अमेरिका की अमानवीय तानाशाही की निंदा होनी चाहिये - अरविन्द सिसौदिया US deportation

 

अमेरिका की अमानवीय तानाशाही की निंदा होनी चाहिये - अरविन्द सिसौदिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 4 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानी UNHRC से अमेरिका को बाहर करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर साइन किए। और इसके तुरंत बाद उसने मानवीय व्यवहार से पल्ला छाड़ लिया और उसका क्रूर तानाशाह चेहरा सबके सामने बेनक़ाब हुआ। 

भारत में करोड़ों बांग्लादेशियों सहित गैरकानूनी तरीके से विदेशी रह रहे हैँ, किन्तु भारत नें कभी भी अमेरिका जैसी क्रूरता नहीं बर्ती है। यह भारत का मानवीय चेहरा है, वहीं अमेरिका नें अपने ही मानवाधिकारों के व्याख्यानों की धज्जियाँ उड़ाते हुये, अत्यंत क्रूर और शर्मनाक व्यवहार प्रस्तुत किया है। जो सिर्फ तानाशाही ही कही जाएगी। 

यह सच है कि भारत सरकार बातचीत के अतिरिक्त कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में घुसे नागरिक वहाँ के अपराधी ही हैँ। जब चोरी करते बेटा पकड़ा जाता है तो बाप का सिर शर्म से झुक जाता है। वही स्थिति भारत की है।

तमाम दुनिया को मानवता के तमाम संदेश देनें वाला अमेरिका के द्वारा ,अमेरिका से डिपोर्ट हुए ‘भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार’ की घटना अत्यं निंदनीय है। इस घटना की इतनी निंदा होनी चाहिये कि इस तरह के दुर्व्यवहार की भविष्य में अमेरिका हिम्मत न कर पाये। 

भारत में करोड़ों बांग्लादेशियों सहित गैरकानूनी तरीके से विदेशी रह रहे हैँ, किन्तु भारत नें कभी भी अमेरिका जैसी क्रूरता नहीं बर्ती है। यह भारत का मानवीय चेहरा है, वहीं अमेरिका नें अपने ही मानवाधिकारों के व्याख्यानों की धज्जियाँ उड़ाते हुये, अत्यंत क्रूर और शर्मनाक व्यवहार प्रस्तुत किया है। जो सिर्फ तानाशाही ही कही जाएगी। 

निर्वासित लोगों को पूरी यात्रा के दौरान उन्हें हथकड़ी लगी थी और पैरों में जंजीरें बांधी गई थीं जिन्हें अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही हटाया गया। उन्हें 40 घंटे तक शौचालय का उपयोग करने की अनुमति नहीं देना पूरी तरह से अमानवीय है।”

‘‘उनका अपराध इस तरह का नहीं था कि उनके साथ इस तरह का अपमानजनक व्यवहार किया जाये। वे सिर्फ बेहतर जीवन की तलाश में गए थे। उन्होंने यह अवैध रूप से किया, लेकिन इससे वे इतने बडे अपराधी नहीं बन जाते कि उनके हाथ-पैर बांध दिए जाएं और उनके साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जाए। उन्हे आतंकवादी जैसा मान लिया जाये। ”

यह सही है कि ये लोग भारत सरकार की अनुमती से नहीं गये थे, इन्होनें अमेरिका में घुसनें का विधि विरूद्ध रास्ता अपनाया। किन्तु एक मानव धर्म भी है कि इनके साथ अमेरिका प्रधासन ने इस तरह का व्यवहार किया जैसे ये खूंखार हिंसक लोग हों। 

जब से ट्रंप प्रशासन आया है तब से अतिश्योत्पिर्ण घटनायें घटित होंगी , यह आशंका तो थी , मगर हद पार करने वाली घटना सामनें आनें से स्तब्धता छागई है। भारत सरकार अमेरिका के प्रति सावधान रहे , वहां सरकार बदलने से भारत के प्रति दृष्टिकोंण नहीं बदलते है। और हिन्दू  विरोधी मानसिकता तो वहां लगातार काम करती रहती है। उनकी खुराफातें आगे भी सामनें आयेगीं । इसलिये सावधन रहना होगा। 


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