रंधावा भारत रत्न पर गलत बयानी के लिए कान पकड़ कर क्षमा मांगे - अरविन्द सिसोदिया



कांग्रेस की भारत रत्न को लेकर की गयी अशोभनीय टिप्पणी नैतिकता का अपमान - अरविन्द सिसोदिया


रंधावा भारत रत्न पर गलत बयानी के लिए कान पकड़ कर क्षमा मांगे - अरविन्द सिसोदिया 

कोटा 5 फरवरी। प्रधानमंत्री मोदी सरकार के द्वारा वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी जी को देश सेवा के लिए भारत रत्न की घोषणा किए जाने पर, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की अभिव्यक्ति कि " भारत रत्न " मृत व्यक्ति को दिया जाता है, अत्यंत निंदनीय और पूरी तरह असत्य है। यह कांग्रेस के मूर्खतावाद का प्रमाण है कि उनमें सामान्य नैतिकता भी नहीं बची, मति भ्रष्ट होकर असत्य और अनैतिक बयानबाजी पर उतर आये हैँ।

सिसोदिया नें आरोप लगाया है कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रंधावा नें तुष्टिकरण का भूत जगा कर वोट बैंक साधने के लिए जानबूझ कर यह असत्य व भ्रामक बयान दिया है।कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी  रंधावा भारत रत्न पर गलत बयानी के लिए कान पकड़ कर क्षमा मांगनी चाहिए । 

सिसोदिया ने कहा " जबकि कांग्रेस पार्टी से ही राष्ट्रपति रहे डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन, प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को जीवित रहते हुए भारत रत्न दिया गया था। राष्ट्रपति रहे  प्रणब मुखर्जी , वी वी गिरी व एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी व कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे गुलजारी लाल नंदा को भी जीवित रहते हुए भारत रत्न सम्मान मिला है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर और महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भी उनके जीवित रहते यह सम्मान दिया गया है।

संभाग मीडिया संयोजक सिसोदिया नें कहा कांग्रेस के कार्यकाल में प्रथम 13 भारत रत्न सम्मान जीवित रहते हुए ही दिये गए हैँ। पहला मरणोपरांत सम्मान 1966 में प्रधानमंत्री रहे लालबहादुर शास्त्री जी को दिया गया था। अभी तक कुल 50 भारत रत्न सम्मान में मात्र 15 सम्मान ही मरणोपरांत दिये गए हैँ। इस तरह से सही तथ्यों की तराजू पर रंधाबा पूरी तरह झूठे साबित हो रहे हैँ। इसलिए सम्मान के योग्य किसी भी व्यक्ति के लिए रंधावा के द्वारा कहे शब्दों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। कांग्रेस नेता रंधावा के द्वारा दिया गया बयान पूरी तरह असत्य,अशोभनीय, भ्रामक और निंदनीय हैँ।

सिसोदिया नें कहा भारत रत्न जीवित रहते हुए अथवा मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। भारत रत्न दूसरे देश के भारत हित चिंतक व्यक्ती को भी दिया जा सकता है। इसमें कहीं भी यह अनिवार्यता नहीं है कि यह सम्मान मरणोपरांत ही दिया जायेगा।

संभाग मीडिया संयोजक नें आरोप लगाया कि रंधावा के द्वारा जानबूझकर राम जन्म मंदिर और आडवाणीजी की मृत्यु का उल्लेख तुष्टिकरण की राजनीति के लिए किया गया है। जो कांग्रेस की भारतीय संस्कृति विरोधी मानसिकता का प्रमाण है।

सिसोदिया नें मांग की है कि राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी रंधावा को अपनी गलत बयानी पर दोनों कान पकड़ कर क्षमा मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा रंधाबा पंजाब में कांग्रेस को निबटाकर राजस्थान आये थे , राजस्थान में कांग्रेस को गद्दी से उतार ही चुके हैं , अब वे लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को पूरी तरह साफ इस तरह के पतित मानसिकता के बयानों से पहुंचाने वाले हैं।


भवदीय
अरविन्द सिसोदिया
9414180151

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भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना २ जनवरी १९५४ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरान्त देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में जोड़ा गया। तत्पश्चात १४ व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरान्त प्रदान किया गया। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।

उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं।

श्री सचिन तेन्दुलकर जी एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन को भारत रत्न प्राप्त हुआ है और वह भारत रत्न प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी हैं इसके पश्चात भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई जी को भी प्राप्त हुआ है यह उनको भारत को समर्पित अत्यन्त प्रभावशाली राजनीतिक जीवन के लिए दिया गया है पहला भारत रत्न 1954 में दिया गया।

भारत रत्न पुरस्कार विजेताओं की सूची

मूल रूप में इस सम्मान के पदक का डिजाइन ३५ मिमि गोलाकार स्वर्ण मैडल था। जिसमें सामने सूर्य बना था, ऊपर हिन्दी में भारत रत्न लिखा था और नीचे पुष्प हार था। और पीछे की तरफ़ राष्ट्रीय चिह्न और मोटो था। फिर इस पदक के डिज़ाइन को बदल कर तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना दिया गया। जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है "भारत रत्न" और यह श्वेत फीते के साथ गले में पहना जाता है।

भारत रत्न से सम्मानित होने वाली पहली गायिका श्रीमती एम। एस। सुब्बुलक्ष्मी हैं जिसको सन् १९९८ में दिया गया। आमतौर पर भारत में जन्मे नागरिकों को ही भारत रत्न से सम्मानित किया जाता है, लेकिन मदर टेरेसा और दो गैर-भारतीयों, पाकिस्तान के राष्ट्रीय खान अब्दुल गफ्फार खान और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को प्रदान किया गया है। २५ जनवरी २०१९ को, सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख (मरणोपरांत), गायक-संगीत निर्देशक भूपेन हजारिका (मरणोपरांत) और भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पुरस्कार देने की घोषणा की।


भारत रत्न पदक

क्रम वर्ष नाम जीवन

१. 1954 - डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन

(५ सितंबर, १८८८ – १७ अप्रैल, १९७५)

२. 1954 - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

(१० दिसम्बर, १८७८ - २५ दिसम्बर, १९७२)

३. 1954 - डॉक्टर चन्‍द्रशेखर वेंकटरमण

(७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०)

४. 1955 - डॉक्टर भगवान दास

(१२ जनवरी, १८६९ - १८ सितंबर, १९५८)

५. 1955 - सर डॉ॰ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या

(१५ सितंबर, १८६० - १२ अप्रैल, १९६२)

६. 1955 - पंडित जवाहर लाल नेहरु

(१४ नवंबर, १८८९ - २७ मई, १९६४)

७. 1957 - गोविंद वल्लभ पंत

(१० सितंबर, १८८७ - ७ मार्च, १९६१)

८. 1958 - डॉ॰ धोंडो केशव कर्वे

(१८ अप्रैल, १८५८ – ९ नवंबर, १९६२)

९. 1961 - डॉ॰ बिधन चंद्र रॉय

(१ जुलाई, १८८२ - १ जुलाई, १९६२)

१०. 1961 - पुरूषोत्तम दास टंडन

(१ अगस्त, १८८२ - १ जुलाई, १९६२)

११. 1962 - डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद

(३ दिसम्बर, १८८४ - २८ फरवरी, १९६३)

१२. 1963 - डॉ॰ जाकिर हुसैन

(८ फरवरी, १८९७ - ३ मई, १९६९)

१३. 1963 - डॉ॰ पांडुरंग वामन काणे

(१८८०-१९७२)

१४. 1966 - लाल बहादुर शास्त्री

(२ अक्टूबर, १९०४ - ११ जनवरी, १९६६), मरणोपरान्त

१५. 1971 - इंदिरा गाँधी

(१९ नवंबर, १९१७ - ३१ अक्टूबर, १९८४)

१६. १९७५ - वराहगिरी वेंकट गिरी

(१० अगस्त, १८९४ - २३ जून, १९८०)

१७. १९७६ - के. कामराज

(१५ जुलाई, १९०३ - १९७५), मरणोपरान्त

१८. १९८० - मदर टेरेसा

(२७ अगस्त, १९१० - ५ सितंबर, १९९७)

१९. १९८३ - आचार्य विनोबा भावे

(११ सितंबर, १८९५ - १५ नवंबर, १९८२), मरणोपरान्त

२०. १९८७ - खान अब्दुल गफ्फार खान

(१८९० - २० जनवरी, १९८८), पहले गैर-भारतीय

२१. १९८८ - डॉ॰ एम. जी. रामचन्द्रन

(१७ जनवरी, १९१७ - २४ दिसम्बर, १९८७), मरणोपरान्त

२२. १९९० - डॉ॰ भीमराव रामजी आंबेडकर

(१४ अप्रैल, १८९१ - ६ दिसम्बर, १९५६), मरणोपरान्त

२३. १९९० - नेल्सन मंडेला

(१८ जुलाई, १९१८ - ५ दिसम्बर, २०१३), दूसरे गैर-भारतीय

२४. १९९१ - राजीव गांधी

(२० अगस्त, १९४४ - २१ मई, १९९१), मरणोपरान्त

२५. १९९१ - सरदार वल्लभ भाई पटेल

(३१ अक्टूबर, १८७५ - १५ दिसम्बर, १९५०), मरणोपरान्त

२६. १९९१ - मोरारजी देसाई

(२९ फरवरी, १८९६ - १० अप्रैल, १९९५)

२७. १९९२ - मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

(११ नवंबर, १८८८ - २२ फरवरी, १९५८), मरणोपरान्त

२८. १९९२ - जे आर डी टाटा

(२९ जुलाई, १९०४ - २९ नवंबर, १९९३)

२९. १९९२ - सत्यजीत रे

(२ मई, १९२१ - २३ अप्रैल, १९९२)

३०. १९९७ - ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम

(१५ अक्टूबर, १९३१-२७ जुलाई, २०१५)

३१. १९९७ - गुलजारी लाल नंदा

(४ जुलाई, १८९८ - १५ जनवरी, १९९८)

३२. १९९७ - अरुणा असाफ़ अली

(१६ जुलाई, १९०९ - २९ जुलाई, १९९६), मरणोपरान्त

३३. १९९८ - एम एस सुब्बुलक्ष्मी

(१६ सितंबर, १९१६ - ११ दिसम्बर, २००४)

३४. १९९८ - सी सुब्रामनीयम

(३० जनवरी, १९१० - ७ नवंबर, २०००)

३५. १९९८ - जयप्रकाश नारायण

(११ अक्टूबर, १९०२ - ८ अक्टूबर, १९७९), मरणोपरान्त

३६. १९९९ - पंडित रवि शंकर

(७ अप्रैल, १९२०-१२ दिसम्बर, २०१२ )

३७. १९९९ - अमृत्य सेन (३ नवंबर, १९३३)

३८. १९९९ - गोपीनाथ बोरदोलोई

(१८९०-१९५०), मरणोपरान्त

३९. २००१ - लता मंगेशकर

(२८ सितंबर, १९२९ - ६ फरवरी, २०२२)

४०. २००१ - उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां

(२१ मार्च, १९१६ - २१ अगस्त, २००६)

४१. २००८ - पंडित भीमसेन जोशी

(४ फरवरी, १९२२ -२५ जनवरी, २०११)

४२. २०१४ सी॰ एन॰ आर॰ राव

(३० जून, १९३४- अब तक), १६ नवंबर, २०१४ को घोषित

४३. २०१४ सचिन तेंदुलकर

(२४ अप्रैल, १९७३- अब तक), १६ नवंबर, २०१४ को घोषित

४४. २०१५ अटल बिहारी वाजपेयी

(२५ दिसंबर, १९२४- १६ अगस्त २०१८), २४ दिसम्बर २०१४ को घोषित

४५. २०१५ महामना मदन मोहन मालवीय

(२५ दिसंबर, १८६१- १२ नवंबर, १९४६), मरणोपरान्त, २४ दिसम्बर २०१४ को घोषित

४६. २०१९ प्रणब मुखर्जी

(११ दिसम्बर १९३५ - ३१ अगस्त २०२०)

४७. २०१९ भूपेन हजारिका

(८ सितम्बर १९२६ – ५ नवम्बर २०११) , मरणोपरान्त

४८. २०१९ नानाजी देशमुख

(११ अक्टूबर १९१६ – २७ फ़रवरी २०१०) , मरणोपरान्त

४९. २०२४ कर्पूरी ठाकुर

(24 जनवरी 1924 - 17 फरवरी 1988) , मरणोपरान्त

५०. लालकृष्ण आडवाणी

(१९२७-)

- १९९२ में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को भारत रत्न से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था। लेकिन उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण पुरस्कार के मरणोपरान्त स्वरूप को लेकर प्रश्न उठाया गया था। इसीलिए भारत सरकार ने यह सम्मान वापस ले लिया। उक्त सम्मान वापस लिये जाने का यह एकमेव उदाहरण है।

- भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री श्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को जब भारत रत्न देने की बात आयी तो उन्होंने जोर देकर मना कर दिया, कारण कि जो लोग इसकी चयन समिति में रहे हों, उनको यह सम्मान नहीं दिया जाना चाहिये। बाद में १९९२ में उन्हें मरणोपरांत दिया गया।

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