छतीसगढ़ में तीसरी बार भाजपा की सरकार



ये है रमन का तीन तिगाड़ा
bhaskar news   |  Dec 09, 2013,

रायपुर. छतीसगढ़ में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनेगी। छह साल पहले डा. रमन सिंह ने हांडी में जो सस्ता चावल पकाने के लिए छोड़ा था, असल में वो अब जाकर पका है। रमन के चेहरे, सस्ते चावल और धान के बोनस के दम पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की। 90 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा के 49 (पिछली बार 50) विधायक जीतकर पहुंचे हैं।

कांग्रेस 39 (पिछली बार 38) विधायकों पर ही सिमट गई। हमेशा की तरह इस बार भी कई चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे और रमन मंत्रिमंडल के पांच मंत्री हार गए। विधानसभा अध्यक्ष खुद चुनाव हार गए। पहली बार नोटा का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ में हुआ। कुल 1.30  करोड़ वोट पड़े, जिसमें 4 लाख (3.08%) से ज्यादा लोगों ने नोटा पर बटन दबाया। मतगणना शुरू होने के बाद से चले उतार-चढ़ाव के बाद आखिरकार भाजपा ने बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पांच मंत्री चंद्रशेखर साहू, ननकीराम कंवर, हेमचंद यादव, लता उसेंडी व रामविचार नेताम हार गए। लेकिन चुनाव परिणाम से ऐसा लग रहा है कि शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के बीच मुख्यमंत्री का चेहरा प्रमुख रूप से निर्णायक रहा। रमन सिंह ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ठोस करते हुए घर-घर में चावल पहुंचाया। कांग्रेस के रणनीतिकार रमन की इस रणनीति का तोड़ नहीं निकाल पाए। इसके अलावा, कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान चुनाव के दौरान हावी रही। प्रत्याशी चयन में बाजी मारने के बावजूद कांग्रेस पिछले परिणाम से आगे नहीं बढ़ पाई। इसके अलावा, धान का समर्थन मूल्य ब्रह्मास्त्र की तरह काम कर गया। बस्तर में हुए नुकसान की भरपाई भाजपा ने मैदानी इलाकों से कर ली।

27 कांग्रेस व 21 बीजेपी के विधायक हारे
इस चुनाव में 27 विधायक कांग्रेस के व 21 विधायक बीजेपी के हारे। इनमें मंत्री भी शामिल हैं। नए चेहरों को मौका मिला। अगर वोट प्रतिशत की बात की जाए तो बीजेपी कांग्रेस की अपेक्षा सिर्फ 1 प्रतिशत वोट से आगे रही। कांग्रेस को 40.37 प्रतिशत वोट मिले व भाजपा को 41.16 प्रतिशत वोट मिले।

पिता का रिकार्ड तोड़ा अमित जोगी ने
इस चुनाव में सबसे बड़ी जीत अमित जोगी की रही। उन्होंने 46250 वोटों के अंतर से भाजपा की समीरा पैकरा को हराया। अमित को 82909 वोट और समीरा को 36659 वोट मिले। अमित से पहले अजीत जोगी ने भी सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाया था। अजीत जोगी ने पिछली बार 43 हजार के अंतर से जीत हासिल की थी।

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रायपुर. छत्तीसगढ़ में भाजपा फिर सत्ता में लौट आई है। भाजपा की हैट्रिक और कांग्रेस की तीसरी हार के बाद डा. रमन और हरिप्रसाद से सीधी बात-
हैट्रिक का श्रेय किसे?
छत्तीसगढ़ में भाजपा कार्यकर्ताओं ने दिन-रात मेहनत की है। इसके अलावा राज्य की ढाई करोड़ जनता ने हमारी सरकार के काम और योजनाओं     पर भरोसा जताया है।   इसलिए जीत का श्रेय जनता और कार्यकर्ताओं दोनों को जाता है।
पांच मंत्रियों की हार की वजह क्या रही ?
वे हमारे अच्छे बैट्समैन थे। हिट विकेट हो गए। मुद्दे काम नहीं किए या फिर उनका परफारमेंस कैसा रहा? यह समीक्षा का विषय है।

2008 से कमतर प्रदर्शन पर क्या कहेंगे?
जीत तो जीत होती है। आंकड़े में जरूर कुछ कम कह सकते हैं। पर दो बार की सरकार के खिलाफ माहौल की बात होने लगती है। पर ऐसा कुछ नहीं रहा।

आम चुनाव में इस जीत का लाभ होगा?
अब तो लोकसभा चुनाव की जीत की आधार शिला रखी जा चुकी है। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता। निश्चित रुप से चार राज्यों के चुनाव परिणाम ने बता दिया है कि देश का मूड क्या है। पूरे राज्य में हमें इसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिलेगा।

तीसरी पारी में जनता को क्या सौगात देंगे ?
हमारी योजनाओं को जनता ने पसंद किया है इसलिए हम कोशिश करेंगे कि उन योजनाओं को और आगे बढ़ाएं। नक्सल हिंसा से राज्य को मुक्त कराने के लिए और कारगर तरीके से काम करेंगे। छतीसगढ़ को आज जहां लेकर आएं हैं, वहां से और आगे जाने के लिए हमारी सरकार काम करेगी। 

हार का कारण क्या?
हमारे 38 में से 27 विधायक चुनाव हार गए। मैदानी इलाकों में हमारे विधायकों के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी का माहौल था। समीक्षा बैठक में हार का प्रमुख कारणों का पता चलेगा।
आमचुनाव में इस हार का क्या असर होगा?
लोकसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं होगा। 2003 में भाजपा का फीलगुड और इंडिया शाइनिंग का फैक्टर चला था। जिसमें कांग्रेस पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हारी थी। लेकिन अगले साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत से जीतीं और केंद्र में यूपीए की सरकार बनीं।

अब तो कांग्रेस पूरी से पिछड़ चुकी है?
सरगुजा और बस्तर में राहुल गांधी के फार्मूले से टिकट दी गई थी। उसका कोई मुकाबला ही नहीं रहा। दोनों क्षेत्र से कांग्रेस जीतीं है। रमन सिंह जीते इसके लिए उन्हें बधाई। हमारे बड़े लीडरों के हारने का कारण हमें ढंूढना है। हम इसकी समीक्षा करेंगे। लोकसभा चुनाव में बढ़त मिलेगी।

बागियों और भितरघात से नुकसान हुआ?
कांग्रेस के सभी नेताओं ने एकजुटता से काम किया। भाजपा के खिलाफ हमारे कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत से मुकाबला किया। भितरघात जैसी बात नहीं हुई।

छग की भावी रणनीति क्या होगी?
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटेंगे। विधानसभा चुनाव में जहां कमियां रह गई हैं उन्हें दूर करेंगे। कांग्रेस पूरी एकजुटता, पूरे उत्साह और पूरी ऊर्जा के साथ मैदान में उतरेगी।
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भावनाओं का ज्वार है
स्पष्ट बहुमत से छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत हासिल की है। मन में भावनाओं का ज्वार है, अब और क्या लिखूं...
- पंकज झा, संपादक दीपकमल
बहुप्रचारित सुशासन के बावजूद कथित दिग्गजों की हार से सबक लें। अब नए तेवर के साथ आगे चलना चाहिए।
- संत आर. थवाइत
खुशी भी, गम भी
प्र देश में भाजपा की सरकार बन गई पर बालोद जिले में हम तीनों सीटें हार गए। इसका दुख है पर जनता का आदेश स्वीकार है।
- यशवंत जैन, भाजपा नेता
जीत  गया छत्तीसगढ़, हम कहते हैं दिल से प्रदेश में चहुंमुखी विकास होगा एक बार फिर से।
- उज्जवल दीपक

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