हिन्दुत्व विशाल है




Anshu Nawada
https://www.facebook.com/anshu786?hc_location=timeline
जिस हिन्दू ने नभ मे जाकर नक्षत्रो को दी है संज्ञा ।
जिसने हिमगिरि का वक्ष चीर ,भू को दी है पावन गंगा ।।

जिसने सागर की छाती पर पाषाणो को तैराया है ।।
हर वर्तमान की पीङा को हर ,जिसने इतिहास बतनाया है ।

जिसके आर्यों ने जयघोष किया कृण्वंतो विश्वमार्यम का ।
जिसका गौरव कम कर न सकी, रावण की स्वर्णमयी लंका ।।

जिसके यज्ञों का एक हव्य, सौ-सौ पुत्रों का जनक रहा ।
जिसके आँगन में भयाक्रांत धनपति बरसाता कनक रहा ।।

जिसके पावन बलिष्ठ तन की रचना तन दे दधीचि ने की ।
राघव ने वन मे भटक भटक ,जिस तन मे प्राण प्रतिष्ठा की ।।

जौहर कुंडों में कूद-कूद, सतियों ने जिसे दिया सत्व ।
गुरुओं-गुरुपुत्रों ने जिसमें चिर बलिदानी भर दिया तत्व ।।

वह शाश्वत हिन्दू जीवन क्या स्मरणीय मात्र रह जाएगा ?
इसकी पावन गंगा का जल क्या नालो मे बह जाऐगा ??

इसके गंगाधर शिव शंकर क्या ले समाधि सो जाएंगे ?
इसके पुष्कर इसके प्रयाग क्या गर्त मात्र हो जाएंगे ??

यदि तुम ऐसा नही चाहते ,तो फिर तुमको जगना होगा ।
हिन्दूराष्ट्र का बिगुल बजाकर ,दानव दल को दलना होगा ।।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

धन्यवाद मोदी जी मेरी कविता को आत्मा मिल गई - 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस'

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, मास्को जेल में..?

स्वतंत्रता दिवस की कविताएं

"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"।

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू