आप पार्टी, भ्रष्टाचार के विरोध से जीती थी और भ्रष्टाचार में लिप्त होने से हारी - अरविन्द सिसोदिया Delhi BJP AAP

एक समय था जब देश में मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार के दिन प्रतिदिन के घोटालों से देश छुब्ध था, तब महाराष्ट्र के समाज सेवक अन्ना हजारे नें दिल्ली में आंदोलन किया, तब उस आंदोलन के कर्ताधर्ता अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया आदि थे। 

तभी दिल्ली के विधानसभा चुनाव हुये और अन्ना हजारे से विद्रोह कर केजरीवाल नें आप पार्टी का गठन किया और चुनाव लड़ा उन्हे 70 में से 28 सीटें मिलीं, तब भाजपा सबसे बड़ा दल था, किन्तु भाजपा को रोकने के लिये कांग्रेस नें आप पार्टी को समर्थन दिया और केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनवाया। कुछ ही महीने बाद यह सरकार कांग्रेस नें समर्थन वापस लेकर गिरा दी। यह कांग्रेस का हमेशा ही ट्रेंड रहा है कि वह जिसे समर्थन देती है उसे ही पटकती है।

तब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को देश नें भ्रष्टाचार की सजा दी थी, वह अपने इतिहास की सबसे बड़ी पराजय पहुंची, नेता प्रतिपक्ष का पद भी उसे नहीं मिला। 

केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद फिर से दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुये, कांग्रेस को डर था कि भाजपा सत्ता में आसकती है, उन्होंने अंतिम दिनों में अपरोक्ष समर्थन आप को दिया, मुस्लिम वोट भी आप में डलवाया गया, नतीजतन आप पार्टी 70 में से 67 सीटों पर जीती और कांग्रेस शून्य रही। यही स्थिति 2020 में भी रही, कांग्रेस 2019 लोकसभा में भाजपा की जीत से भयभीत थी। इस बार भाजपा 3 से 8 पर पहुंच गई थी। सच यह था कि भाजपा नें भी दोनों बार दिल्ली चुनाव उतना सीरियस नहीं लड़ा जीतने की जरूरत थी। भाजपा टिकिट वितरण की खामियों से भी हारी थी।

आप पार्टी किसान आंदोलन में ख़ालिस्तानी मूमेंट के चक्रव्यूह में फंस गई, उसने पंजाब के हुडदंग को दिल्ली में उत्पात मचाने में पूरा - पूरा सहयोग दिया। दिल्ली की नजर से वह लाल किले पर ख़ालिस्तानी झंडे को फहराने के साथ ही उतर गई थी। इसी के साथ जब आप पार्टी नें सत्ता से धन कमानें के क्रम में शराब घोटाला किया तो वह महिलाओं की नजर से ज्यादा उतर गई। फिर शीशमहल के विलासता पूर्ण रहन सहन नें भी हंसिये पर ला दिया।

रहा सहा काम दिल्ली नगर निगम में आप के बोर्ड नें कर दिया। जो नुकसान भाजपा को नगर निगम के कारण होता था, वही नुकसान आप को भी हुआ। पार्टी के दोनों बड़े नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया चुनाव हार चुके हैँ, मुख्यमंत्री अतिशी भी मात्र 989 वोटों से ही जीत पाई हैँ। 

आप पार्टी की हार का मुख्यकारण ख़ालिस्तानी गठजोड़, तुष्टिकरण की राजनीती, शराब घोटाला, शीशमहल का निवास औरदिल्ली नगर निगम की विफलता प्रमुखरूप से हैँ।

भाजपा चुनाव भारी बहुमत से जीत गई है। उसे जमीन से जुड़ कर ही काम करना होगा।

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