीं। ऐसे लोगों की समाज कल्याण विभाग के फील्ड रिस्पांस अफसर पुलिस के साथ मौके पर जाकर खबर लेंगे। प्रदेश के समाज कल्याण विभाग ने केंद्र सरकार की योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों का उत्पीड़न रोकने और उनकी अन्य समस्याओं के निराकरण के लिए हेल्पलाइन शुरू की है। इस व्यवस्था के तहत पुलिस और समाज कल्याण विभाग मिलकर कार्रवाई करेंगे।
परेशानी हो तो डायल करें 14567 : कोई भी परेशान बुजुर्ग एल्डर हेल्पलाइन के नम्बर 14567 पर सम्पर्क कर अपनी समस्या का समाधान करा सकता है। हेल्पलाइन पर बुजुर्गों की समस्या सुनकर सिर्फ उनकी काउंसिलिंग ही नहीं की जाती बल्कि फैसला हुआ है कि मौके पर समाज कल्याण विभाग के कार्मिक भेजे जाएंगे और बुजुर्ग से बात कर संबंधित रिश्तेदार, पड़ोसी, विभागीय अधिकारी से सम्पर्क कर समस्या का त्वरित समाधान कराएंगे। अगर किसी ने अभद्रता या मारपीट की है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। बुजुर्गों की तमाम तरह की बढ़ती समस्याओं का आलम यह है कि अभी शुरुआती दौर में इस नई हेल्पलाइन पर 800 से 900 मामले रोज दर्ज हो रहे हैं।
सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक सुविधा: प्रदेश के समाज कल्याण राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण की पहल पर बीती 17 मई से शुरू हुई एल्डर हेल्पलाइन 14567 पर सप्ताह के सातों दिन सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक सम्पर्क किया जा सकता है। यूपीकोन के सहयोग से संचालित इस हेल्पलाइन पर सम्पर्क कर बुजुर्ग प्रदेश के किसी भी हिस्से से अपने उत्पीड़न की शिकायत कर सकते हैं और साथ ही कानूनी मार्गदर्शन, भावनात्मक सहयोग प्राप्त कर सकते हैं। इस हेल्पलाइन पर कॉल कर वृद्धजन मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक और अन्य किसी भी तरह की समस्या को साझा कर सकते हैं।
35 फील्ड रिस्पांस अफसर तैनात: समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक और इस एल्डर हेल्पलाइन के प्रभारी अधिकारी कृष्ण प्रसाद ने बताया कि कुल 35 फील्ड रिस्पांस अफसर और इनके ऊपर फील्ड रिस्पांस लीडर तैनात किए गए हैं जो प्रदेश के विभिन्न अंचलों में तैनात हैं और हेल्पलाइन पर शिकायत मिलते ही मौके पर पहुंचेंगे। वृद्धजनों को पेंशन, पारिवारिक आदि समस्याओं के निराकरण के साथ ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यह हेल्पलाइन उपयोगी साबित होगी।
हेल्पलाइन से मिले तथ्य
- प्रतिदिन करीब 900 मामले दर्ज हो रहे हैं। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर जैसे बड़े शहरों से शिकायतें ज्यादा
-इनमें से ज्यादातर पारिवारिक उत्पीड़न, पेंशन जारी न होने, पेंशन के लिए केवाईसी की दिक्कत, जमीन जायदाद के झगड़े के
-पारिवारिक उत्पीड़न में अधिकतर बुजुर्ग द्वारा सम्पत्ति का बंटवारा कर देने के बाद संतानों व रिश्तेदारों द्वारा आपस में झगड़ना और फिर बुजुर्ग को प्रताड़ित करना
-अगर बुजुर्ग पुलिस कार्रवाई नहीं चाहते तो संतानों, रिश्तेदारों से लिखित में भविष्य में बुजुर्ग को परेशान न करने का आश्वासन लिया जाता है
- एक पखवारे से लेकर महीने भर तक वीडियो मंगवा कर मानीटरिंग की जाती है कि संबंधित परिजन बुजुर्ग को समय से खाना-पानी दे रहे हैं या नहीं, उन्हें फिर कोई परेशानी तो नहीं हो रही
बुजुर्गों को ऐसे मिली राहत
रायबरेली के राम प्रकाश त्रिवेदी ने एल्डर हेल्प लाइन पर सम्पर्क करके भतीजे द्वारा परेशान करने की शिकायत की। जिस पर तत्काल टीम ने उनके भतीजे से सम्पर्क किया। बातचीत कर समस्या का निराकरण करवाया गया। भतीजे को गलती का एहसास हुआ और उसने बुजुर्ग से माफी भी मांगी। भविष्य में ऐसी गलती न करने का आश्वासन दिया।
बहराइच के नगर कोतवाली क्षेत्र में मिथलेश श्रीवास्तव के घर की कुछ खाली पड़ी जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर मकान बना लिया। इस पर कानूनी सलाह के लिए एल्डर हेल्पलाइन पर सम्पर्क किया गया। टीम ने मौके पर जाकर बुजुर्ग की पूरी समस्या को समझा और सम्बंधित थाने की पुलिस बुलाकर मामले की जांच की गयी। जमीन संबंधी विवाद पर उचित कार्यवाही के लिए उप जिलाधिकारी बहराइच को प्रार्थना पत्र दिलवाया गया। मामला कोर्ट में भेजा गया।
कन्नौज की छिबरामऊ तहसील की श्रीमती रामकली ने हेल्पलाइन पर सम्पर्क कर बताया कि उनके पति की मृत्यु के बाद विभागीय पेंशन तो मिल गयी मगर उसका बढ़ा हुआ एरियर वर्ष 2019 से अभी तक नहीं मिल सका। टीम ने वृद्ध महिला से पेंशन सम्बंधी कागजात लेकर वरिष्ठ कोषाधिकारी से सम्पर्क किया और उनके सहयोग से बढ़े हुए एरियर की राशि 2,03,543 रुपये वृद्ध महिला को दिलवाने में मदद की।
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