विकिलीक्स : अमरीका का सच सामने आना चाहिए...
विकिलीक्स को लेकर अमरीका में फिर हड़कम्प
- अरविन्द सीसोदिया
अमेरिका सच का सामना करने घबरा रहा है .., यही नही दुनिया के बहुतसे देश इस तरह के सच से घाबरते हैं .., क्यों कि यह तो कहने की बातें हैं कि हम यह हैं..! मगर जो हम हैं वह बहुतसी बातें छुपी रहती हैं...! पूरी दुनिया को अपने हितों के हिसाब से चलाने के लिए अमरीका ने सब कुछ किया ..! जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिरा कर लाखों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने के अमानवीय कार्य में भी वह संलग्न रहा ..! मेरी व्यक्तीगत मान्यता यही है कि आज विश्व में सर्वाधिक अमानवीय और क्रूर देश अमरीका है ..! उसका सच सामने आना चाहिए..! भारतवासी उस सच को समझें और हित - अहित को तौल कर अपना फैसला लें..!!
--- विकिलीक्स वेबसाइट के नए संभावित रहस्योदघाटन को लेकर अमरीका में बौखलाहट है। अमरीका ने भारत सहित अपने वर्त्तमान कुछ घटक देशों को चेतावनी दी है कि इस रहस्योदघाटन के बाद उनके द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। ( भला क्यों..? आपने जरुर कुछ गलत किया होगा ) एसे समाचार मिल रहे हैं कि विकिलीक्स जल्द ही 40 लाख पृष्ठों के गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक करने वाली है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये दस्तावेज किस संबंध में हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पी.जे. क्राउले ने कहा कि हम ठीक से नहीं जानते कि विकिलीक्स के पास कौन से दस्तावेज हैं और उसकी योजना क्या है, हम चाहते हैं कि इन दस्तावेजों को सार्वजनिक न किया जाए। ट्विटर पर क्राउले ने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग जर्मनी, सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात, फ्रांस और अफगानिस्तान के नेताओं के संपर्क में है। अमेरिका के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एडमिरल माइक मुलेन ने भी चेतावनी दी है कि यदि विकीलीक्स और दस्तावेज लीक करता है तो अमेरिकी सेना और उसके साथ काम कर चुके लोगों पर हमले हो सकते हैं। इससे पहले, अक्टूबर में विकिलीक्स ने इराक में अमेरिकी युद्ध से संबंधित चार लाख गोपनीय दस्तावेज पोस्ट किए थे। वेबसाइट अफगानिस्तान युद्ध से संबंधित हजारों गोपनीय दस्तावेज भी सामने ला चुकी है।
गोपनीय सामग्री लौटाए विकिलीक्स : अमेरिका
न्यूयॉर्क, रविवार, नवंबर 28, 2010
---- अमेरिका ने ‘व्हिसलब्लोअर’ वेबसाइट विकिलीक्स के साथ किसी भी तरह की बातचीत करने से इनकार कर दिया है और उससे ‘गैर-कानूनी तरीके से हासिल किए गए’ सभी दस्तावेज लौटाने को कहा है, जिनके खुलासे के चलते ‘असंख्य लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।’ विकिलीक्स की लाखों गोपनीय दस्तावेज जारी करने की योजना है।---- अमेरिका ने ‘व्हिसलब्लोअर’ वेबसाइट विकिलीक्स के साथ किसी भी तरह की बातचीत करने से इनकार कर दिया है और उससे ‘गैर-कानूनी तरीके से हासिल किए गए’ सभी दस्तावेज लौटाने को कहा है, जिनके खुलासे के चलते ‘असंख्य लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।’ विकिलीक्स की लाखों गोपनीय दस्तावेज जारी करने की योजना है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के कानूनी सलाहकार हेरल्ड होंग्जू कोह ने विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन एसेन्जे को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हम अवैध तरीके से हासिल की गई अमेरिकी सरकार की गोपनीय सामग्री को आगे भी जारी करने या उसका प्रसार करने के बारे में कोई भी बातचीत नहीं करेंगे।’’ यह पत्र विकिलीक्स की ओर से एक दिन पहले किए गए संपर्क के जवाब में लिखा गया है। विकिलीक्स ने अमेरिका को सूचित किया था कि उसका लाखों गोपनीय दस्तावेजों का प्रकाशन करने का इरादा है।
कोह ने शनिवार देर रात प्रेस के समक्ष जारी इस पत्र में कहा कि लोगों की जान बचाने की आपकी इच्छा के बावजूद आपने इसके एकदम उलट काम किया और असंख्य लोगों की जान खतरे में डाल दी। आपने बिना संपादन के और सुरक्षा तथा लोगों की जान की परवाह किए बगैर व्यापक तौर पर इस सामग्री का प्रसार कर अपने उद्देश्य के महत्व को कम किया है। पत्र में कहा गया है, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं कि आप जिस सामग्री को प्रकाशित करने का इरादा रखते हैं, अगर वह आपको किसी सरकारी अधिकारी ने या किसी मध्यस्थ ने अनाधिकृत तरीके से मुहैया कराई है, तो ऐसा अमेरिकी कानून के उल्लंघन में हुआ है और इससे हो सकने वाले गंभीर परिणामों की परवाह नहीं की गई है।’’
पत्र के मुताबिक, ‘‘जब तक विकिलीक्स के पास इस तरह की सामग्री है, तब तक कानून का उल्लंघन जारी रहेगा। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’, ‘द गार्डियन’ और ‘डेर स्पीगल’ के प्रतिनिधियों के साथ हुई बातचीत के आधार पर हमारी समझ यह है कि विकिलीक्स ने करीब 2,50,000 दस्तावेज उन्हें (अखबारों को) प्रकाशन के लिए मुहैया कराए हैं। यह गोपनीय दस्तावेजों का अवैध प्रसार है।’’
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह अमेरिकी सरकार के गोपनीय दस्तावेजों को आगे भी जारी किए जाने या उनका प्रसार होने के बारे में किसी भी तरह की बातचीत विकिलीक्स से नहीं करेगा। मंत्रालय के कानूनी सलाहकार कोह ने कहा कि अगर आप आपके कदमों के चलते हुए नुकसान को रोकने में वास्तव में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित कराना चाहिए कि विकिलीक्स इस तरह की सामग्री का प्रकाशन बंद करे, विकिलीक्स अपने कब्जे में मौजूद इस तरह के सभी गोपनीय दस्तावेज अमेरिकी सरकार को लौटाए और अपने डाटाबेस से सभी रिकॉर्ड नष्ट करे।
ब्रिटेन को विकिलीक्स खुलासे से मुस्लिम आक्रोश भड़कने की आशंका
---- लंदन : ब्रितानी सरकार ने अपने नागरिकों को आगाह किया है कि विकिलीक्स जिन गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों को इस हफ्ते जारी कर रहा है, उनमें जाहिर होने वाले‘इस्लाम विरोधी’विचारों की वजह से पाकिस्तान, इराक, ईरान और मुस्लिम जगत के अन्य हिस्सों में उन्हें हिंसा का निशाना बनाया जा सकता है.
ऐसी रिपोर्ट है कि अमेरिकी राजनयिकों की फ़ाइलों में विश्व के जिन नेताओं के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणियां हैं उनमें दक्षिण अफ़्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई, लीबिया के कर्नल गद्दाफ़ी और जिम्बाब्वे के रॉबर्ट मुगावे समेत कई विश्व नेता शामिल हैं. ‘संडे टाइम्स’ की खबर के मुताबिक, विकिलीक्स वेबसाइट लगभग तीस लाख गोपनीय दस्तावेज इंटरनेट पर जारी करने जा रहा है जिनमें लंदन स्थित अमेरिकी दूतावास से वाशिंगटन भेजे गए बेहद संवेदनशील गोपनीय संदेश भी शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि ब्रितानी सरकार ने पाकिस्तान, इराक, ईरान और मुस्लिम जगत के दूसरे हिस्सों में रहने वाले अपने नागरिकों को आगाह किया है कि इन राजनयिक दस्तावेजों में जाहिर ‘इस्लाम विरोधी’ विचारों की वजह से उन्हें हिंसा का निशाना बनाया जा सकता है
- अरविन्द सीसोदिया
अमेरिका सच का सामना करने घबरा रहा है .., यही नही दुनिया के बहुतसे देश इस तरह के सच से घाबरते हैं .., क्यों कि यह तो कहने की बातें हैं कि हम यह हैं..! मगर जो हम हैं वह बहुतसी बातें छुपी रहती हैं...! पूरी दुनिया को अपने हितों के हिसाब से चलाने के लिए अमरीका ने सब कुछ किया ..! जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिरा कर लाखों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने के अमानवीय कार्य में भी वह संलग्न रहा ..! मेरी व्यक्तीगत मान्यता यही है कि आज विश्व में सर्वाधिक अमानवीय और क्रूर देश अमरीका है ..! उसका सच सामने आना चाहिए..! भारतवासी उस सच को समझें और हित - अहित को तौल कर अपना फैसला लें..!!
--- विकिलीक्स वेबसाइट के नए संभावित रहस्योदघाटन को लेकर अमरीका में बौखलाहट है। अमरीका ने भारत सहित अपने वर्त्तमान कुछ घटक देशों को चेतावनी दी है कि इस रहस्योदघाटन के बाद उनके द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। ( भला क्यों..? आपने जरुर कुछ गलत किया होगा ) एसे समाचार मिल रहे हैं कि विकिलीक्स जल्द ही 40 लाख पृष्ठों के गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक करने वाली है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये दस्तावेज किस संबंध में हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पी.जे. क्राउले ने कहा कि हम ठीक से नहीं जानते कि विकिलीक्स के पास कौन से दस्तावेज हैं और उसकी योजना क्या है, हम चाहते हैं कि इन दस्तावेजों को सार्वजनिक न किया जाए। ट्विटर पर क्राउले ने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग जर्मनी, सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात, फ्रांस और अफगानिस्तान के नेताओं के संपर्क में है। अमेरिका के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एडमिरल माइक मुलेन ने भी चेतावनी दी है कि यदि विकीलीक्स और दस्तावेज लीक करता है तो अमेरिकी सेना और उसके साथ काम कर चुके लोगों पर हमले हो सकते हैं। इससे पहले, अक्टूबर में विकिलीक्स ने इराक में अमेरिकी युद्ध से संबंधित चार लाख गोपनीय दस्तावेज पोस्ट किए थे। वेबसाइट अफगानिस्तान युद्ध से संबंधित हजारों गोपनीय दस्तावेज भी सामने ला चुकी है।
गोपनीय सामग्री लौटाए विकिलीक्स : अमेरिका
न्यूयॉर्क, रविवार, नवंबर 28, 2010
---- अमेरिका ने ‘व्हिसलब्लोअर’ वेबसाइट विकिलीक्स के साथ किसी भी तरह की बातचीत करने से इनकार कर दिया है और उससे ‘गैर-कानूनी तरीके से हासिल किए गए’ सभी दस्तावेज लौटाने को कहा है, जिनके खुलासे के चलते ‘असंख्य लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।’ विकिलीक्स की लाखों गोपनीय दस्तावेज जारी करने की योजना है।---- अमेरिका ने ‘व्हिसलब्लोअर’ वेबसाइट विकिलीक्स के साथ किसी भी तरह की बातचीत करने से इनकार कर दिया है और उससे ‘गैर-कानूनी तरीके से हासिल किए गए’ सभी दस्तावेज लौटाने को कहा है, जिनके खुलासे के चलते ‘असंख्य लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।’ विकिलीक्स की लाखों गोपनीय दस्तावेज जारी करने की योजना है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के कानूनी सलाहकार हेरल्ड होंग्जू कोह ने विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन एसेन्जे को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हम अवैध तरीके से हासिल की गई अमेरिकी सरकार की गोपनीय सामग्री को आगे भी जारी करने या उसका प्रसार करने के बारे में कोई भी बातचीत नहीं करेंगे।’’ यह पत्र विकिलीक्स की ओर से एक दिन पहले किए गए संपर्क के जवाब में लिखा गया है। विकिलीक्स ने अमेरिका को सूचित किया था कि उसका लाखों गोपनीय दस्तावेजों का प्रकाशन करने का इरादा है।
कोह ने शनिवार देर रात प्रेस के समक्ष जारी इस पत्र में कहा कि लोगों की जान बचाने की आपकी इच्छा के बावजूद आपने इसके एकदम उलट काम किया और असंख्य लोगों की जान खतरे में डाल दी। आपने बिना संपादन के और सुरक्षा तथा लोगों की जान की परवाह किए बगैर व्यापक तौर पर इस सामग्री का प्रसार कर अपने उद्देश्य के महत्व को कम किया है। पत्र में कहा गया है, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं कि आप जिस सामग्री को प्रकाशित करने का इरादा रखते हैं, अगर वह आपको किसी सरकारी अधिकारी ने या किसी मध्यस्थ ने अनाधिकृत तरीके से मुहैया कराई है, तो ऐसा अमेरिकी कानून के उल्लंघन में हुआ है और इससे हो सकने वाले गंभीर परिणामों की परवाह नहीं की गई है।’’
पत्र के मुताबिक, ‘‘जब तक विकिलीक्स के पास इस तरह की सामग्री है, तब तक कानून का उल्लंघन जारी रहेगा। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’, ‘द गार्डियन’ और ‘डेर स्पीगल’ के प्रतिनिधियों के साथ हुई बातचीत के आधार पर हमारी समझ यह है कि विकिलीक्स ने करीब 2,50,000 दस्तावेज उन्हें (अखबारों को) प्रकाशन के लिए मुहैया कराए हैं। यह गोपनीय दस्तावेजों का अवैध प्रसार है।’’
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह अमेरिकी सरकार के गोपनीय दस्तावेजों को आगे भी जारी किए जाने या उनका प्रसार होने के बारे में किसी भी तरह की बातचीत विकिलीक्स से नहीं करेगा। मंत्रालय के कानूनी सलाहकार कोह ने कहा कि अगर आप आपके कदमों के चलते हुए नुकसान को रोकने में वास्तव में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित कराना चाहिए कि विकिलीक्स इस तरह की सामग्री का प्रकाशन बंद करे, विकिलीक्स अपने कब्जे में मौजूद इस तरह के सभी गोपनीय दस्तावेज अमेरिकी सरकार को लौटाए और अपने डाटाबेस से सभी रिकॉर्ड नष्ट करे।
ब्रिटेन को विकिलीक्स खुलासे से मुस्लिम आक्रोश भड़कने की आशंका
---- लंदन : ब्रितानी सरकार ने अपने नागरिकों को आगाह किया है कि विकिलीक्स जिन गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों को इस हफ्ते जारी कर रहा है, उनमें जाहिर होने वाले‘इस्लाम विरोधी’विचारों की वजह से पाकिस्तान, इराक, ईरान और मुस्लिम जगत के अन्य हिस्सों में उन्हें हिंसा का निशाना बनाया जा सकता है.
ऐसी रिपोर्ट है कि अमेरिकी राजनयिकों की फ़ाइलों में विश्व के जिन नेताओं के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणियां हैं उनमें दक्षिण अफ़्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई, लीबिया के कर्नल गद्दाफ़ी और जिम्बाब्वे के रॉबर्ट मुगावे समेत कई विश्व नेता शामिल हैं. ‘संडे टाइम्स’ की खबर के मुताबिक, विकिलीक्स वेबसाइट लगभग तीस लाख गोपनीय दस्तावेज इंटरनेट पर जारी करने जा रहा है जिनमें लंदन स्थित अमेरिकी दूतावास से वाशिंगटन भेजे गए बेहद संवेदनशील गोपनीय संदेश भी शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि ब्रितानी सरकार ने पाकिस्तान, इराक, ईरान और मुस्लिम जगत के दूसरे हिस्सों में रहने वाले अपने नागरिकों को आगाह किया है कि इन राजनयिक दस्तावेजों में जाहिर ‘इस्लाम विरोधी’ विचारों की वजह से उन्हें हिंसा का निशाना बनाया जा सकता है
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