अदालत ने : गुजरात दंगा केस में मोदी को मिली क्लीन चिट
2002 के साम्प्रदायिक दंगों के मामले में अहमदाबाद की एक अदालत से मिली क्लिन चिट के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अंतत: सत्य की ही जीत होती है.
गुजरात दंगा केस में मोदी को मिली क्लीन चिट
नवभारतटाइम्स.कॉम | Dec 26, 2013
अहमदाबाद
2002 में गोधरा कांड के बाद हुए गुजरात दंगा मामले में बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को बड़ी राहत मिली है। अहमदाबाद मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी है। इसका मतलब यह माना जा रहा है कि मोदी पर अब दंगे का केस नहीं चलेगा। याचिकाकर्ता जकिया जाफरी ने कहा है कि वह इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगी। उन्होंने कहा कि उनकी बात कोई न कोई कोर्ट तो सुनेगा।
मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट बीजे गणत्र ने खुली अदालत में फैसला सुनाते हुए जकिया के वकील मिहिर देसाई से कहा कि उनकी याचिका खारिज की जाती है और उन्हें ऊपरी अदालत में जाने की आजादी है। फैसला सुनते ही वहां मौजूद जकिया रो पड़ीं। गौरतलब है कि विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट में गुजरात के मुख्यमंत्री को सारे आरोपों से मुक्त कर दिया था।
याचिकाकर्ता जकिया जाफरी ने फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि वह ऊपरी अदालत में इसे चुनौती देंगी। उनके साथ मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाद ने कहा, 'हमारा मानना है कि कोर्ट ने काफी सारे सबूतों की अनदेखी की है। इसलिए हमें फैसले की कॉपी मिलने के बाद हम ऊपरी अदालत जाएंगे। फैसले से हम निराश जरूर हैं, लेकिन हताश नहीं हुए हैं। हमारा संघर्ष जारी रहेगा।'
इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने अदालती फैसले को बीजेपी की और नरेंद्र मोदी की नैतिक जीत बताया है। उन्होंने कहा, '2002 के दुर्भाग्यपूर्ण दंगों और फर्जी मुठभेड़ों के सहारे मोदी को फंसाने की जितनी भी कोशिशें की गई हैं, एक-एक कर वे सभी नाकाम हो चुकी हैं। आगे भी ऐसी जितनी भी कोशिश की जाए मोदी उससे और मजबूत होकर उभरेंगे।'
जकिया जाफरी के पति अहसान जाफरी उन 68 लोगों में शामिल थे, जिनकी भीड़ ने 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में हत्या कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई के डायरेक्टर आर. के. राघवन के नेतृत्व में एसआईटी बनाई थी। उन्होंने सन् 2011 को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मोदी को आरोपी बनाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
गौरतलब है कि जकिया जाफरी ने एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिस पर चली पांच महीने की सुनवाई के बाद गुरुवार को कोर्ट का अहम फैसला आया। कोर्ट के मोदी को क्लीन चिट वाली एसआईटी की रिपोर्ट को स्वीकार करने से बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार को बड़ी राहत मिली है।
इस केस में जकिया ने शुरू में नरेंद्र मोदी समते कुल 62 लोगों को आरोपी बनाने की मांग की थी, लेकिन बाद में इस लिस्ट 56 लोगों के नाम रह गए थे। मोदी सहित इन सभी लोगों पर जकिया का आरोप था कि एक साजिश के तहत 2002 के दंगों को भड़कने दिया गया और फिर इन्हें रोकने की असरदार कोशिश नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ही 8 फरवरी 2012 को एसआईटी की तरफ से जांच अधिकारी हिमांशु शुक्ल ने अपनी रिपोर्ट अहमदाबाद के मेट्रोपॉलिटन कोर्ट नंबर 11 में पेश की। अदालत की तरफ से कहा गया कि एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में मोदी सहित 58 लोगों के खिलाफ सबूत नहीं होने के आधार पर मामला नहीं चलाने की सिफारिश की थी। एसआईटी की इस क्लोजर रिपोर्ट को जकिया जाफरी की तरफ से चुनौती दी गई और संबंधित दस्तावेजों की मांग की गई।
अदालत के आदेश के आधार पर 7 मई 2012 को जकिया को एसआईटी की 541 पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट और करीब 22 हजार पन्नों के दस्तावेजों के साथ ही 14 सीडी भी दी गई। जकिया ने इस मामले में चार प्रोग्रेस रिपोर्ट्स की भी मांग की, जो एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये रिपोर्ट्स भी जकिया को मिल गईं।
इन दस्तावेजों के आधार पर जकिया की तरफ से 15 अप्रैल 2013 को जकिया की तरफ से विरोध याचिका दायर की गई। जकिया के वकीलों ने मामले की सुनवाई के दौरान दावा किया कि एसआईटी ने मामले से जुड़े अहम सबूतों की तरफ ध्यान नहीं दिया और क्लोजर रिपोर्ट फाइल करने में जल्दबाजी दिखाई। उन्होंने इस मामले की किसी स्वतंत्र एजेंसी से फिर से जांच कराने की मांग की। एसआईटी ने जकिया के आरोपों को आधारहीन बताया है।
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कुछ प्रतिक्रियाएं
1- जनता तो बहुत पहले अपना फैसला दे चुकी थी अब कोर्ट ने भी सॉफ कर दिया है
२ - Rakesh Gaur, Mumbai का कहना है :
26/12/2013 at 10:12 PM
ज़किया जाफ़रीजी जो कुछ अपने 2002 के दंगों में खोया है उसकी भरपाई इस धरती कोई अदालत नहीं कर सकती, आपके कष्ट में आप सारे देश को शरीक समझें. आपका कष्ट हम सभी समझते हें. परन्तु क्या आपको क्या कभी यह नहीं लगा कि आपके कष्ट को कांग्रेस, संजीव भट्ट, श्रीष्कुमार, मुकुल सिन्हा व तिस्ता शीतलवाड जैसों ने बीजेपी व मोदीजी को बदनाम करने और अपनी राजनीति व धंधा चमकाने का साधन बना लिया. आपको न्याय ना मिलने से किसे कष्ट नहीं होगा? पर जो आपके ये कथित हितैषी हें उनकी दिलचस्पी आपको न्याय दिलाने में है ही नही वे तो आपका इस्तेमाल करके खुद को आगे बढाने का प्रयास कर रहे हें, आपके लिये न्याय उनकी प्राथमिकता है ही नहीं. दुर्भाग्य से अब काफी देर हो चुकी है और में नहीं समझता कि अब आपको न्याय मिल सकेगा. जब आप थक कर बैठ जायेंगी तो आपके ये सहायक कहीं दूर तक भी नजर नहीं आयेंगे, और उनकी तबकी बेरुखी आपके कष्टों को बढाएगी ही. मेरी पूरी संवेदना आपके साथ है.
3-prakash, bangalore का कहना है :
26/12/2013 at 10:09 PM
ज़ाकियाजी हम आपकी भावनाओ की इज्जत करते है | हमे हमारे नेता मोदीजी का निष्कलंक निकलना जितनी खुशी दे रहा है उतना आपके पति खोने का दुख भी है | वास्तव मे दोषी तो गोधरा काण्ड को अंजाम देने वाले है | हमारी दुआएँ आपके साथ |
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मोदी को क्लीन चिट देने का फैसला बिल्कुल सही: राघवन
भाषा | Dec 26, 2013 चेन्नै
नरेंद्र मोदी को 2002 के गुजरात दंगों में क्लीन चिट देने वाली एसआईटी को बंद करने वाली रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को अहमदाबाद की एक अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद एसआईटी प्रमुख और सीबीआई के पूर्व निदेशक आर. के. राघवन ने कहा कि कुछ वक्त से निराशा के बावजूद वह सच्चे खड़े हैं।
राघवन ने कहा, 'हमने पूरा काम किया। मुझे इस बात की खुशी है कि अदालत ने हमारे काम को सही ठहराया। कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी द्वारा क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देते हुए दायर याचिका को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा खारिज किए जाने पर प्रतिक्रिया में राघवन ने कहा कि विशेष जांच दल ने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में काम किया। उन्होंने इस बारे में विस्तार में जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मैं सच्चा साबित हुआ। मैं पेशेवर रूप से संतुष्ट हूं और हमारी मेहनत को सही ठहराया गया है।
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