संदेश

My Gov मेरा शासन चिकित्सा व्यवस्था

मानवीय, पारदर्शी एवं जवाबदेह चिकित्सा सेवा अधिनियम – प्रस्तावित प्रावधान (राज्यस्तरीय) अध्याय 1 – प्रारंभिक प्रावधान 1. लघु शीर्षक और प्रवर्तन इस अधिनियम को "मानवीय, पारदर्शी एवं जवाबदेह चिकित्सा सेवा अधिनियम, 20XX" कहा जाएगा। यह अधिनियम राज्य के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, निजी, ट्रस्ट, चैरिटेबल और कॉर्पोरेट स्वास्थ्य संस्थानों पर लागू होगा। 2. परिभाषाएँ "चिकित्सा संस्थान" – किसी भी प्रकार का अस्पताल, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर, स्वास्थ्य केंद्र या पोस्टमार्टम हाउस। "परिजन" – मृतक/मरीज का कानूनी निकटतम संबंधी या अधिकृत प्रतिनिधि। --- अध्याय 2 – मरीज एवं परिजन के अधिकार 3. मृत शरीर सौंपने की अनिवार्यता किसी भी स्थिति में मृत शरीर को भुगतान, औपचारिकताओं या अन्य कारणों से रोका नहीं जाएगा। मृत्यु के समय से अधिकतम 2 घंटे के भीतर मृत शरीर परिजनों को सौंपना अनिवार्य होगा। उल्लंघन पर ₹50,000 से ₹5,00,000 जुर्माना तथा न्यूनतम 6 माह का कारावास। बकाया राशि की वसूली केवल दीवानी प्रक्रिया द्वारा। 4. पोस्टमार्टम समय-सीमा किसी भी कारण से आवश्यक पोस्टमार्टम मृत्यु के स...

स्मार्ट मीटर

भास्कर एक्सक्लूसिव ब्लैक लिस्टेड कंपनी को 10 हजार करोड़ का टेंडर:राजस्थान में स्मार्ट मीटर योजना में ताक पर रखे नियम; ऊर्जा मंत्री बोले- पिछली सरकार का फैसला जयपुर4 घंटे पहलेलेखक: लवली वाधवा जो कंपनी (मैसर्स जीनस पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) गोवा में ब्लैक लिस्ट है, उसी कंपनी को राजस्थान सरकार ने टेंडर दे दिया। टेंडर भी दो-चार करोड़ का नहीं, बल्कि 10 हजार करोड़ से ज्यादा का। लापरवाही के कारण ब्लैक लिस्ट होने के 23 दिन बाद ही मैसर्स जीनस पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को राजस्थान में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की जिम्मेदारी मिल गई। चौंकाने वाली बात यह है कि करीब डेढ़ करोड़ उपभोक्ताओं के मीटर लगाने के लिए प्रदेश के तीनों बड़े डिस्कॉम- जयपुर, अजमेर और जोधपुर वितरण निगम लिमिटेड ने एक ही कंपनी को टेंडर दिया। उधर, ऊर्जा मंत्री से सवाल किए तो उन्होंने साफ कहा कि कंपनी के ब्लैक लिस्ट होने की जानकारी विभाग को नहीं है। पिछली (कांग्रेस) सरकार ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू की थी। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए पूरी रिपोर्ट... पिछले साल अगस्त में गोवा में ब्लैक लिस्ट किया गया भास्कर पड़ताल में सामने आया कि 5...

कांग्रेस चुनाव आयोग पर जबरिया दबाब बना कर, मतदातासूची शुद्धिकरण में बाधा उत्पन्न कर रही है - अरविन्द सिसोदिया

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भारत की मतदातासूचीयों से अवैध घुसपैठियों के नाम कटने ही चाहिए  कांग्रेस चुनाव आयोग पर जबरिया दबाब बना कर, मतदातासूची शुद्धिकरण में बाधा उत्पन्न कर रही है - अरविन्द सिसोदिया  कोटा 11 अगस्त। भाजपा राजस्थान के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक अरविन्द सिसोदिया नें कांग्रेस नेता राहुल गाँधी पर आरोप लगाया कि " नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी भारत निर्वाचन आयोग पर अनावश्यक दबाब बना कर मूलतः मतदातासूचीयों के शुद्धिकरण कार्य में बाधा डाल रहे हैँ। जिसका फायदा मतदाता सूची में अवैधरूप से दर्ज हो चुके बंगालदेशी और रोहिंग्याओं को मिलेगा। जो भारत के राष्ट्रहित और लोकतंत्र के लिये बड़ा खतरा हैँ ।" सिसोदिया नें कहा कि " भारत का लोकतंत्र एक बड़े षड्यंत्र के निशाने पर है, देश पर कब्जा करने की साजिश हो रही, करोड़ों बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये देश में वर्षों से अवैध रूप से घुसे हुये हैँ। तुष्टिकरण की राजनीती करने वाले दल, वोट के लालच में राष्ट्रीय हितों ओर सच्चे लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ कर रहे हैँ। जो इस देश के नागरिक नहीं हैं, उनके नाम मतदातासूची में बचे रहें इस तरह की कोशि...

राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ वाले आरोप झूठे, बेबुनियाद और जनता को गुमराह करने वाले हैं। - अरविन्द सिसोदिया

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“कांग्रेस भी मतदाता सूची निर्माण में बराबर की भागीदार – अपनी विफलता का ठीकरा आयोग पर न फोड़े” – अरविन्द सिसोदिया --- 5-लाइन मीडिया बाइट 1️⃣ “राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ वाले आरोप झूठे, बेबुनियाद और जनता को गुमराह करने वाले हैं।” 2️⃣ “मतदाता सूची राज्य सरकार के कर्मचारियों और सभी दलों के प्रतिनिधियों की निगरानी में, सर्वसम्मति से तैयार होती है।” 3️⃣ “कांग्रेस के पास भी BLA-1 और BLA-2 नियुक्त करने का अधिकार – अगर उन्होंने किया नहीं तो यह उनकी नाकामी है।” 4️⃣ “आधार लिंकिंग से फर्जीवोटर खत्म होंगे – 2012 से आयोग आग्रह कर रहा है, पर कांग्रेस इसका विरोध कर रही है।” 5️⃣ “लोकतंत्र जिम्मेदारी से मजबूत होता है, झूठे आरोप और भ्रम फैलाकर नहीं।” प्रेस विज्ञप्ति कांग्रेस भी मतदाता सूची निर्माण में बराबर की भागीदार,अपनी विफलता का ठीकरा आयोग पर नहीं फोड़े सकती ” – अरविन्द सिसोदिया “मतदाता सूची निर्माण में कांग्रेस भी उतनी ही जिम्मेदार, झूठ फैलाना बंद करे” – अरविन्द सिसोदिया “राहुल गांधी के आरोप जमीनी सच्चाई से उलट, सिर्फ राजनीतिक षड्यंत्र” – अरविन्द सिसोदिया “कांग्रेस अपने कमजोर संगठन की नाक...

सीआईए CIA india

सीआईए (CIA) द्वारा विभिन्न देशों में सरकारों को बदलने के लिए आंदोलनों को खड़ा करने के षड्यंत्रों के आरोप लगते रहे हैं। इन आरोपों में अक्सर सीआईए द्वारा राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने, चुनावों में हस्तक्षेप करने, और लोकप्रिय आंदोलनों को समर्थन देने के दावे शामिल होते हैं। सीआईए पर आरोप:- राजनीतिक अस्थिरता: सीआईए पर आरोप है कि वह विभिन्न देशों में राजनीतिक दलों और आंदोलनों को समर्थन देकर सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश करती है। चुनावों में हस्तक्षेप- सीआईए पर चुनावों में धांधली करने, उम्मीदवारों का समर्थन करने, या मतदाताओं को प्रभावित करने के आरोप भी लगते रहे हैं। लोकप्रिय आंदोलनों को समर्थन:- सीआईए पर लोकप्रिय आंदोलनों को बढ़ावा देने और उन्हें सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदलने के आरोप भी लगते हैं। उदाहरण: 1953 का ईरान तख्तापलट: सीआईए पर 1953 में ईरान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसद्देग को हटाने के लिए एक तख्तापलट में शामिल होने का आरोप है। 1973 का चिली तख्तापलट: सीआईए पर 1973 में चिली के राष्ट्रपति साल्वाडोर अयेंदो को हटाने के लिए एक तख्तापलट में शामिल होने का आरोप है। यूक्रेन में 20...

Dismantling Global Hindutva vs rss vhp bjp

असल में कई वर्षो से हम यह देख रहे हैँ कि पश्चिमी देशों में हिंदुत्व के विरुद्ध एक सुनियोजित अभियान चल रहा है। कनाडा, अमेरिका सहित अनेक ईसाई देशों में यह भिन्न भिन्न रूप में देखने को मिला किन्तु मूलतः ये सब जहां मिलते हैँ वह " डिसमेंटत्लिंग ग्लोबल हिंदुत्व " अभियान है, इसी की भाषा जार्ज सोरस बोलता है, यही भाषा राहुल गाँधी बोलते हैँ ओर वर्तमान में अमरीकी व्यवहार के लिए यही अभियान अंतर्निहित प्रतीत हो रहा है। अन्य बातें बेकार हैँ। ईसाई धर्मगुरु पोप नें एक बार भारत में ही यह कहा था कि पहली सहस्त्रावदी में हम यूरोप में स्थापित हुये, दूसरी सहस्त्रावदी में अमेरिका ऑस्ट्रेलिया आदि में स्थापित हुये ओर तीसरी साहस्त्रावदी में एशिया को ईशा के झंडे के नीचे लाना है ओर भारत इसकी चाबी है. प्रतीत होता है कि भारतीय प्रायदीप पर अमरीका जो सिकंजा कस रहा है वह इसी लक्ष्य की प्राप्ती के क्रम में की जा रहीं कार्यवाहीयां है. जिनका मूल उद्देश्य हिंदुत्व के प्रभाव को रोकना ओर अंततः ईसाइयत स्थापित करना है। हिंदू से मुस्लिम को लड़ना ओर अपने पैर जमाने का काम ब्रिटिश सरकार में भी हुआ और यह कांग्रेस शासन में...

My Gov सदन एवं आचरण

1- संसद, विधानसभाओं और अन्य सभी सदनों के सदनों को चलाने की प्रक्रिया में यह आवश्यक होगा कि सदन में उसी व्यक्ति को निर्वाचित होकर प्रवेश का अधिकार होगा, जिसकी कम से कम दो पीढ़ियां शुद्ध भारतीय हों माता पिता और दादादादी शुद्ध भारतीय हों। उनका जन्म भारत भूमि पर ही हुआ भारतीय नागरिकों से हुआ हो। 2- सदन के सदस्यों हेतु एक शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता होगी जिसे, केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग मिल कर तय करेंगे। 3- सदनों में नैतिक आचरण अनिवार्य होगा, अनुशासन हीनता पर सदस्य निलंबित किया जा सकेगा, पूरे सत्र के लिये। यही लगातार अनुशासन हीनता होती है की जाति है तो उसे स्थाई रूप से सदन की सदस्यता से बर्खास्त कर नये चुनाव करवाये जा सकेंगे। तथा बर्खास्त सदस्य को अगले दस वर्ष तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है। 4- किसी भी निर्वाचत सदस्य को बिना सबूत किसी भी प्रकार का आरोप लगाने का अधिकार नहीं होगा। क्योंकि निर्वाचित सदस्य की बात का असर होता है. अफवाह फैलाना दण्डनीय अपराध होगा। --- प्रस्तावित विधेयक प्रारूप “जनप्रतिनिधित्व नैतिकता और योग्यता अधिनियम, 2025” (A Bill to ensure ethical, qualified, and cul...

कविता - चुनौती आई है फिरसे kavita chunoti aai he

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कविता  "चुनौती आई है फिरसे " लेखक - अरविन्द सिसोदिया  चुनौती आई है फिरसे, पागलपन ने धमकाया है, अहंकार की आँधी ने फिर से, झूठ का परचम लहराया है। शब्दों के शस्त्र सजाए हैं, भ्रम की जाल बिछाई है, न्याय और सच्चाई के दर पे, फिर अंधी चाल चलाई है। ===1== वो कहता है, "मैं शक्ति हूँ", पर मानवता को भूल गया, स्वार्थ की नींव पे खड़ी इमारत में, वो खुद डगमग झूल गया। पर इतिहास ने देखा है, जब-जब संकट आया है, जनता ने मिलकर, हर ज़ालिम को रास्ता दिखाया है। ==2== एक जुट हो जाओ साथियों, ये वक़्त है जागने का, सत्य की मशाल लेकर, फिरसे नई राह बनाने का। पुरुषार्थ हमारा अस्त्र बने, विवेक हमारा ढाल हो, संविधान का सूरज चमके, ना कोई काली रात हो। ===3== अंहकार क्या चीज़ है, जब आत्मबल हमारा है, देश दुनिया कहीं भी हो, अडिग संकल्प हमारा है। हम न झुकेंगे, न बिकेंगे, न डर की छाया में आएँगे, संघर्ष ही जीवन है, इस मंत्र को निरंतर अपनाएँगे। ==4== तो आओ फिरसे उठ खड़े हों, इक नई सदी रचाने को, हर पागलपन को जवाब दें, इंसानियत बचाने को। एकता की आवाज हम, एक जुट संकल्प हम। हम विजय के सारथी, राष्ट्...

मोदीजी के नेतृत्व में भारत सबसे तेजगति की आर्थिकशक्ति - अरविन्द सिसोदिया

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कांग्रेस के राज में थी भारत की " डेड इकोनॉमी " - अरविन्द सिसोदिया  मोदीजी के नेतृत्व में भारत सबसे तेजगति की आर्थिकशक्ति - अरविन्द सिसोदिया  कोटा 4 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी राजस्थान प्रदेश के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक एवं राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यासी अरविंद सिसोदिया ने कहा है कि " कांग्रेस राजकुमार राहुल गाँधी को यह नहीं भूलना चाहिए की, भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे खराब समय कांग्रेस शासन में ही आया था, जब सिर्फ बड़े बड़े घोटालों की गूंज हुआ करती थी और सारा सिस्टम मौन हुआ करता था। सच यही है राहुल जी कि कांग्रेस सरकार में ही भारत डेड इकोनॉमी था।" सिसोदिया नें कहा है कि " भाजपा की मोदी सरकार आने के ठीक पहले, भारत की अर्थव्यवस्था अस्थिरताग्रस्त थी , नीतिगत पंगुता लगातार बनी हुई थी और वैश्विक अविश्वास की स्थिति बनी हुई थी। उस समय भारत उन पाँच देशों में शामिल था, जिन्हें वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम भरा माना जाता था, जिन्हें 'फ्रैजाइल फाइव' कहा जाता था। लगातार घोटाले, नीति निर्धारण में विलंब और ...

पूरी दुनिया को बर्बाद करने पर तुले ट्रंप को, भारतवासी अपनी एकजुटता से जबाब देंगे - अरविन्द सिसोदिया

पूरी दुनिया को बर्बाद करने पर तुले ट्रंप को, भारतवासी अपनी एकजुटता से जबाब देंगे - अरविन्द सिसोदिया  जब कोई डोनाल्ड ट्रंप जैसे व्यक्ति भारत को "गंदा", "गिरती हुई अर्थव्यवस्था" कहता है, या राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता भारत को "पूंजीपतियों के लिए चलाया गया असफल प्रयोगशाला" बताते हैं, तो यह ज़रूरी हो जाता है कि इन बयानों को सिर्फ खारिज न किया जाए, बल्कि तथ्यों और वैश्विक संदर्भ में परखा जाए। और ऐसा करने के लिए सबसे उपयुक्त तुलनात्मक दृष्टिकोण है—भारत बनाम अमेरिका। भारत बनाम अमेरिका को समझें  अमेरिका अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसके भीतर विकृत सोच,आर्थिक विषमताएँ और अस्थिरताएँ लगातार बढ़ रही हैं। 2024 में अमेरिका का कुल राष्ट्रीय कर्ज 34 ट्रिलियन डॉलर पार कर गया, जो उनकी जी डी पी से भी अधिक है। वहीं भारत का कर्ज अभी भी नियंत्रित दायरे में है—लगभग 83% जीडीपी के आसपास, वह भी अधिकतर घरेलू है और उसके पुनर्भुगतान की स्थिति स्थिर बनी हुई है। अमेरिका में ब्याज दरें तेज़ी से बढ़ीं, जिससे बैंकों का संचालन कठिन हुआ और उपभोक्ता क्रेडिट पर भारी दबाव...

प्रधानमंत्री मोदीजी के आव्हान पर स्वदेशी खरीददारी का संकल्प लें - अरविन्द सिसोदिया

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प्रधानमंत्री मोदीजी के आव्हान पर स्वदेशी खरीददारी का संकल्प लें - अरविन्द सिसोदिया  भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूत, प्रधानमंत्री मोदीजी के साथ खड़ा है पूरा देश - अरविन्द सिसोदिया  कोटा 3 अगस्त। भाजपा राजस्थान के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक एवं राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यासी अरविन्द सिसोदिया नें प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया है कि " प्रधानमंत्री मंत्री मोदीजी के नेतृत्व में भारत विकास पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे जलने वाले, इस प्रगति में अवरोध खडे करने, रूकावट डालने, बाधा ख़डी करने के लिये " ट्रेफिक आतंकवाद " का इस्तेमाल कर रहे हैँ। किन्तु भारत इस तरह के दबाब में न पहले कभी आया न अब आएगा। बल्कि भारत की 140 करोड़ की जनशक्ति,इस चुनौती को प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व में परास्त करेगी। "  सिसोदिया ने कहा " इस चुनौती से मुकाबला करने जहां पूरा देश मोदीजी के साथ एक जुट है, वहीं कांग्रेस के राजकुमार भारत के प्रति दुर्भावना रखने वालों की स्तुति में लगे हैँ, नाम जाप कर, देशवासियों की जनभावना को भी आहत कर रहे हैँ। ...

मेरा शासन My Gov चुनाव प्रणाली सुधार Election Reform

भारतीय चुनाव प्रणाली में सुधार : एक समय की माँग भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव रखता है, किंतु इसके संचालन की प्रणाली में समयानुकूल परिवर्तन और सुधार आवश्यक हैं। लोकतंत्र की आत्मा तभी जागृत रह सकती है, जब चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी, जनहितकारी और जवाबदेह हो। इसलिए आज आवश्यकता है ऐसे चुनाव सुधारों की, जो इस प्रणाली को और अधिक सशक्त, व्यावहारिक और लोककल्याणकारी बना सकें। चुनाव को एक पर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए, जिसमें संसद, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव एक साथ हों। यह प्रक्रिया हर पाँच वर्ष में जनवरी माह में आरंभ होकर भारतीय नववर्ष की प्रतिपदा से पहले समाप्त हो जाए, ताकि निर्वाचित जनप्रतिनिधि नववर्ष से ही अपने कार्यभार को ग्रहण कर सकें। किसी भी प्रत्याशी को एक ही समय में एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि जनता के साथ भी एक प्रकार का विश्वासघात है। मतदान प्रत्येक नागरिक का अनिवार्य कर्तव्य होना चाहिए। मतदान न करने पर आर्थिक दंड का प्रावधान हो, तथा असमर्थ नागरिकों के लिए विशेष ...