भारत की राजनीतिक दिशा को गोधराकांड नें बदल दिया Godhra Hindu Jagrti

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भारत की राजनीतिक दिशा को गोधराकांड नें बदल दिया - अरविन्द सिसोदिया

गोधरा कांड के बाद प्रतिकार लेंनें वाला हिंदुत्व जाग्रत हुआ उसी नें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी को लोकनायक बनाया, यही योगीजी ने किया और वे भी आज लोकनायक हैँ।

गोधरा में 27 फरवरी 2002 की सुबह में, सावरमती एक्सप्रेस के जिस कोच से श्रीरामजन्मभूमि के दर्शन करके रामभक्त लौट रहे थे, उसे गोधरा नगर पालिका के कांग्रेस के मुस्लिम पार्षदों के नेतृत्व में 3000 के लगभग की भीड़ नें घेर कर पेट्रोल डाल कर जिन्दा जला दिया गया। जिसमें 59 हिन्दू कोच में ही जिन्दा जल गये और बाद में भी कई घायल चल बसे।

सबसे बड़ी बात यह थी कि इस घटना के बाद पूरे दिन संसद चली और वहाँ इसका जिक्र तक नहीं था। जिससे गुजरात के हिन्दुओं में और अधिक गुस्से का संचार हुआ।

इस घटना के बाद तब गुजरात में जनआक्रोश उत्पन्न हो गया और प्रतिकार स्वरूप दंगे प्रारंभ हो गये। 

इस घटना नें पूरे देश के हिन्दुओं को हिला कर रख दिया, इससे हिन्दुओं में एक जुटता की भावना जाग्रत हुई, वहीं हिन्दू भी बदला ले सकता है, इस तरह का संदेश भी गया और हुआ भी यही। इसके बाद पूरे देश में हिंदुत्व की रक्षक भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना को राजनैतिक समर्थन मिला। 

भाजपा के उत्थान में निसंदेह कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति का भी बड़ा योगदान है। मुस्लिम वोट के लिये मुस्लिम हिंसा और अत्याचारों और नाजायज मांगों को अपरोक्ष समर्थन देनें वाले दल अब पूरी तरह बेनक़ाब हो गये हैँ। वहीं भाजपा की हिंदू सुरक्षा की नीति को देश में पूर्ण स्वीकारोक्ती मिल रही है। भविष्य में यह और भी घनीभूत होंगी। आने वाले लंबे समय तक भारत में भाजपा का शासन ही रहेगा, इस तरह क़ी संभावना बन रही है।

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विचार - भारत की राजनीतिक दिशा को गोधराकांड नें बदल दिया

व्याख्या - गोधराकांड के बाद भारत की राजनीतिक दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया। इस घटना के बाद पूरे देश में हिन्दू जागरण हुआ और हिन्दू प्रतिकार भी सामने आया। इस घटना ने भारतीय राजनीति में शांत रहने वाले बहू संख्यक हिन्दू समाज में धार्मिक और सामाजिक तनाव को बढ़ावा दिया था । आत्मरक्षा के लिए प्रेरित किया था।

गोधराकांड के बाद की राजनीतिक परिदृश्य में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए:-

-  हिंदुत्व की विचारधारा का उदय : - गोधराकांड के बाद, हिंदुत्व की रक्षा की विचारधारा ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। इससे हिन्दू एक जुटता हुई और गुजरात में आज तक हिन्दू विरोधी कांग्रेस हांसिये पर पड़ी हुई है।

- सांप्रदायिक तनाव में वृद्धि : - इस घटना ने हिंदू-मुस्लिम संबंधों में पुनः तनाव बढ़ा दिया और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ गईं । इस्लाम भारत पर आक्रमणकारी है और उससे भारत के मूल निवासी हिन्दुओं के कभी भी शतिपूर्ण संबंध नहीं रहे और न रहेंगे।

- राजनीतिक दलों का धार्मिक एजेंडा : - गोधराकांड के बाद, राष्ट्रवादी राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी अभियान में हिन्दुओं की धार्मिक सुरक्षा के मुद्दों को शामिल किया। इससे हिन्दू शैने शैने एक जुट होना प्रारंभ हुआ है।

इन परिवर्तनों ने भारतीय राजनीति को एक नए दिशा में मोड़ दिया, जिसमें हिन्दुओं के धार्मिक और सामाजिक मुद्दों का महत्व बढ़ गया है। अब हिन्दू को उपेक्षित नहीं किया जा सकता यह स्पष्ट संदेश देश में और दुनिया में चला गया है।
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गोधरा में हिन्दू नरसंहार 
27 फ़रवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में एक कारसेवकों से भरी रेलगाड़ी सावरमती एक्सप्रेस में मुस्लिम समुदाय के 3000 से अधिक लोगों द्वारा आग लगाने से 59 यात्री मारे गए जिनमे सभी हिंदू  थे। 

इस घटना के कर्ताधर्ता मुख्य रूप से मुस्लमान थे और इसकी अगुवाई कांग्रेस का मुस्लिम जनप्रतिनिधि कर रहा था। जिसके नतीजे में गुजरात में 2002 के दंगे हुए। 28 फरवरी 2002 तक, 71 लोग आगजनी, दंगा और लूटपाट के आरोप में गिरफ्तार किये गये थे।
हमले के लिये कथित आयोजकों में से एक को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, सोरीन रॉय ने कहा कि बंदी मुस्लिम कट्टरपंथी समूह हरकत-उल जेहाद-ए-इस्लामी, जिसने कथित तौर पर बांग्लादेश मे प्रवेश करने के लिए मदद की। 17 मार्च 2002, मुख्य संदिग्ध हाजी बिलाल जो एक स्थानीय नगर पार्षद और एक कांग्रेस कार्यकर्ता था,जिसे एक आतंकवादी विरोधी दस्ते द्वारा गिरफ्तार किया गया।

भीड़ ने 27 फरवरी को हमला किया था जब साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन ने गोधरा स्टेशन छोड़ कर आगे बढ़ रही थी। हमला करने वालों का नेतृत्व गोधरा नगर पालिका के अध्यक्ष और कांग्रेस अल्पसंख्यक संयोजक मोहम्मद हुसैन कलोटा कर रहा था जिसे मार्च में गिरफ्तार किया गया। अन्य लोगों में गिरफ्तार हुए पार्षद अब्दुल रज़ाक और अब्दुल जामेश शामिल थे। 
आरोप-पत्र प्रथम श्रेणी रेलवे मजिस्ट्रेट पी जोशी से पहले एसआईटी द्वारा दायर की जो 500 से अधिक पृष्ठों की है ,जिसमें कहा गया है कि 59 लोगों जो साबरमती एक्सप्रेस के एस -6 कोच में मारे गए थे जिनको चारों ओर से 1540 अज्ञात लोगों के एक भीड़ ने गोधरा रेलवे स्टेशन के निकट हमला किया। 78 लोगों पर आगजनी का आरोप लगाया ओर 65 लोगों पर पथराव करने का आरोप लगाया। आरोप-पत्र में यह भी कहा है कि एक भीड़ ने पुलिस पर हमला किया, फायर ब्रिगेड को रोका है और  दूसरी भीड़ ने ट्रेन पर धावा बोल दिया। 11 अन्य लोगों को इस भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया।

हालांकि ग्यारह साल बाद भारत की एक अदालत ने मुसलमान बिरादरी के 31 लोगों को इस घटना के लिए दोषी ठहराया।

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