किसान आंदोलन नकाब है, असल में ये देश पर हमला है - अरविन्द सिसोदिया

- नोट -  में एक जागरूक  नागरिक हूँ ये मेरे स्वतंत्र और व्यक्तित्व विचार हैँ।
- किसान तो खेतों में है, किसान को इतनी फुर्सत कहां कि वह छै महीने का रासन भर कर दिल्ली बार्डर पर हिंसा करे, आराजकता फैलाये और देश की व्यवस्था पर हमला करे। 


कथित किसान आंदोलन नकाब है, असल में ये देश पर हमला है - अरविन्द सिसोदिया

यह कथित किसान आंदोलन मात्र नकाब है सच यह है कि यह आराजक तत्वों का देश पर हमला है, हिंसक तत्वों का देश पर हमला है , यह शुद्ध रूप से भारत पर हमला है, यह भारत की अखंडता पर हमला है, यह देश की संप्रभुता पर हमला है, देश के संविधान पर हमला है, देश की कानून व्यवस्था पर हमला है।

इस हमले को नाकाम करने के लिए समस्त देशवासियों को एक जुट होकर राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री मोदीजी के साथ खड़ा होना होगा। एन डी ए के साथ खड़ा होना होगा, भाजपा के साथ खड़ा होना होगा। सवाल देश का है।

भारत के सबसे समृद्ध  किसान पंजाब हरियाणा के...

भारत में सबसे समृद्ध किसान पंजाब और हरियाणा के किसान हैँ। लगभग मुफ्त नहरी पानी दो से तीन फसलें सुनिश्चित होती हैँ। MSP का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाले किसान पंजाब हरियाणा के ही हैँ।

सरकारी सहायता के असल हकदार गरीब किसान हो 
सच यह है कि सहायता पाने की पहली पात्रता असिंचित लघु कृषक की है, जिसकी खेती भगवान सेती है। इसके बाद दूसरे क्रम पर असिंचित किसान सहायता पाने का हकदार है। इनके बाद तृतीय क्रम पर मंहगी बिजली तथा मंहगे डीजल इंजन से सिंचाई करने वाला किसान का अधिकार बनता है। सच यह है कि जिन किसानों को सरकारी नहरों से फसल उत्पन्न करने के लिए सुनिश्चित व सस्ता पानी मिल रहा है। वे एक प्रकार से सरकारी सहायता ही प्राप्त कर रहे हैँ। नहरी पानी से सिंचाई और बिजली की मोटर से सिंचाई या डीजल इंजन से सिंचाई में कई गुणा अंतर आता है। नहरी सिंचित भूमी के किसानों का सरकार से तभी सहायता पाने का अधिकार है जब कोई प्राकृतिक आपदा जैसे ओले, पाला आदि से उनकी फ़सल नष्ट हो जाये। 

MSP पर खरीद वास्तविक सहायता की पात्रता वाले किसान से ही होनी चाहिए, एक सीमा से ज्यादा यह हो भी नहीं  सकती। सरकार की एक सीमा होती है पैसा बरसात में पानी की तरह बरसता नहीं है।

आराजकता के द्वारा देश को अस्थिर करने की कोशिश 
किसान ही क्यों कोई फुटपाथ पर दुकान लगाने वाला भी यह कह सकता है उसका माल बिके न बिके मगर सरकार कम से कम हजार रूपये प्रतिदिन दे। हर कोई बिना कामकाज किए भी सरकार से पैसा मांगेगा। जन्म लेते ही पैसा दो, जीने के लिए पैसा दो... पैसा दो पैसा दो का क्या तमाशा मचा रखा है।
सरकार से मुफ्त में पैसा लेंने के प्रलोभन को इस तरह से चलाया जा रहा है कि देश पूरी तरह बर्वाद हो जाये।

ईडी गठबंधन कहीं चुनावी टूल किट 
इस आराजकतापूर्ण आंदोलन से प्रतीत होता है कि राहुल गाँधी और कांग्रेस, इंडी गठबंधन के किसी भी दल को भाव इसीलिए नहीं दे रहे थे कि उन्हें मालूम था की चुनाव 2024 जीतने के लिए क्या - क्या टूलकिट से होनें वाला है और उसका अधिकतम फायदा कांग्रेस को किस तरह उठना है, इसीलिए वह सीट से शेयरिंग तक से बच रहे थे। हलाँकि अभी तक कांग्रेस को टूलकिट से फायदा नहीं मिला है अलबत्ता आप पार्टी नें उनसे पंजाब जरूर छीन लिया है।

खालिस्तान आंदोलन को कांग्रेस आराजकता उत्पन्न करने के टूलकिट की तरह उपयोग करती है 
भारत में जब इंदिरा गाँधी सरकार को 1977 में जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया था, तब जनता पार्टी सरकार के विरुद्ध खालिस्तानी मूमेंट के लिए भिंडरवाला को आराजकता उत्पन्न करने के लिए मैदान में उतारा था, इसके कुछ वर्ष पश्चात ही उसी भीण्डरवाला से इंदिरा गाँधी का टकराव हुआ और आपरेशन ब्लूस्टार हुआ, स्वर्णमंदिर पर सैन्य कार्यवाही हुईं और उसी के चलते इंदिरा गाँधी की हत्या की हुईं.... ठीक वही षड़यंत्र फिर देश के सामने खड़ा किया जा रहा है। 2020 में भी किसानों के नाम पर आराजकतावादी हमला हुआ था। दिल्ली के लाल किले पर ख़ालिस्तानी झंडा फहराया गया था।

सारे भारत विरोधी एक जुट हो मोदीजी को रोकना चाहते हैँ

चीन और पाकिस्तान, कनाडा और अमरीका सहित ईसाई मिशनरीज और हिंदुत्व को समाप्त करने वाली ताकते.....!  भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी की विश्वव्यापी लोकप्रियता और भारत के हो रहे आर्थिक उत्थान से परेशान हैँ क्योंकि इनके अपने - अपने हित प्रभावित हो रहे हैँ। उनके आपसी टकराव कुछ भी हो किंतु यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सब एक जुट हैँ। और इसी सबक मिला-जुला तालमेल हम ईडी गठबंधन के रूप में भारत में देख रहे हैं। तमाम आपसी पर टकरावों के बावजूद ईडी गठबंधन बना है। इसका मुख्य लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ मोदीजी को हराना है।

जागरूक भारतवासी अवश्य पढ़ें......
भारत से विदेशी निवेशकों को दूर रखनें का षडयंत्र किसान आन्दोलन - अरविन्द सिसोदिया 

आराजकतावादी किसान आन्दोलन की जड़ में अदृष्यरूप से यह है कि भारत अशांत देश दुनिया को दिखाई दे, जिससे विदेशी निवेश और भारत का विकास रूक जाए,  क्यों कि :-
विश्व भर में सबसे मजबूत नेता भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी माने जाते हैं और सर्वाधिक तेजी से उभरती अर्थ व्यवस्था भारत माना जा रहा है। जबकि चीन में लगातार शेयर बाजार डूब रहा है। चीन में जो निवेश अमरीका, जर्मनी सहित अनेकों देशों नें किया हुआ था, अब उन कंपनियों के द्वारा पैसा निकाला जा रहा है। सबसे मजेदार बात यह है कि अब विश्व भर से भारत में निवेश हो रहा है। विदेशी पैसा खूब आ रहा है। इससे घवराहट न केवल चीन में है, बल्कि अमरीका जैसे बडे निवेशकों में भी भारत में बडते निवेश से चिन्ता है। क्यों कि भारत में उत्पादन बडनें का प्रभाव चीन सहित अन्य सभी निर्यातक देशों पर पडता है। इसलिए यह मानलो कि भारत की आंतरिकत प्रगती रोकनें में सभी विदेशी ताकतें एक है। वे परोक्ष अपरोक्ष इंडी गठबंधन को इसलिए सर्पोट करेंगी कि उनमें  देश संभालनें की क्षमता नहीं है। जिससे भारत अंदर से बिखराव ग्रस्त हो जायेगा । निवेशक दूर रहेंगे। यह सारा षडयंत्र भारत से निवेशकों को दूर रखनें का षडयंत्र है।

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