सुरक्षा बलों को सीधी कार्यवाहीयों से निंबटने मज़बूत इंतजामात कर लेंने चाहिए - अरविन्द सिसोदिया

स्थानीय पुलिस की गुप्तचर व्यवस्था पूरे देश में मजबूत की जाये - अरविन्द सिसोदिया

पिछले कुछ दसकों में गुप्तचर व्यवस्था अनेकानेक घटनाओं में प्रश्नचिन्हित हुई है। विफल हुई है। इतनी बडी बडी विधवंशककारी सामग्री समाज में एकत्र होकर घटनाओं को अंजाम देती रहीं और स्थानी पुलिस थानों को पता तक नहीं । इसका मुख्यकारण पुलिस की इस व्यवस्था में अरूचि होना ही है। गोधरा में एक ट्रेन को जलानें के लिए पैट्रोल एकत्र किया जाता रहा, स्थनीय पुलिस को पता नहीं था। जब ट्रेन की दो बोगियां आग के हवाले कर दी गईं। तब पता चला कि पुलिस की गुप्तचर व्यवस्था विफल होगई है। इसके बाद गुजरात में गुप्तचर व्यवस्था मुस्तैद कर दी गई और कई आतंकी घटनाओं को अंजाम तक पहुंचनें से पहले ही रोक दिया गया। यह हल्दवानी में भी पुलिस की गुप्तचर व्यवस्था विफल हुई । अर्थात पुलिस की गुप्तचर व्यवस्था को पूरे देश में मुस्तैद किया जाये और थानें के एस एच ओ और वृत के सीआई को इसके लिए जबावदेह बनाया जाये। अन्यथा समाज की सुरक्षा , सरकार और व्यक्तिगत सम्पत्ती के नुकसान के बाद जागना बहुत कष्टदायी होता है।
सुरक्षा बलों को सीधी कार्यवाहीयों से निंबटने मज़बूत इंतजामात कर लेंने चाहिए - अरविन्द सिसोदिया
भारत अब गुलामी की सभी बेड़ियों को काट कर मुक्त हो रहा है, देश की जनता नें भारत में इस्लामपरसती कर रहीं पार्टियों को हांसिए पर डालना प्रारंभ कर दिया है। दोबार से लगातार भाजपा पूर्ण बहूमत से सरकार बना रही है। प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व में भारत नई इबारत लिख रहा है। धारा 370 से कश्मीर मुक्त करवाया जा चुका है, अयोध्या में श्रीराम लला का भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है। समान नागरिक संहिता भी लागू की जाने का काम प्रारंभ हो चुका है। सनातन के खोये वजूद की पुर्नस्थापना हो रही है। इसलिए निश्चित वे ताकतें जो आराजकता फैलानें के लिए घरों से बाहर निकलनेँ की दुष्प्रेरणा करती हैँ, वे आराजकता के नये नये आयाम खड़े करने के नित नये षड्यंत्र खड़े करेंगी, जिसकी झलक हल्दवानी और बरेली में सामने आ चुकी है। भारत के सम्मान स्वाभिमान और सुःख शान्ति के विरुद्ध सीधी कार्यवाहीयों से निबंटने मजबूत इंतजामात सुरक्षा बलों को पहले से ही तैयार रखने होंगे। यह सतर्कता 2024 के आम चुनावों तक बहुत जरूरी है। इस हेतु सभी सरकारों को चिंता करनी चाहिए। कांग्रेस के लोग पहले से ही इस तरह की भविष्यवाणी कर रहे हैँ, ताकि कोई उन्हें दोषी नहीं ठहराये किन्तु राजनीति षड़यंत्र के बिना यह कभी घटता ही नहीं है। सुरक्षा व्यवस्था हेतु गुप्तचर और फंडिंग पर भी गहरी नजर रखनी होगी।

सुरक्षा बल सीधी कार्यवाहीयों के खिलाफ सतर्क रहे - अरविन्द सिसोदिया

उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में मलिक के बगीचे में नजूल भूमि पर अतिक्रमण कर मौके पर अवैध रूप से नमाज स्थल और मस्जिद बना दी गई थी। गुरुवार शाम नगर निगम और पुलिस की टीम अतिक्रमण ढहाने के लिए जेसीबी लेकर मौके पर पहुंची तो दंगा भड़क उठा था। उपद्रवियों ने पथराव और आगजनी शुरू कर दी थी। बनभूलपुरा थाने को फूंकते हुए उपद्रवियों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था। इससे पूरा इलाका सुलग उठा है। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में कफ्र्यू लगाते हुए दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए थे। देर रात तक समूचा इलाका दंगे की चपेट में था। पुलिस और पीएसी दंगाइयों पर सख्ती से निपट रही है। अब तक करीब 75 पुलिस कर्मियों के घायल होने की सूचना है। इसके अलावा करीब 250 दंगाइयों के भी घायल होने की सूचना है। हालांकि अभी घायलों की सटीक तादात सामने नहीं आ पाई है।

दिल्ली में भी सरकारी जमीन पर इसी तरह के अतिक्रमण के मामले सामने आनें पर हाईकोर्ट नें नाराजगी व्यक्त की और इस तरह की हरकतों को डकैती जैसा बताया।

इस तरह की घटनायें पूरे देश में इसलिए होंगी की इन्हे कुछ राजनैतिक दल और संस्थाएं प्रायोजित करते हैँ। अधिकांश सामान्य नागरिक इनसे दूर रहता है, मगर वोटबैंक की राजनीति के चलते भारत में एक विद्रोह करवानें की पोलटिक्स चल रही है कि कोई भी देश हित का संस्कृति के हित का कार्य नहीं हो पाये।

समान नागरिक संहिता भाजपा का नहीं संविधान का प्रावधान है। इसे मूल संविधान निर्माताओं नें कानूनीरूप से बनाया है। तब डरपोक सरकारें रहीं जो इस प्रावधान को लागू नहीं कर पाई और लगातार अव्यवस्था जारी रही, जिन विदेशी ताकतों नें देश तोड़ा वे ही ताकतें भारत पर अपरोक्ष शासन करती रहीं हैँ। इसी कारण देश पर तुष्टिकरण की राजनीति हावी रही।

2014 से वातावरण बदला है, आजादी के बाद प्रथमबार देश प्रथम वाली विचारधारा की सरकारें बन रहीं है तो देशहित के काम हो रहे हैँ सांस्कृतिक उत्थान हो रहे हैँ। ये कम से उस दल को यों नहीं पच रहे जिसने देश को तोड़ा है। देश के अमूल्य भूभागों को खैरात की तरह बाँट दिया है। जी विदेशों से सांठगांठ रख कर देश को कमजोर करते हैँ देश से गद्दारी करते हैँ।

आजादी के समय भी यह दादागिरी की गईं थी, जो सीधी कार्यवाही के नाम से जानी जाती है। आजादी के बाद भी यह दंगों और आतंकवादी हमलों के रुपमें सामने आती रही हैँ। तब इनके सामने आत्मसमर्पण होता था, अब मुकाबला होता है, मुंह तोड़ जबाब दिया जाता है।

उत्तराखंड सरकार के द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करना स्वागत योग्य कदम है,संविधान सम्मत है। इसकी रक्षा के लिए सुरक्षा बलों को सतर्क रहना चाहिए।
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दिल्ली हाईकोर्ट नें कहा अतिक्रमण डकैती जैसा 

संरक्षित स्मारकों निजामुद्​दीन की बावली व बाराखंभा मकबरे के पास एक अनिधिकृत निर्माण पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि पुलिस और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सूचना देने के बावजूद संबंधित अधिकारियों ने कार्रवाई न कर कर्तव्य का गंभीर उल्लंघन किया था।

अतिक्रमण निर्माण का सबसे खराब रूप
अदालत ने कहा कि जनता भूमि खोज रही है और राज्य सरकार संपत्ति खो रही है। अतिक्रमण निर्माण का सबसे खराब रूप है। याचिका में दावा किया गया था कि बावली गेट के पास खसरा संख्या 556 जियारत गेस्टहाउस, पुलिस बूथ के पास हजरत निजामुद्दीन दरगाह में अवैध और अनधिकृत निर्माण किया गया।

डीडीए की भूमि पर हुए अवैध निर्माण को सील

अदालत ने नोट किया कि एमसीडी और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। पिछली सुनवाई पर अदालत ने नोट किया था कि डीडीए की भूमि पर हुए अवैध निर्माण को सील करने के बावजूद ऊपरी मंजिल पर गेस्ट हाउस का निर्माण किया गया था। अदालत ने उक्त तथ्यों को देखते हुए कहा कि दोनों एजेंसियों के अधिकारियों के बीच कुछ गड़बड़ है।

कानून का पालन करने की जरूरत नहीं
सुनवाई के दौरान मौजूद गेस्टहाउस मालिक से अदालत ने सवाल किया कि पहले से ही सील की गई संपत्ति पर तीन मंजिलों का निर्माण करने का उसने दुस्साहस कैसे किया। आखिर आपने कानून में कैसे लिया। लोगों को यकीन है कि कोई कानून नहीं है और किसी कानून का पालन करने की जरूरत नहीं है। अदालत में मौजूद एमसीडी अधिकारी को फाइल देखने के बाद बृहस्पतिवार को दोबारा पेश होने को कहा।
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यूपी के बरेली में पत्थरबाजी 
यूपी के बरेली में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान के भड़काऊ बयानों के बाद शहर में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. जुमे की नमाज के बा मौलाना ने तकरीर देते हुए पीएम मोदी, सीएम योगी, धामी और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कई उकसाऊ बातें कहीं. मौलाना ने कहा कि अब मुसलमान किसी बुल्डोजर एक्शन को सहन नहीं करेंगे. तौकीर रजा ने यह भी धमकी दी, ’अगर कोई हम पर हमला करेगा तो हम उसे जान से मार देंगे. यह हमें कानूनी अधिकार है.’ रजा के भड़काऊ बयान के बाद शहर में हिंसा शुरू हो गई है और भड़काऊ नारेबाजी का विरोध करने पर भीड़ ने मार्केट पर पत्थरबाजी कर दी , जिसमें कई दुकानदार घायल हो गए हैं.  

’बजरंग दल- शिवसेना हमारे देश को बर्बाद करना चाहते हैं’

मौलाना तौकीर ने अपनी भड़काऊ तकरीर में कहा, ’बजरंग दल- शिवसेना हमारे देश को बर्बाद कर देना चाहते हैं. उनकी बेईमानी के खिलाफ हम रुकने वाले नहीं हैं. हमने यह आंदोलन बरेली से शुरू किया है और इस आंदोलन को इंशाल्लाह देश भर में चलाएंगे.’ मौलाना ने हल्द्वानी में हुई हिंसा का इल्जाम भी पुलिस- प्रशासन पर जड़ दिया. तौकीर ने कहा कि मदरसे-  मस्जिद में कोई अपराध नहीं किया गया. ऐसे में मामला कोर्ट में जाना चाहिए था लेकिन इसके बजाय उन्हें तोड़ दिया गया. ऐसा करके कोर्ट के अधिकारों का हनन किया जा रहा है. सरकार के दबाव में पुलिस बेईमानी करके यह काम कर रही है. 

’हमें जान से मारने का अधिकार’

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी पर निजी हमला करते हुए मौलाना ने कहा, ’धामी पागल हो गया है. सुनवाई का मौका दिए बिना सीधे मदरसे- मस्जिद पर बुल्डोजर चलवा दिया. अब अगर तुम हमारे घरों पर बुलडोजर चला दोगे तो हम अपनी हिफाजत खुद करेंगे. इसका हमें कानूनी अधिकार है. अगर अगर तुम हमारे ऊपर कोई हमला करोगे तो हम उसे जान से मार देंगे. यह हमें कानूनी अधिकार है. अब हम किसी बुलडोजर को बर्दाश्त नहीं करेंगे. 

’सुप्रीम कोर्ट नहीं ले रहा कोई ऐक्शन’

सुप्रीम कोर्ट पर भड़कते हुए मौलाना रजा ने कहा, ’हमारी तकलीफ इस बात से ज्यादा है कि सुप्रीम कोर्ट देश में पसरी बीमारियों के खिलाफ कोई संज्ञान नहीं ले रहा है. बुलडोजर की कार्रवाई हो जाती है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी है कि अगर किसी ने अपराध किया तो उसको गिरफ्तार किया जाएगा. अगर उसकी बिल्डिंग में कोई अपराध नहीं किया गया है तो उसे तोड़ा न जाए.’ 

शहर में दहशत का माहौल

मौलाना तौकीर रजा खान के साथ नमाज पढ़ने पहुंची भारी भीड़ ने जमकर भड़काऊ नारेबाजी की. इससे शहर में दहशत का माहौल बन गया. मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद था लेकिन लोगों की बड़ी तादाद देखते हुए पुलिस अधिकारी भी मूकदर्शक बन देखने को मजबूर हो गए. मौलाना इस्लामिया मैदान में गिरफ्तारी देने का ऐलान किया था. हालांकि काफी हंगामे के बाद वे वापस लौट गए. 

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