भारत के उत्थान को रोकने का षड़यंत्र कथित किसान आंदोलन - अरविंद सिसोदिया Kisan Andolan


प्रधानमंत्री मोदी जी के साथ खडा हो कर भारत का बुरा चाहनें वालों को मुंह तोड जबाव देना होगा - अरविंद सिसोदिया 

भारत के उत्थान को रोकने का षड़यंत्र कथित किसान आंदोलन - अरविंद सिसोदिया

Farmer movement alleged to be a conspiracy to stop India's rise - Arvind Sisodia
Kisan Andolan 

जबसे प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार नें देशहित के बड़े निर्णयों को पूरा करना प्रारंभ किया है तब से ही देश में बड़े षड्यंन्त्रों पर भी काम प्रारंभ हो गया है। 2019 की मोदी सरकार नें आते ही तीन तलाक की प्रथा को बंद कर दिया, कश्मीर से धारा 370 हटा कर उसे भारत का पूर्ण अंग बना लिया, अयोध्या में बहुत ही कम समय में भव्य रामलला का मंदिर निर्मित करवा दिया। महिला आरक्षण बिल को पारित करवा दिया,आजाद भारत का नया भव्य संसद भवन बनवा दिया। देश में डिजिटिलाइजेशन पर बड़ा काम हुआ है। सामरिक और आर्थिक मोर्चाँ पर देश मज़बूत हो रहा है, इसमें बाधा ख़डी करने के यत्न में यह कथित किसान आंदोलन खड़ा किया जा रहा है।

मोदी सरकार द्वारा देश के अंदर गरीब, गांव,किसान और महिलाओं के कल्याण के अनेकानेक कार्यक्रम चलवाये जा रहे हैँ , युवाओं को रोजगार देनें के लिए कौशल विकास और लघु लोन के बहुत से कार्यक्रमों द्वारा रोजगार और आय के साधन उपलब्ध करवाये जा रहे हैँ। इससे देश में आंतरिक उत्थान और विकास का नया युग आ रहा है। 

किन्तु इसी के साथ देश विरोधी ताकतें विदेशी धनबल और दुष्प्रेर्नाओं के भारत में अंदर फूट डालो राज करो अभियान में भी जुट गये हैँ। जिस तरह चुंबकत्व, गुरुत्वाकर्षण और विद्युत करेंट महसूस किए जाते हैं, किंतु दूर से अदृश्य रहते, इन्हे आंख से नहीं देखे जा सकते किंतु इनका प्रभाव महसूस किया जा सकता है। ठीक उसी तरह से कांग्रेस के षड्यंतत्रों को महसूस किया जा सकता है। जो एक तयसुदा टूलकिट के माध्यम से भारत में निरंतर कार्य कर रहा है।

पहले किसी गैर राजनैतिक संगठन या संस्था से सरकार को परेशानी में डालनेवाला विषय उठवाना, लघु आंदोलन प्रारंभ करवाना, फिर उसमें सम्मिलित हो जाना और मोदी सरकार को परेशान करना। केंद्र सरकार के विरुद्ध एक सुनियोजित ढंग से कदम दर कदम अड़ंगे खड़े करना। इन दुर्भावना कृत कार्यों को पूरा देश महसूस कर रहा है।

भारत और हिंदुत्व के विरुद्ध पूरे विश्व में चल रहे घटनाक्रमों को देखने के बाद यह भी स्पष्ट रूप से प्रतीत हो रहा है। विदेशी ताकतें भारत को कतई मजबूत भारत के रुपमें नहीं देखना चाहती हैँ और ये ही ताकतें भारतीय संस्कृति के उत्थान को भी बर्दास्त नहीं कर पा रहीं हैँ। इसीलिए निरंतर भारत पर प्रहार का क्रम छोटे बड़े रूप में चल रहा है।

एशिया को ईसाई बनाने वाली मानसिकता से षड्यंत्ररत मिशनरी ताकत भारत की हिंदुत्ववादी सरकार के कामकाज और उसके संचालन में निरंतर बड़ी बधाएँ उत्पन्न करवा रही हैँ। अमेरिका के अति संपन्न व्यवसाही जॉर्ज सोरस नें तो खुलेआम मोदी सरकार को पराजित करने की धमकी दे रखी है।

इन सारे सारे षडयंत्रों को हम कथित किसान आंदोलन के रूप में देख सकते हैं। दो साल पहले जब यूपी पंजाब में चुनाव होने जा रहे थे तब भी यही आंदोलन सक्रिय हुआ था और इन्होंने दिल्ली पर हमला किया था, लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराया। यूपी पंजाब चुनाव सम्पन्न होते ही आंदोलन सिमट गया। अब चेहरे दूसरे हैँ उद्देश्य वही है। देश को बड़ी सावधानी से काम लेना होगा। देशवासियो को इन देश विरोधी ताकतों को अपनी एक जुटता से हराना होगा। प्रधानमंत्री मोदी जी के साथ खडा हो कर भारत का बुरा चाहनें वालों को मुंह तोड जबाव देना होगा ।

सच यह है कि यह किसान आंदोलन नहीं है यह विदेशी ताकतों के वित्त पोषण से चलता है, इसमें विदेशी ताकतों से सांठगांठ रखने वाले दल सम्मिलित होते हैँ। दो साल पहले यूपी - पंजाब के चुनाव के समय यह भाजपा को रोकने के लिए चलाया गया था , चुनाव सम्पन्न होते ही आंदोलन समाप्त हो गया था । मूलतः यह विपक्ष का चुनावीं आंदोलन ही है, इसके पीछे मूलतः कांग्रेस ही है। आम आदमी पार्टी  आंदोलन का लाभ हड़पने सम्मिलित है और भी भेड़ चाल संस्थाएं व छोटी पार्टियां भी सम्मिलित हो जाती है। किन्तु मूलतः कांग्रेस के हितों के लिए इसे चलाया जाता है। जब कांग्रेस की शत प्रतिशत हार तय हो तब वह किसानों को लेकर सक्रिय हो जाती है। पिछले  किसान आंदोलन में ताकत नें झोंकी मगर लाभ आप पार्टी को मिला और उसनें पंजाब में कांग्रेस को ही साफ करके सत्ता हड़पली।

कांग्रेस नें तो पहले 40 साल तक गांव और गरीब के लिए बजट तक न के बराबर रखते थे।  गांव में कोई विकास कार्य नहीं होता था। किसी पक्के निर्माण के लिए गाँवो के लोगों से 35 प्रतिशत राशि मांगी जाती थी। स्वामीनाथन रिपोर्ट को कांग्रेस क़ी मनमोहन सिंह सरकार नें ही ख़ारिज किया था। नदियों से जोड़ने की योजना का कांग्रेस नें हमेशा विरोध किया।

राहुल गाँधी बताएं की उनकी पार्टी और उनके परिवार के प्रधानमंत्री नेहरूजी, प्रधानमंत्री इंदिरा जी, प्रधानमंत्री राजीव जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय MSP पर काम क्यों नहीं हुआ, जब आप जनता द्वारा ठुकरा दिए गये तब वोट के लिए किसान याद आ गया ?

कांग्रेस हमेशा चुनाव जीतने के लिए किसान के पास आती है, राहुल गाँधी नें दस तक गिनती बोल कर कर्ज माफ़ी की घोषणा की, चुनाव जीता, मगर वायदा कभी पूरा नहीं किया ।

किसानों और गावों को जो कुछ भी दिया गया वह भाजपा सरकारों नें ही दिया जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से गाँवो को पक्की सड़कों से जोड़ना, किसान क्रेडिट कार्ड के द्वारा किसानों को साहूकारों के चुंगुल से निकालना, फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में निरंतर वृद्धि करना, फसल बीमा योजना लागू करना, यूरिया नीम कोटेड करना, नेनो यूरिया उपलब्ध करवाना, अनाज खरीद मंडियों को ऑनलाइन करवाना , कृषि उपकरणों की खरीद पर अनुदान। किसान की पहली चिंता भाजपा नेताओं ने ही की है। "  घर हाथ को काम, हर हाथ को पानी " भारतीय जनसंघ का ही ध्येय वाक्य था। जिसे सबसे पहले जनता पार्टी सरकार में लागू किया गया था। किसानों के भले के काम तो अटलजी और मोदीजी की सरकारों में ही हुए हैँ। कांग्रेस को तो चुनावी लाभ लेंने के लिए किसान की याद आती है।

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