सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल के खिलाफ नरेंद्र मोदी ने पीएम को लिखा खत



सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल के खिलाफ नरेंद्र मोदी ने पीएम को लिखा खत
Thursday, December 05, 2013, 14:15
सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल के खिलाफ नरेंद्र मोदी ने पीएम को लिखा खतअहमदाबाद: बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है। उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है। मोदी ने कहा है कि सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल से समाज बंटेगा।

भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का विरोध किया और कहा कि प्रस्तावित विधेयक ‘तबाही का नुस्खा’ है।

मोदी ने विधेयक को राज्यों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण का प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि इस संबंध में आगे कोई कदम उठाने से पहले इस पर राज्य सरकारों, राजनीतिक पार्टियों, पुलिस और सुरक्षा एजेंसी जैसे साझेदारों से व्यापक विचार विमर्श किया जाना चाहिए। मोदी का यह पत्र संसद के शीत सत्र की शुरूआत पर सुबह आया है। मौजूदा सत्र में विधेयक पर चर्चा होने की उम्मीद है।

मोदी ने अपने पत्र में आरोप लगाया, ‘सांप्रदायिक हिंसा विधेयक गलत ढंग से विचारित, जैसे तैसे तैयार और तबाही का नुस्खा है।’ भाजपा नेता ने कहा, ‘राजनीति के कारणों से, और वास्तविक सरोकार के बजाय वोट बैंक राजनीति के चलते विधेयक को लाने का समय संदिग्ध है।’ मोदी ने कहा कि प्रस्तावित कानून से लोग धार्मिक और भाषाई आधार पर और भी बंट जाएंगे।

उन्होंने कहा, प्रस्तावित विधेयक से ‘धार्मिक और भाषाई शिनाख्त और भी मजबूत होंगी और हिंसा की मामूली घटनाओं को भी सांप्रदायिक रंग दिया जाएगा और इसतरह विधेयक जो हासिल करना चाहता है उसका उलटा नतीजा आएगा।’ भाजपा नेता ने प्रस्तावित ‘सांप्रदायिक हिंसा उन्मूलन (न्याय एवं प्रतिपूर्ति) विधेयक, 2013’ के ‘कार्य के मुद्दे’ भी बुलंद किए।

उन्होंने कहा, ‘मिसाल के तौर पर अनुच्छेद 3 (एफ) जो वैमनस्यपूर्ण वातावरण’ को परिभाषित करता है, व्यापक, अस्पष्ट है और दुरूपयोग के लिए खुला है।’ मोदी ने कहा, ‘इसी तरह अनुच्छेद 4 के साथ पठन वाले अनुच्छेद 3 (डी) के तहत सांप्रदायिक हिंसा की परिभाषा ये सवाल खड़े करेगी कि क्या केन्द्र भारतीय आपराधिक विधिशास्त्र के संदर्भ में ‘विचार अपराध’ की अवधारणा लाई जा रही है।’

मोदी ने अपने पत्र में कहा कि साक्ष्य अधिनियम के दृष्टिकोण से इन प्रावधानों को जांचा परखा नहीं गया है। उन्होंने कहा, ‘लोक सेवकों, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को आपराधिक रूप से जवाबदेह बनाने का कदम हमारी कानून-व्यवस्था प्रवर्तन एजेंसियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं और यह उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के प्रति उन्हें संवेदनशील बना सकता है।’ मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार जिस तरह सांप्रदायिक हिंसा निरोधी विधेयक ला रही है उससे राष्ट्र के संघीय ढांचा का वह कोई लिहाज नहीं कर रही।

पत्र में कहा गया, ‘कानून-व्यवस्था राज्य सूची के तहत एक मुद्दा है और यह ऐसी चीज है जिसे राज्य सरकार की ओर से कार्यान्वित की जानी चाहिए।’ मोदी ने कहा कि अगर केन्द्र कुछ साझा करना चाहता है तो वह कोई ‘आदर्श विधेयक’ तैयार करने और विचारार्थ विभिन्न राज्य सरकारों के बीच उसे वितरित करने के लिए आजाद है। (एजेंसी)

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